सुप्रीम कोर्ट ने ईमानदार जिला आबकारी अधिकारी अशोक कुमार मिश्रा को दी जमानत: भ्रष्टाचार के फर्जी आरोपों से मिली बड़ी राहत
यह छवि ईमानदार अधिकारी अशोक कुमार मिश्रा की सुप्रीम कोर्ट से मिली जीत को दर्शाती है। वह झूठे भ्रष्टाचार के आरोपों से मुक्त होकर आत्मविश्वास के साथ खड़े हैं। यह न्याय, सत्य और ईमानदारी की प्रतीक है।

नई दिल्ली। उत्तराखंड के प्रसिद्ध और ईमानदार जिला आबकारी अधिकारी अशोक कुमार मिश्रा, जो आबकारी विभाग में अपनी निष्ठा और ईमानदारी के लिए जाने जाते हैं, को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। यह मामला, जिसमें उन्हें भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत फंसाया गया था, कई प्रक्रियागत खामियों के कारण विवादास्पद बना हुआ था। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न्याय और सच्चाई की जीत माना जा रहा है।
मामले की पृष्ठभूमि
जिला आबकारी अधिकारी अशोक कुमार मिश्रा, जब ऊधम सिंह नगर के रुद्रपुर में आबकारी अधिकारी के रूप में कार्यरत थे, तब उन्हें एक सतर्कता जाल में फंसाया गया। बाद में उन्हें हल्द्वानी ले जाया गया, जहां जांच में कई गंभीर खामियां उजागर हुईं। आरोप था कि जिला आबकारी अधिकारी अशोक कुमार मिश्रा ने एक ठेकेदार से रिश्वत ली, लेकिन जांच में स्वतंत्र गवाह और पर्याप्त सबूतों का अभाव पाया गया।
जांच में खामियां
मामले की जांच और ट्रैप के दौरान सतर्कता विभाग की भूमिका पर सवाल उठे।
1. शिकायतकर्ता, जो ब्लैकलिस्टेड ठेकेदार है, पर पहले से कई आपराधिक मामले दर्ज हैं।
2. जांच में स्वतंत्र गवाहों का अभाव था। केवल सतर्कता विभाग के अधिकारियों ने गवाही दी, जो पहले से ही इस मामले में पक्षकार थे।
3. ट्रैप प्रक्रिया में वीडियोग्राफी की अनिवार्यता पूरी नहीं की गई, जिससे सतर्कता विभाग की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हुए।
4. जांच अधिकारी और शिकायत की पुष्टि करने वाले अधिकारी एक ही व्यक्ति थे, जिससे निष्पक्षता पर संदेह हुआ।
सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सतर्कता विभाग की कार्यप्रणाली पर सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि जांच में निष्पक्षता का पालन नहीं किया गया, जो कि किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए आवश्यक है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ईमानदार अधिकारियों को झूठे मामलों में फंसाना, न केवल उनके अधिकारों का हनन है, बल्कि समाज के लिए भी नुकसानदायक है।
जिला आबकारी अधिकारी अशोक कुमार मिश्रा: एक प्रेरणा
अपने करियर के दौरान, जिला आबकारी अधिकारी अशोक कुमार मिश्रा ने नैनीताल और हरिद्वार में युवाओं को नशे से बचाने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाए। उनका यह प्रयास उत्तराखंड में एक क्रांतिकारी पहल थी। जिला आबकारी अधिकारी अशोक कुमार मिश्रा ने हमेशा अपने कार्य में पारदर्शिता और निष्ठा को प्राथमिकता दी। उनके इन प्रयासों ने न केवल विभाग को बेहतर बनाया, बल्कि उन्हें जनता के बीच एक आदर्श अधिकारी के रूप में स्थापित किया।
जनता का समर्थन और विश्वास
इस पूरे मामले में जनता ने जिला आबकारी अधिकारी अशोक कुमार मिश्रा का खुलकर समर्थन किया। ऊधम सिंह नगर और नैनीताल के नागरिकों ने उनकी ईमानदारी की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह केवल उनके संघर्ष और जनता की दुआओं का असर है, जो आज उन्हें न्याय मिला।
भविष्य के लिए संदेश
यह फैसला उन अधिकारियों के लिए एक प्रेरणा है, जो अपने कार्य में ईमानदारी और निष्ठा बनाए रखते हैं। जिला आबकारी अधिकारी अशोक कुमार मिश्रा ने यह साबित कर दिया कि सच्चाई के रास्ते पर चलने वाले व्यक्ति को झूठे आरोपों से डरने की जरूरत नहीं है।
निष्कर्ष:
जिला आबकारी अधिकारी अशोक कुमार मिश्रा की जमानत उत्तराखंड के न्यायिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है। यह फैसला न केवल उनके लिए, बल्कि उन सभी ईमानदार अधिकारियों के लिए एक उम्मीद की किरण है, जो सच्चाई के लिए संघर्ष करते हैं। यह न्याय और सच्चाई की जीत है।
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