टेरर फंडिंग केस- सांसद राशिद की जमानत पर आज सुनवाई:लोकसभा कार्यवाही में भाग लेने के लिए याचिका; ट्रायल कोर्ट जमानत देने से मना कर चुका
जम्मू-कश्मीर टेरर फंडिंग केस में तिहाड़ जेल में बंद बारामूला के सांसद शेख अब्दुल राशिद की जमानत याचिका पर आज मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। राशिद ने लोकसभा की कार्यवाही में शामिल होने के लिए जमानत याचिका दायर की थी। इसपर 10 मार्च को सुनवाई के दौरान ट्रायल कोर्ट ने उन्हें कस्टडी पैरोल देने से इनकार कर दिया। इसके बाद राशिद ने हाईकोर्ट का रुख किया। सुनवाई के दौरान नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने राशिद की जमानत का विरोध किया था। NIA ने कहा- हिरासत में रहते हुए राशिद के पास संसद की कार्यवाही में हिस्सा लेने का कोई अधिकार नहीं है। इधर, 21 मार्च को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने राशिद की नियमित जमानत याचिका को भी खारिज कर दिया। राशिद को 2017 में जम्मू-कश्मीर में आतंकी फंडिंग के आरोप में UAPA के तहत अरेस्ट किया गया था। 2019 से वो तिहाड़ जेल में बंद हैं। राशिद ने जेल में रहते हुए ही 2024 लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। 2005 में भी गिरफ्तार हुए थे इंजीनियर राशिद राशिद का नाम कश्मीरी व्यवसायी जहूर वताली की जांच के दौरान सामने आया था, जिसे NIA ने घाटी में आतंकवादी समूहों और अलगाववादियों को कथित तौर पर फंडिंग करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। राशिद को 2005 में भी स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने श्रीनगर से गिरफ्तार किया था। तब राशिद पर आतंकियों की मदद करने का आरोप था। इस केस में राशिद 3 महीने 17 दिन तक राजबाग जेल में बंद रहे। इस मामले में चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने मानवीय आधार पर सभी आरोपों से बरी कर दिया था। जूनियर इंजीनियर से सांसद तक का सफर राशिद ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है । कुछ वक्त रूरल डेवलपमेंट में कॉन्ट्रैक्ट पर काम किया। इसी दौरान जम्मू-कश्मीर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट कॉर्पोरेशन में असिस्टेंट मैनेजर की नौकरी लग गई। नौकरी करते हुए भी वे लोगों के मसले उठाते थे। तभी किसी ने उन्हें सियासत में आने की सलाह दी। उन्होंने फैसला कर लिया कि राजनीति में आएंगे। 2008 में उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दी। उसी साल लंगेट विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत गए। इसके बाद अपनी पार्टी बनाई। 2014 में फिर चुनाव लड़ा और जीते। उनकी पार्टी ने 3-4 सीटों पर चुनाव लड़ा था, बाकी सभी कैंडिडेट हार गए। और सबसे बड़ी पहचान जम्मू-कश्मीर के पूर्व CM उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन को लोकसभा चुनाव 2024 में बहुत बड़े अंतर से हराया है। यह खबर भी पढ़ें... बजट सत्र का आज 10वां दिन:कर्नाटक डिप्टी CM के बयान पर संसद में हंगामे के आसार; कल रिजिजू-खड़गे की बहस हुई थी संसद में बजट सत्र के दूसरे फेज का आज 10वां दिन है। लोकसभा और राज्यसभा में आज मुस्लिम आरक्षण को लेकर कर्नाटक के डिप्टी CM डीके शिवकुमार के बयान पर फिर से हंगामा हो सकता है। पूरी खबर पढ़ें...

टेरर फंडिंग केस- सांसद राशिद की जमानत पर आज सुनवाई: लोकसभा कार्यवाही में भाग लेने के लिए याचिका; ट्रायल कोर्ट जमानत देने से मना कर चुका
Kharchaa Pani - टीम नेटानागरी द्वारा
भारतीय राजनीति में आज एक महत्वपूर्ण घटना घटित होने जा रही है। टेरर फंडिंग केस से जुड़े सांसद राशिद की जमानत पर सुनवाई आज उच्च न्यायालय में होने वाली है। यह सुनवाई उनके द्वारा दायर की गई याचिका के आधार पर की जा रही है, जिसमें उन्होंने लोकसभा की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति मांगी है। इस केस में ट्रायल कोर्ट पहले ही जमानत देने से मना कर चुका है।
समस्या की उत्पत्ति
सांसद राशिद पर आरोप है कि वे आतंकवादी गतिविधियों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रहे थे। यह मामला तब चर्चा में आया जब कुछ महत्वपूर्ण सुबूत पुलिस द्वारा प्रस्तुत किए गए। कई सक्रियता समूह और समाचार चैनल इस मामले पर रिपोर्ट कर चुके हैं, जिससे इसे राजनीतिक जगत में एक सघन बहस का विषय बना दिया है।
आवेदन का विवरण
राशिद ने अपनी याचिका में दलील दी है कि वह लोकसभा में अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए आवश्यक बातें रखने का अधिकार रखते हैं। उन्होंने कहा कि लड़ाई में उनकी उपस्थिति बेहद महत्वपूर्ण है और यदि उन्हें जेल में रखा गया तो यह लोकतंत्र की हत्या होगी। सांसद के अधिवक्ता ने पूछा है कि क्या एक जनप्रतिनिधि को इस तरह से अयोग्य ठहराया जा सकता है। इस मामले की जटिलता और गंभीरता को देखते हुए इसे तेजी से सुना जा रहा है।
ट्रायल कोर्ट का निर्णय
ट्रायल कोर्ट ने पहले ही राशिद की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था, यह बताते हुए कि सबूत इतना मजबूत है कि उनमें जमानत देने की संभावना नहीं बनती। इस फैसले के पीछे न्यायाधीश की यह दलील थी कि ऐसे मामले में जमानत देना समाज के लिए सुरक्षा की दृष्टि से उचित नहीं है। यही कारण है कि अब उच्च न्यायालय में सुनवाई की जाने वाली है।
राजनीतिक प्रभाव
इस मामले का राजनीतिक अंश भी बहुत महत्वपूर्ण है। सांसद राशिद की जमानत पर सुनवाई का परिणाम उनके निर्वाचन क्षेत्र में बड़ा असर डाल सकता है। यदि उन्हें जमानत मिलती है, तो यह उनके साथ-साथ उनके समर्थकों के लिए एक बड़ी जीत होगी। दूसरी ओर, यदि जमानत खारिज होती है, तो यह उनके राजनीतिक करियर के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है।
समापन
आज की सुनवाई राजनीति और न्याय के बीच के जटिल संबंधों का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। सांसद राशिद की जमानत पर निर्णय से राजनीतिक परिदृश्य में भी बदलाव आ सकता है। इस मामले में सभी पक्षों की नजरें अब उच्च न्यायालय पर टिकी हुई हैं। जमानत का फैसला क्या होगा, यह तो समय ही बताएगा।
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