शाह बोले-वक्फ बिल चोरी के लिए नहीं, गरीबों के लिए:एक मेंबर कह रहे अल्पसंख्यक स्वीकार नहीं करेंगे; यह सरकार का कानून, मानना पड़ेगा
लोकसभा में बुधवार को वक्फ संशोधन बिल 2024 पेश किया गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- 'वक्फ बिल चोरी के लिए नहीं, गरीबों के लिए है। एक मेंबर कह रहे अल्पसंख्यक स्वीकार नहीं करेंगे, क्या धमकी दे रहे हो भाई। संसद का कानून है, स्वीकार करना पड़ेगा।' उन्होंने कहा- वक्फ में एक भी गैर इस्लामिक नहीं आएगा। ऐसा कोई प्रोविजन भी नहीं है। वोट बैंक के लिए माइनॉरिटीज को डराया जा रहा है। वक्फ एक अरबी शब्द है। इसका मतलब है अल्लाह के नाम पर धार्मिक उद्देश्यों के लिए संपत्ति का दान। दान उसी चीज का किया जाता है, जिस पर हमारा हक है। शाह ने कहा- जहां तक भारत का सवाल है। आजादी के बाद इसे बदला गया। ये पूरा झगड़ा 1995 से चल रहा है। ये पूरा झगड़ा वक्फ में दखल का है। सुबह से जो चर्चा चल रही है। उसे मैंने बारीकी से सुना है। ढेर सारी भ्रांतियां सदस्यों में हैं। कई भ्रांतियां देश में फैलाई जा रही हैं। शाह ने कहा- 2013 में वक्फ के जो अमेंडमेंट आए, वो न किया होता तो ये बिल लाने की जरूरत नहीं पड़ती। 2014 में चुनाव आने वाला था, 2013 में रातोंरात तुष्टीकरण के लिए वक्फ कानूनों को बदला गया था। इसके कारण दिल्ली लुटियंस की 123 VVIP संपत्ति कांग्रेस सरकार ने वक्फ को देने का काम किया। शाह के भाषण की 5 बड़ी बातें... 1. लालू प्रसाद यादव पर शाह ने कहा- 2013 में लालू प्रसाद जी ने कहा था कि सरकार ने विधेयक संशोधन किया। उसका स्वागत है। आप देखिए सारी जमीनें हड़प ली गई हैं। वक्फ में काम करने वाले लोगों ने प्राइम जमीनों को बेच दिया है। पटना में ही डाक बंगला हड़प लिया गया। हम चाहते हैं कि आप भविष्य में सख्त कानून लाइए और चोरी करने वालों को जेल में भेजिए। लालू जी की इच्छा इन्होंने (UPA) तो पूरी नहीं की, मोदी जी ने पूरी कर दी। उन्होंने कहा- इस देश के नागरिक को, किसी भी धर्म का हो, कोई आंच नहीं आएगी। ये नरेंद्र मोदी सरकार है। ये सालों से जातिवाद और तुष्टिकरण पर काम करते आए हैं। अपने परिवार की पॉलिटिक्स को आगे बढ़ाया है। शाह ने कहा कि 2014 से जातिवाद-तुष्टिकरण-परिवार को नरेंद्र मोदी सरकार ने खत्म करके, विकास की राजनीति को बढ़ावा दिया है। 3 टर्म मोदी जी को जिताया है और 3 टर्म भाजपा की सरकार बनने वाली है। 2. वक्फ बोर्ड में चोरी पर शाह ने कहा- विपक्ष धर्म में दखल दे रहा है। वक्फ हमारे यहां ट्रस्ट एक्ट है। ट्रस्ट को बनाने वाले और मैनेजिंग ट्रस्टी होता है। वक्फ में सभी चीजें इस्लाम को मानने वाले हैं। इसीलिए हम कह रहे हैं कि वक्फ बनाने वाला इस्लाम का आदमी हो। आप उसमें भी नॉन इस्लामिक चाहते हो। उन्होंने कहा- ट्रस्ट के अंदर ट्रस्टी चर्च में क्रिश्चियन होंगे, हिंदू के लिए हिंदू होगा। चैरिटी कमिश्नर कहेंगे कि मुस्लिम क्यों आ गया। चैरिटी कमिश्नर को एडमिनिस्ट्रेटिव वर्क देखना है। सारे धर्मों में आप ऐसा करोगे तो देश टूट जाएगा। 3. वक्फ की बढ़ती जमीन पर गृह मंत्री शाह ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा- केरल और इलाहाबाद हाईकोर्ट कह चुकी हैं कि धार्मिक क्रियाकलाप तो वक्फ करेगा, वक्फ बोर्ड नहीं। विपक्ष का कहना है कि कोई गड़बड़ी नहीं हुई। 2013 में अन्यायी (वक्फ कानून) कानून आया। उन्होंने कहा कि 1913 से लेकर 2013 तक वक्फ बोर्ड की कुल एकड़ भूमि 18 लाख एकड़ थी। 2013 से 2025 तक कानून बनने का प्रभाव क्या हुआ, 21 लाख एकड़ भूमि जुड़ गई। शाह ने कहा कि लीज पर 20 हजार संपत्तियां दी गई थीं। रिकॉर्ड के हिसाब से बाद में ये शून्य हो गईं। ये कहां गईं, बेच दी गईं। किसकी इजाजत से बेची गईं। 2013 के बिल को हम अकेले अन्यायी नहीं कह रहे हैं। तमाम कैथोलिक संस्थान कह रहे हैं। 4. वक्फ की जमीनें गलत तरीके से बेचने पर अमित शाह ने कहा कि 250 हेक्टेयर वाले 12 गांवों पर तमिलनाडु में वक्फ का हक हो गया। मंदिर की 400 एकड़ जमीन को वक्फ की संपत्ति घोषित कर दिया। कर्नाटक में एक रिपोर्ट पढ़ रहा हूं। वक्फ की 29 हजार एकड़ भूमि किराए के लिए दे दी गई। 2001 से 2012 के बीच 2 लाख करोड़ की वक्फ की संपत्ति निजी संस्थानों को 100 साल की लीज पर दे दी। बेंगलुरु में 602 एकड़ जमीन को जब्त करने से रोकने के लिए हाईकोर्ट को बीच में आना पड़ा। 500 एकड़ जमीन 5 स्टार होटल को 12 हजार महीना किराए पर दे दी गई। विपक्ष कहता है कि इसका हिसाब-किताब न करो। ये पैसा गरीबों का है, उनके लूटने के लिए नहीं है। कर्नाटक में मंदिर की 600 एकड़ जमीन पर दावा किया गया, चर्चों पर कब्जा कर लिया। वक्फ बिल के समर्थन में चर्च भी हैं। 5. वक्फ बोर्ड की वर्किंग पर अमित शाह ने कहा- वक्फ जो कि मुस्लिम भाइयों की धार्मिक क्रियाकलाप और उनके दिए दान से चल रहा है। मुतवल्ली भी आपका होगा और वक्फ भी। अब से देखा जाएगा कि वक्फ की संपत्ति का रखरखाव हो रहा है या नहीं, कानून के हिसाब से सारी चीजें चल रहीं है या नहीं। उन्होंने कहा कि इस बिल से पारदर्शी ऑडिट होगा। बैलेंस शीट देखी जाएगी, पारदर्शिता से क्यों बचना चाहिए। आपने कहा था कि वक्फ के आदेश को चुनौती ही नहीं दी जा सकती। किसी भी अदालत में अब इसे चैलेंज किया जा सकेगा। इसमें साफ किया है कि कानून पर अमल नोटिफिकेशन के बाद होगा। शाह ने कहा- जमीन किसकी, इसकी जांच कलेक्टर करेगा शाह ने पूछा- एक बात बताओ, मंदिर के लिए जमीन खरीदनी है तो मालिक कौन होगा, ये कौन तय करेगा, कलेक्टर ही तय करेगा। वक्फ की जमीन किसकी है, यह जांच कलेक्टर करे तो आपत्ति क्या है। ढेर सारे चर्च बने हैं, गुरुद्वारे हैं, सरकारी संपत्ति पर नहीं बने हैं। वक्फ की भूमि सरकारी है या नहीं, ये कलेक्टर जांच करेगा। शाह ने कहा- भाजपा का सिद्धांत स्पष्ट है कि हम वोट बैंक के लिए कानून नहीं लाएंगे। कानून न्याय के लिए होता है। ये बोलें कि कैसे कैसे कानून ला रहे हैं। उन्होंने कहा कि 33 प्रतिशत आरक्षण महिलाओं को दिया गया। ये कानून इसी (मोदी सरकार) सरकार में आया। गरीबों को गैस, शौचालय, पानी, 5 लाख तक का बीमा, बिजली और घर दिए गए। शाह बोले- कानून भारत सरकार का है, इसे मानना होगा शाह ने

शाह बोले-वक्फ बिल चोरी के लिए नहीं, गरीबों के लिए:एक मेंबर कह रहे अल्पसंख्यक स्वीकार नहीं करेंगे; यह सरकार का कानून, मानना पड़ेगा
Kharchaa Pani
लेखक: सावीना चौधरी, कंचन जोशी, टीम नेतानागरी
परिचय
भारत की राजनीति में वक्फ बिल को लेकर चल रही बहस ने हाल ही में जोर पकड़ी है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि यह बिल गरीबों के उत्थान के लिए बनाया गया है, न कि किसी तरह की चोरी के लिए। लेकिन वहीं पर कुछ सदस्य इस बात पर असहमत हैं कि अल्पसंख्यक समुदाय इसे स्वीकार करेंगे या नहीं। इस लेख में हम इस विवाद के पीछे की कहानी और इसके संभावित प्रभावों पर चर्चा करेंगे।
वक्फ बिल का महत्व
वक्फ बिल का मुख्य उद्देश्य समाज के गरीब और पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए संपत्ति के बेहतर प्रबंधन को सुनिश्चित करना है। शाह ने कहा कि इस विधेयक द्वारा सरकार की मंशा केवल धन की चोरी करना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि वक्फ संपत्तियों का उपयोग सही तरीके से किया जाए। सरकार का यह दावा बताता है कि वह इन संपत्तियों के जरिए समाज के सबसे कमजोर वर्गों का लाभ उठाने की कोशिश कर रही है।
विरोध और चिंताएँ
हालांकि, कुछ अल्पसंख्यक नेताओं का कहना है कि यह कानून उनके अधिकारों के विपरीत है। एक सदस्य का कहना है कि जब तक अल्पसंख्यक समुदाय को इस बिल में अपनी आवाज नहीं मिलती, तब तक इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। यह स्थिति दर्शाती है कि समाज के विभिन्न वर्गों के बीच अब भी मतभेद हैं।
सरकार की स्थिति
सरकार ने इस कानून को लागू करने का संकल्प लिया है। अमित शाह ने कहा कि सभी को इस बिल को मानना पड़ेगा, चाहे उन्हें इससे सहमति हो या ना हो। पंजाब और उत्तर प्रदेश में वक्फ संपत्तियों की अव्यवस्थितता के चलते, सरकार का यह निर्णय महत्वपूर्ण है। इससे ना केवल गरीबों को मदद मिलेगी, बल्कि समाज में समानता भी बढ़ेगी।
संभावित प्रभाव
इस बिल के लागू होने से भारतीय समाज में वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन बेहतर होगा। इसके थ्रू गरीबों को लाभ मिलेगा, लेकिन इसे स्वीकार करने में चुनौतियाँ भी हैं। यदि अल्पसंख्यक समुदाय का विश्वास हासिल नहीं किया गया, तो इससे सामाजिक असंतोष बढ़ सकता है।
निष्कर्ष
ऐसा लगता है कि वक्फ बिल पर बहस जारी रहेगी। अमित शाह का यह बयान इस बात की पुष्टि करता है कि यह विधेयक गरीबों के लाभ के लिए है, लेकिन अल्पसंख्यक समुदाय की चिंताओं को अनदेखा नहीं किया जा सकता। आगे बढ़कर, समय ही बताएगा कि यह कानून भारतीय समाज को किस दिशा में ले जाएगा।
“कम शब्दों में कहें तो, वक्फ बिल गरीबों के लिए बनाया गया है, लेकिन अल्पसंख्यकों को स्वीकार्यता की आवश्यकता है।”
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