स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र:स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन रहता है; अच्छे विचार तभी आएंगे, जब मन में प्रसन्नता होगी
स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन रहता है। इसलिए हमारे महापुरुषों ने कहा है कि भौर का जागरण, व्यायाम, योग-प्राणायाम और शारीरिक श्रम करते रहना चाहिए, इससे हमारा तन और मन स्वस्थ रहता है। अच्छे विचार तभी आएंगे, मन में प्रसन्नता होगी और जब तन स्वस्थ होगा। इसलिए जहां हम केवल मन की शांति की चिंता कर रहे हैं, वहां हमें तन के स्वास्थ्य की भी चिंता करनी चाहिए। शरीर को अच्छा भोजन दें। हमारा आहार सात्विक हो, हमें आहार-विहार, निहार के प्रति सजग रहें। आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए किन कारणों से रोग बढ़ते हैं? आज का जीवन सूत्र जानने के लिए ऊपर फोटो पर क्लिक करें।
स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र: स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन रहता है; अच्छे विचार तभी आएंगे, जब मन में प्रसन्नता होगी
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लेखिका: साक्षी शर्मा, टीम नीतानागरी
परिचय
स्वामी अवधेशानंद जी गिरि, भारतीय संत और ध्यान गुरु, जिनकी शिक्षा और विचार समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का कार्य करते हैं। उनका यह जीवन दर्शन न केवल आध्यात्मिकता से भरा है, बल्कि यह हमें स्वस्थ जीवन जीने की प्रेरणा भी देता है। उनकी उपरोक्त उक्ति: "स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन रहता है; अच्छे विचार तभी आएंगे, जब मन में प्रसन्नता होगी" हमें यह समझाती है कि संतुलित जीवन के लिए मानसिक और शारीरिक सेहत कितनी महत्वपूर्ण है।
स्वस्थ तन का महत्व
स्वामी जी का मानना है कि एक स्वस्थ शरीर ही हमें मानसिक शांति और प्रसन्नता दे सकता है। जब शरीर स्वस्थ होता है, तब मन भी सकारात्मक विचारों की ओर आकर्षित होता है। इसके लिए नियमित व्यायाम, सही आहार और पर्याप्त नींद आवश्यक है। उनका यह विचार जीवनशैली में सुधार के लिए एक प्रेरक तत्व है।
प्रसन्नता और अच्छे विचार
स्वामी जी का यह कथन यह भी बताता है कि मन की प्रसन्नता से ही अच्छे विचार जन्म लेते हैं। जब हम अपने मन को खुश रखते हैं, तब हमारे विचार भी सकारात्मक रहते हैं। इसके लिए ध्यान और मेडिटेशन जैसी तकनीकें बहुत मददगार साबित होती हैं। स्वामी जी का अभ्यास यह है कि दैनिक जीवन में प्रसन्नता लाने के लिए हमें छोटे-छोटे क्षणों का आनंद लेना चाहिए।
स्वामी जी का योग और ध्यान
स्वामी अवधेशानंद जी गिरि योग और ध्यान के माध्यम से मानसिक तनाव को दूर करने पर जोर देते हैं। उन्होंने अपने अनुयायियों को सिखाया है कि योग के विभिन्न आसनों से न केवल शरीर बल्कि मन को भी शांति मिलती है। ध्यान के जरिए मन को एकाग्र करने की कला सिखाते हुए वह कहते हैं कि यह किसी भी व्यक्ति की दैनिक दिनचर्या में शामिल होना चाहिए।
समाज में सकारात्मक बदलाव
स्वामी जी ने अपने विचारों और शिक्षाओं के माध्यम से समाज में व्यापक बदलाव लाने का कार्य किया है। उनके अनुयायी न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य को अपनाते हैं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार लाते हैं। उनका मानना है कि जब हम स्वयं को स्वस्थ और प्रसन्न रखते हैं, तब हम समाज में सकारात्मक प्रभाव डालने में सक्षम होते हैं।
निष्कर्ष
स्वामी अवधेशानंद जी की शिक्षाएँ हम सभी को एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं। उनके विचार और जीवन सूत्र यह बताते हैं कि हमें हमेशा स्वस्थ रहने का प्रयास करना चाहिए, जिससे अच्छे विचार और सकारात्मकता का प्रवाह जारी रह सके। चलिए, हम सभी स्वामी जी के विचारों को अपने जीवन में स्थान देकर एक खुशहाल समाज की दिशा में कदम बढ़ाएँ।
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