संसद में सरकार बोली- चीन का अवैध कब्जा स्वीकार नहीं:लद्दाख में उसने 2 नए कस्बे बना लिए, हमने डिप्लोमैटिक स्तर पर विरोध जताया
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को संसद में बताया कि भारत को चीन के दो नए काउंटी (कस्बे) बनाने की जानकारी मिली है, जिसका कुछ हिस्सा लद्दाख में आता है। सरकार ने कहा कि इसका डिप्लोमेटिक तरीके से कड़ा विरोध दर्ज कराया गया है। विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में कहा कि भारतीय जमीन पर चीन के अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया गया है। नए काउंटी बनाने से न तो इस इलाके पर भारत की स्थिति पर कोई असर पड़ेगा और न ही इससे चीन के अवैध और जबरन कब्जे को कोई वैधता मिलेगी। मैप से समझिए होतान की लोकेशन चीन ने दिसंबर में दो नए काउंटी बनाने का ऐलान किया था चीन ने पिछले साल दिसंबर में होतान प्रांत में दो नई काउंटी हेआन और हेकांग बनाने का ऐलान किया था। तब भारत ने साफ-साफ कहा था इन काउंटियों में मौजूद कुछ इलाके भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख का हिस्सा हैं और चीन का दावा पूरी तरह से अवैध है। तब चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर एक डैम बनाने की भी घोषणा की थी। इस पर भी भारत ने आपत्ति जताई थी। मंत्री बोले- सीमा के करीब इन्फ्रास्ट्रक्चर पर फोकस विदेश मंत्रालय से पूछा गया था कि क्या ‘सरकार को होतान प्रांत में चीन के दो काउंटी बनाने की जानकारी है जिनमें लद्दाख से जुड़े भारतीय इलाके भी शामिल हैं? अगर हां तो सरकार ने इस मुद्दे का हल निकालने के लिए क्या रणनीतिक और कूटनीतिक उपाय किए हैं?’ इसके जवाब में विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि भारत सरकार को इसकी जानकारी है। सरकार यह जानती है कि चीन सीमा के नजदीक बुनियादी ढांचे का विकास कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार सीमा के नजदीक वाले इलाके में बुनियादी ढांचे में सुधार पर खास ध्यान दे रही है, ताकि इन इलाकों में विकास तेज हो सके और साथ ही भारत की सामरिक और सुरक्षा जरूरतों को भी पूरा किया जा सके। सड़क-पुल और सुरंगों को नेटवर्क में इजाफा हुआ विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि पिछले दशक (2014-2024) में सीमा के पास के इलाकों में इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने के लिए बजट आवंटन में इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि अकेले सीमा सड़क संगठन (BRO) ने पिछले दशक की तुलना में तीन गुना ज्यादा खर्च किया है। उन्होंने कहा कि सड़क नेटवर्क, पुलों और सुरंगों की संख्या में पहले के तुलना में काफी ज्यादा इजाफा हुआ है। इससे स्थानीय आबादी को कनेक्टिविटी देने और सैनिकों को बेहतर रसद पहुंचाने में मदद मिली है। मंत्री ने कहा कि सरकार भारत की सुरक्षा पर असर डालने वाले सभी घटनाओं पर हमेशा नजर रखती है और अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करती है। ------------------ भारत-चीन समझौते से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें... चीन के विदेश मंत्री से मिले एस जयशंकर:कहा- LAC और पहले हुए समझौतों का हो सम्मान, तभी दोनों देशों के बीच रिश्ते सही होंगे विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच लाओस में अहम बैठक हुई। इसमें नेताओं के बीच भारत-चीन सीमा विवाद पर चर्चा हुई। जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री से LAC और पहले हो चुके समझौतों का सम्मान करने की बात कही। जयशंकर ने कहा कि संबंधों को स्थिर करना ही दोनों देशों के हित में है। पूरी खबर पढ़ें...

संसद में सरकार बोली- चीन का अवैध कब्जा स्वीकार नहीं: लद्दाख में उसने 2 नए कस्बे बना लिए, हमने डिप्लोमैटिक स्तर पर विरोध जताया
लेखिका: सृष्टि वर्मा, टीम नेतानागरी
हाल ही में भारतीय संसद में सरकार ने चीन के द्वारा लद्दाख में अवैध कब्जे का खंडन किया है। इस मुद्दे पर सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह चीन के इन कार्यों को स्वीकार नहीं करेगी। संसद में यह बयान देते हुए सरकार ने जानकारी दी कि चीन ने लद्दाख क्षेत्र में दो नए कस्बे स्थापित कर लिए हैं।
चीनी गतिविधियों पर सरकार का स्पष्ट रुख
सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, लद्दाख में चीनी सेना की गतिविधियाँ पिछले कुछ समय से बढ़ रही हैं। बीजिंग द्वारा निर्मित इन कस्बों की स्थापना भारतीय क्षेत्र में एक नया चिंतन बिंदु है। सरकार ने संसद में यह भी कहा कि भारत ने इस मामले को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर डिप्लोमैटिक स्तर पर उठाया है और सभी संभावित माध्यमों से विरोध जताया है।
राजनीतिक स्थिति का महत्व
यही नहीं, यह भी बताया गया कि भारत सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। जैसे-जैसे स्थितियाँ बिगड़ रही हैं, भारत की नीति स्पष्ट है कि वह ठोस कदम उठाने में संकोच नहीं करेगा।
बाहरी संबंधों पर प्रभाव
चीन द्वारा उठाए गए कदम भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी एक संकट पैदा कर सकते हैं। एशिया के इस क्षेत्र में सुरक्षा और आर्थिक स्थिति पर इसका असर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम चीन के मंसूबों की ओर इशारा करता है, जिसका मुकाबला करने के लिए भारत को सब मिलकर कदम उठाने होंगे।
निष्कर्ष
यह कहना गलत नहीं होगा कि चीन की अवैध गतिविधियों ने भारत की अंतर्राष्ट्रीय स्थिति को चुनौती दी है। सामने आई चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत को न केवल अपने आंतरिक बल में इजाफा करना होगा, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी अपनी आवाज को उठाना होगा। इस प्रकार की गतिविधियों से निपटने के लिए सरकार हर प्रयास कर रही है।
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kam sabdo me kahein to, भारत सरकार ने चीन के नए कस्बों के अवैध कब्जे का विरोध किया, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा पर सवाल उठते हैं।
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