पुष्करघाटी पर नवदुर्गा का मंदिर,औरंगजेब भी नहीं तोड़ पाया था:ब्रह्मा ने यज्ञ की रक्षा के लिए किया था विराजित, नवरात्रा की अष्टमी पर आज लगेगा अन्न का भोग
चैत्र नवरात्र का आज आठवां दिन है। भक्त शक्तिस्वरूपा मां दुर्गा की आराधना कर रहे हैं। अजमेर की पुष्कर घाटी में नाग पहाड़ी पर नौसर माता मंदिर में भी पूजा-अर्चना की जा रही है। ये मंदिर 1200 साल पुराना है। साल में दोनों नवरात्र पर मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और अभिषेक होते हैं। सप्तमी तक मां को अन्न का भोग नहीं लगता है। नवरात्र की अष्टमी पर आज पूजा-अर्चना के बाद से मां को अन्न का भोग लगाया जाएगा। शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम और कन्या पूजन होगा। आरती, हवन और पूर्णाहुति होगी। साल में एक बार पंचकुंडीय यज्ञ भी होता है। मंदिर में मां दुर्गा की प्रतिमा मिट्टी की है, जिसके 9 सिर है। इस नवदुर्गा शक्तिपीठ का उल्लेख पदम पुराण में मिलता है। उसके अनुसार- मुगल शासक औरंगजेब ने देशभर में मंदिरों को नष्ट किया था। इस मंदिर को पुरी तरह नहीं तोड़ पाया था। नवरात्रा के इस शुभ अवसर पर नौसर माता मंदिर के व्यस्थापक मनोज गुप्ता और मंदिर के सेवक दिलीप कुमार शर्मा ने मंदिर इतिहास के बारे में बताया... यज्ञ की रक्षा के लिए ब्रह्मा ने की स्थापना पदम पुराण के अनुसार- जगतपिता ब्रह्मा ने पुष्कर क्षेत्र में यज्ञ किया था। राक्षसों से यज्ञ की रक्षा करने के लिए अरावली की गोद में नाग पहाड़ की जिव्हा पर नवशक्तियों की स्थापना की थी। लगभग 1300 साल पहले मराठा राजपूतों ग्वालियर महाराज के वंशजों ने 2000 बीघा जमीन पर नवदुर्गा मंदिर का निर्माण कराया था। नवदुर्गा की शक्ति के कई रोचक किस्से है। पुराण के अनुसार- 11वीं शताब्दी में पृथ्वीराज चौहान ने नवदुर्गा की आराधना कर मोहम्मद गौरी से विजय प्राप्त की थी। वहीं ईसवी सन 1666 के आस-पास शिवाजी महाराज ने मां की आराधना कर दाहिनी ओर त्रिशूल स्थापित किया था, जो आज भी है। 1683 से 1686 के बीच मुगल शासक औरंगजेब ने भारत के हजारों मंदिरों को नष्ट किया था। उस दौरान नवदुर्गा के आखिरी सिर को खंडित कर दिया था। औरंगजेब पूरा नष्ट नहीं कर पाया था। न ही मां के त्रिशूल को हटा पाया था। पहाड़ी पर कुंड के पानी से होती पूजा-अर्चना महंत बुद्ध करण अजमेर आए और यहां प्रतिमा व मंदिर का जीर्णोद्धार किया। यहां पानी की समस्या थी और पहाड़ी पर एक कुंड का निर्माण कराया। जहां आज भी जल भरा रहता है। इसी जल से यहां पूजा अर्चना होती है। साढे़ 62 बीघा जमीन पर बना है मंदिर वर्तमान में साढ़े 62 बीघा जमीन मंदिर के नाम है। इसके चारों ओर चारदीवारी है। 14 मार्च 2015 को पीठाधीश्वर ओमा कुमारी का देवलोकगमन हो गया था। 29 मार्च 2015 को रामाकृष्णा देव जी का पीठाभिषेक किया गया था। यहां पर एक मार्च 2022 को शिवरात्रि पर गौरीश्वर देवालय के नाम से शिव मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। कईं हिन्दू जातियों की कुलदेवी हैं नौसर माता यह नव दुर्गा नौसर माता कई जातियों के वंशों की रक्षा करके कुल देवी के रूप में प्रतिष्ठित है। माहेश्वरी समाज के गोत्र-अजमेरा, पलोड़, चितलांग्या, जेथलिया, गेलड़ा, मारू, धामाई, बाल्दी, लोहिया, गुर्जर समाज के गोत्र-हांकला, फागुना, मोठसर, हलसर, चेची, सचेती, नेकाड़ी, बागड़ी, बरबरा, बगड़ावत, डोडिया, रत्ना, मींडका, बुग, निकास, बड़दी, मारोठ, फारक, मोट्रस, धाबाई, खान्देला, रजलाणा, काठोदा, सराधना, कांगस, जुवाणा, खल्ला, हदवा है। इसी प्रकार कुमावत समाज में अजमेरा, आलौदिया, मोरवाल, भैरून्दा, झांझांवत गोत्र, नौसरिया एवं धोबी समाज में ढिल्लीवाल एवं तेली समाज में कड़ीवाल एवं प्रजापति कुम्हार सिखवाल, ब्राह्मण त्रिपाठी एवं मीणा पहाड़िया गोत्र, गुप्ता गोत्र में (सेवरिया) राव समाज में (किसनावत) गोत्र, कुष्माट्या भारद्वाज ब्राह्मण आद्य गौण आदि कई अनेक गोत्रों की कुल देवी श्री नौसर माता ही है। कुलदेवी के भक्त अपनी श्रद्धा अर्पण करने के लिए माता के मन्दिर आते रहते हैं। पढें ये खबर भी... चामुंडा माता का शरीर जमीन में विराजमान और सिर बाहर:पृथ्वीराज चौहान मां को धोक देकर जाते थे युद्ध करने, तलवार के साथ होती है आरती चैत्र नवरात्र में मां दुर्गा की घरों और मंदिरों में विशेष पूजा हो रही है। अजमेर के 1140 साल पुराने मां चामुंडा माता मंदिर में भी विशेष सजावट की गई है। 151 शक्तिपीठ में शामिल इस मंदिर में मां चामुंडा का शरीर जमीन में विराजमान और सिर बाहर है। पूरी खबर पढ़ने के लिए करें क्लिक

पुष्करघाटी पर नवदुर्गा का मंदिर, औरंगजेब भी नहीं तोड़ पाया था: ब्रह्मा ने यज्ञ की रक्षा के लिए किया था विराजित, नवरात्रा की अष्टमी पर आज लगेगा अन्न का भोग
Kharchaa Pani - भारत में नवरात्रा का पर्व हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर अनेक मंदिरों में भक्तजन पूजा अर्चना करते हैं। इसी कड़ी में पुष्करघाटी पर स्थित नवदुर्गा का मंदिर चर्चा में है, जो अपनी खासियतों के कारण पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यहां तक कि इतिहास में प्रसिद्ध औरंगजेब भी इस मंदिर को ध्वस्त नहीं कर पाया था।
नवरात्रा और नवदुर्गा मंदिर का महत्व
नवरात्रा के दौरान देवी दुर्गा की पूजा होती है, जो एक गहन आध्यात्मिकता का प्रतीक है। पुष्करघाटी का नवदुर्गा मंदिर ब्रह्मा द्वारा यज्ञ की रक्षा के लिए विराजित किया गया था, और इसका महत्व सदियों से बरकरार है। यहां हर साल नवरात्रा की अष्टमी तिथि को विशेष भोग अर्पित किया जाता है, इसमें अन्न का भोग शामिल होता है, जिसे भक्त बड़ी श्रद्धा से मानते हैं।
इतिहास में नवदुर्गा मंदिर
पुष्करघाटी का नवदुर्गा मंदिर अपने आप में एक ऐतिहासिक धरोहर है। इसका निर्माण युगों पहले हुआ था और इसे ब्रह्मा के यज्ञ के संरक्षण हेतु स्थापित किया गया था। कहा जाता है कि इस मंदिर को तोड़ने का प्रयास करने वाले औरंगजेब ने भी इस मंदिर की महिमा को पहचाना और इसे छोड़ दिया। इसमें महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की मूर्तियों की पूजा की जाती है।
आज का विशेष आयोजन
आज नवरात्रा की अष्टमी पर, इस मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन किया गया है। जो भक्त इस दिन पूजा अर्चना करेंगे, उन्हें अन्न का भोग अर्पित किया जाएगा। अन्न का भोग भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित किया जाएगा। यह आयोजन स्थानीय श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है, और बड़ी संख्या में लोग इसमें शामिल होने के लिए आते हैं।
भोग और आस्था का मेल
भोजन का भोग देवी दुर्गा को समर्पित होता है और यह लोगों की आस्था का प्रतीक है। भक्त अपने घरों में भी विशेष पकवान बनाते हैं और देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इसका सेवन करते हैं। इसे लेकर कई धार्मिक मान्यताएं भी प्रचलित हैं, जिनमें विशेष दिनों पर विशेष पकवान बनाने की परंपरा शामिल है।
निष्कर्ष
पुष्करघाटी पर स्थित नवदुर्गा के मंदिर की महिमा और आस्था का यह परिचय न केवल भक्तों के लिए प्रेरणादायक है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की अमिट छाप भी छोड़ता है। इस नवरात्रा अष्टमी पर इस मंदिर की पूजा और समारोह का हिस्सा बनना एक विशेष अनुभव है। Kharchaa Pani के माध्यम से हम सभी को इस महत्त्वपूर्ण पर्व की शुभकामनाएं।
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