रिलेशनशिप- पुरुषों को दोस्ती करने में क्यों होती है मुश्किल:महिलाएं आसानी से बनातीं दोस्त, साइकोलॉजिस्ट की 5 जरूरी सलाह
सर्वे सेंटर ऑन अमेरिकन लाइफ में पब्लिश्ड एक स्टडी के मुताबिक, महिलाएं नए दोस्त बनाने में माहिर होती हैं। इसके साथ ही वे अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त करती हैं, जिससे उनके रिश्ते मजबूत होते हैं। वहीं, पुरुष अक्सर अपनी भावनाओं साझा नहीं कर पाते हैं, जिसकी वजह से उन्हें गहरे और मजबूत रिश्ते बनाने में कठिनाई होती है। जबकि हम सबको एक अच्छे दोस्त की जरूरत होती है, जो हमारे सुख-दुख में हमेशा साथ खड़ा रहे। अच्छी दोस्ती से हमें अपनापन और खुशी मिलती है, जिससे तनाव कम होता है। महिलाएं आमतौर पर इस बात को बेहतर समझती हैं। वहीं, पुरुषों के लिए भावनाएं साझा करना और अपनी कमजोरियां जाहिर करना मुश्किल होता है। क्या आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं? ऐसे में आज रिलेशनशिप कॉलम में जानेंगे कि- पुरुषों को दोस्ती करने में क्यों कठिनाई होती है? दोस्ती के कई गुण जैसे दोस्त का ख्याल रखना, भावनाएं साझा करना और बातचीत करना महिलाओं से ही जुड़े माने जाते हैं। सर्वे सेंटर ऑन अमेरिकन लाइफ में पब्लिश्ड एक स्टडी के मुताबिक, लगभग आधी महिलाएं अपनी भावनाएं दोस्तों से साझा करती हैं, जबकि पुरुषों में यह संख्या कम है। आइए इन कारणों को ग्राफिक के जरिए समझते हैं। सामाजिक और सांस्कृतिक दबाव: समाज में पुरुषों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे आत्मनिर्भर, मजबूत और अपनी भावनाओं को छिपाने में माहिर हों। इस दबाव के कारण पुरुष रिश्तों के बारे में कम बोलते हैं। ऐसे में दोस्ती के गहरे स्तर तक नहीं पहुंच पाते हैं। उन्हें डर होता है कि अपनी भावनाओं या कमजोरियों को दिखाने से उनकी 'पुरुषत्व' पर सवाल उठ सकता है। भावनाओं को छिपाने की आदत: पुरुषों को अक्सर यह सिखाया जाता है कि भावनाओं को कंट्रोल करना चाहिए और उन्हें दूसरों से नहीं साझा करना चाहिए। इस आदत के कारण वे अपनी भावनाओं को दबाते हैं और अक्सर दोस्ती में खुलेपन और ईमानदारी से काम नहीं कर पाते हैं। प्लेटोनिक रिश्तों से बचने की कोशिश: पुरुषों के प्लेटोनिक रिश्तों को गंभीरता से नहीं लिया जाता। समाज में यह धारणा है कि पुरुषों में दोस्ती के रिश्ते सिर्फ बाहरी गतिविधियों तक ही सीमित रहते हैं। जैसे घूमना-फिरना, गप्पे लड़ाना, ड्रिंक्स शेयर करना आदि। अगर किसी पुरुष का अपने दोस्त से इमोशनल कनेक्शन बढ़ने लगे तो उसे कमजोर समझा जाता है। इस कारण से पुरुष भावनात्मक दोस्ती के रिश्तों से बचते हैं। मदद मांगने से बचने की कोशिश: पुरुषों में यह मानसिकता होती है कि उन्हें अपनी समस्याओं का हल खुद ही ढूंढना है। उन्हें किसी से मदद नहीं लेनी चाहिए। इस कारण वे अपने दोस्तों से भी मदद मांगने से कतराते हैं, जिससे दोस्ती में सहयोग और समर्थन की कमी रह जाती है। दोस्ती के मामले में पुरुषों को महिलाओं से क्या सीखने की जरूरत है? महिलाओं में इमोशंस को समझने और उन्हें जाहिर करने के गुण पुरुषों की तुलना में बेहतर होते हैं। विली ऑनलाइन लाइब्रेरी में पब्लिश्ड स्टडी के मुताबिक, महिलाओं में ऑक्सीटोसिन हार्मोन ज्यादा होता है, जिससे वे दोस्ती को बेहतर समझती हैं और ज्यादा महत्व देती हैं। हालांकि, इन सबके बावजूद पुरुषों को महिलाओं से कई बातें सीखने की जरूरत है। आइए इसे ग्राफिक के जरिए समझते हैं। खुलापन और संवेदनशीलता: महिलाओं को समाज में यह सिखाया जाता है कि वे अपनी भावनाओं और विचारों को साझा करें। ऐसे में वे अपने दोस्तों के साथ मजबूत रिश्ते बनाती हैं। महिलाओं के रिश्ते अक्सर इस आधार पर होते हैं कि वे एक-दूसरे के साथ अपनी खुशियां, दुख, मुश्किलें और कमजोरियां साझा करती हैं। पुरुषों को महिलाओं से यह सीखने की जरूरत है। भावनाओं का खुलकर आदान-प्रदान: महिलाएं दोस्तों के साथ अपनी परेशानियों पर खुलकर बातचीत करती हैं। इससे वे एक-दूसरे के साथ बेहतर तरीके से जुड़ पाती हैं। पुरुषों को भी इस आदत को अपनाना चाहिए, ताकि वे भी अपने दोस्तों के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ सकें। सहानुभूति और समझ: महिलाएं एक-दूसरे की भावनाओं और कठिनाइयों को समझती हैं और साथ ही सहानुभूति दिखाती हैं। वे अपने दोस्तों के साथ समय बिताकर उनकी परेशानियों का समाधान ढूंढ़ने की कोशिश करती हैं। पुरुषों को भी अपनी भावनाओं को साझा करने और दूसरों के दृष्टिकोण को समझने की आवश्यकता है, जिससे वे अपने रिश्तों में सहानुभूति ला सकें। कमजोरियों को स्वीकार करना: महिलाएं अपनी कमजोरियों को स्वीकार करती हैं और दूसरों से मदद लेने में संकोच नहीं करतीं। इससे उनके रिश्तों में भरोसा और आत्मीयता बढ़ती है। ऐसे में पुरुषों को भी अपनी कमजोरियों को स्वीकारने की जरूरत है। सामाजिक दबाव से मुक्त होना: महिलाओं के रिश्तों में अधिक खुलापन और सहजता होती है। समाज में उन पर अपनी भावनाओं को छिपाने दबाव नहीं होता है। पुरुषों को इस सामाजिक दबाव को तोड़ने की आवश्यकता है और यह समझने की जरूरत है कि भावनाओं को व्यक्त करना उनकी मर्दानगी को नहीं घटाता, बल्कि इससे वे मजबूत बनाते हैं। पुरुष कैसे अपनी दोस्ती को मजबूत बना सकते हैं? खुलकर बातचीत करना शुरू करें: पुरुषों को अपनी भावनाओं, विचारों और अनुभवों को खुले दिल से अपने दोस्तों के साथ साझा करना चाहिए। इससे उनके बीच एक मजबूत भावनात्मक कनेक्शन बनेगा। इसकी शुरुआत छोटे कदमों से करें, जैसे किसी समस्या या व्यक्तिगत अनुभव पर बात करना, जिससे एक दूसरे के बीच विश्वास पैदा हो। समान रुचियों पर आधारित गतिविधियां: दोस्ती को मजबूत बनाने के लिए कॉमन पसंद की फिल्में देखें, घूमने जाएं। साथ ही साझा रुचियों जैसे खेल, फिटनेस, यात्रा या अन्य गतिविधियों का सहारा लेना चाहिए। एक-दूसरे का भावनात्मक सहारा बनना: दोस्ती में भावनात्मक समर्थन बहुत महत्वपूर्ण होता है। जब आप अपने दोस्त की भावनाओं को समझते हैं और उसे सहारा देते हैं, तो यह रिश्ते को मजबूत बनाता है। सहानुभूति का अभ्यास करें: सहानुभूति दिखाना किसी भी रिश्ते में जरूरी है। जब पुरुष अपने दोस्तों की समस्याओं और भावनाओं को समझने की कोशिश करते हैं, तो यह रिश्ते को गहरा बनाता है।

रिलेशनशिप- पुरुषों को दोस्ती करने में क्यों होती है मुश्किल:महिलाएं आसानी से बनातीं दोस्त, साइकोलॉजिस्ट की 5 जरूरी सलाह
परिचय
क्या आपने कभी सोचा है कि पुरुषों के लिए दोस्ती करना क्यों मुश्किल हो जाता है? वहीं, महिलाएं इस मामले में अधिक सहज और खुली होती हैं। इस लेख में हम समझेंगे कि पुरुषों को दोस्ती बनाने में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही, हम जानेंगे कुछ साइकोलॉजिस्ट की प्रमुख सलाह, जो दोनों जेंडर के लोगों को दोस्ती में मदद कर सकती है। इस पर अधिक जानने के लिए पढ़ें। यह लेख 'खर्चा पानी' द्वारा प्रस्तुत किया गया है। टीम नेटानागरी के लेखकों द्वारा लिखा गया।
मिशनरी मनोविज्ञान का प्रभाव
पुरुषों और महिलाओं की सोच, उनके अनुभव और सामाजिक व्यवहार में अंतर होता है। पुरुष अक्सर यह सोचते हैं कि उन्हें अपनी भावनाओं को प्रकट करने में कठिनाई होती है। उनके लिए दोस्ती केवल हंसी-मजाक और खेल तक सीमित होती है। जबकि महिलाएं अपने विचारों और भावनाओं को साझा करने में सहज होती हैं। यह मनोविज्ञान का अभिन्न हिस्सा है और पुरुषों की मित्रता में इस का प्रभाव स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है।
पुरुषों के लिए दोस्ती में प्रमुख चुनौतियाँ
बात करें अगर पुरुषों की दोस्ती बनाने में रुकावटों की, तो इनमें कुछ महत्वपूर्ण कारण शामिल हैं:
- भावनाओं का दमन: कई पुरुष अपनी भावनाओं को साझा करने में असहज महसूस करते हैं।
- प्रतीक्षा की प्रवृत्ति: वे अक्सर दूसरे की ओर से पहल का इंतज़ार करते हैं।
- प्रतिभागिता का अभाव: समूह गतिविधियों में हिस्सा लेने में झिझकना।
- विवशता का अहसास: सामाजिक दबाव या परंपरागत सोच के कारण।
- दौड़ में रुचि: समाज में मान्यता प्राप्त करने की इच्छा में सहमति और दोस्ती में कमी।
महिलाओं के लिए दोस्ती आसान क्यों?
महिलाएं आमतौर पर अधिक संवेदनशील और भावनात्मक रूप से जुड़ी होती हैं। यह उन्हें दूसरे लोगों से आसानी से जुड़ने में मदद करता है। महिलाएं आमतौर पर बातचीत के दौरान एक दूसरे के विचारों का सम्मान करती हैं और अपने अनुभव साझा करने में खुलती हैं। यह उन्हें गहरे और सार्थक संबंध बनाने में सहायता करता है।
साइकोलॉजिस्ट की 5 जरूरी सलाह
यहां पर कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं, जो पुरुषों को दोस्ती बनाने में मदद कर सकते हैं:
- भावनाओं को व्यक्त करें: अपनी भावनाओं का सही रूप से संप्रेषण करें।
- हल्के में लें: दोस्तों से छोटी-छोटी बातें शेयर करना शुरू करें।
- गतिविधियों में भाग लें: समूह गतिविधियों में शामिल हों, जिससे संपर्क बढ़े।
- समर्पण दिखाएं: दोस्ती के लिए समय और प्रयास डालें।
- खुले रहें: नई दोस्ती के लिए अपने मन में सकारात्मकता रखें।
निष्कर्ष
दोस्ती के संबंध में प्रतिकूलताओं को समझने से पुरुषों को बेहतर तरीके से संवाद और संबंध बनाने में मदद मिल सकती है। हालांकि, हर व्यक्ति का अनुभव अलग है, और इसे सम्मानित किया जाना चाहिए। उम्मीद है कि उपर्युक्त सुझावों से आपके दोस्ती बनाने की प्रक्रिया को सरल बनाया जा सकेगा।
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