1 रुपए में 65 पैसे कर्ज, शिक्षा, वेतन-पेंशन पर खर्च:GST के बाद शराब, पेट्रोल-डीजल से ज्यादा कमाई; अपने पैसे का हिसाब जानिए...

पंजाब सरकार के बजट के आंकड़े अगर आपकी समझ से बाहर हो रहे हैं तो हम इन्हें आसान भाषा में समझा देते हैं। सरकार ने कितना बजट बनाया है? ये पैसा कहां से लाएगी? कहां सबसे ज्यादा खर्च करेगी? आपको बजट में क्या मिल रहा है? ये सब आप आसानी से समझ पाएंगे। वित्त मंत्री के रूप में हरपाल चीमा ने चौथा बजट पेश किया। पंजाब को बदलने की थीम पर पंजाब सरकार अगले वित्त वर्ष तक 2.36 लाख करोड़ रुपए खर्च करेगी। यह पैसा नशे के खात्मे, बिजली सब्सिडी, शिक्षा, एग्रीकल्चर, इंडस्ट्री जैसे मुख्य सेक्टरों के अलावा शहरों व गांवों के विकास पर खर्च के लिए रखा गया है। मगर, बजट में सबसे ज्यादा खर्च वेतन,पेंशन और कर्ज का ब्याज चुकाने पर हो रहा है। सरकार 1 रुपए में 65 पैसे शिक्षा, वेतन, पेंशन और कर्ज चुकाने में खर्च कर रही है। इसके अलावा मुफ्त की बिजली योजना (घरेलू व कृषि) को पूरा करने के लिए सरकार पर 17 हजार 606 करोड़ से ज्यादा का आर्थिक बोझ है। पंजाब योजनाओं को पूरा करने के लिए इतना कर्ज ले रहा है कि ये बजट से लगभग डेढ़ गुना है। पंजाब सरकार पर 3 लाख 74 हजार 737 करोड़ का कर्ज है। वहीं प्रति व्यक्ति के हिस्से 1.24 लाख रुपए का कर्ज आता है। केंद्र से राज्यों को कैसे मिलता है टैक्स प्रदेश को केंद्र से मिलने वाला टैक्स और मदद का हिस्सा फिक्स होता है। पहले राज्य सरकारें अपने स्तर पर कई अप्रत्यक्ष कर वसूलती थीं, लेकिन GST लागू होने के बाद अप्रत्यक्ष कर के संग्रह में भी केंद्र की हिस्सेदारी बढ़ी है। हालांकि, राज्यों को राजस्व में नुकसान के मुआवजे के तौर पर केंद्र टैक्स देता है। किसी राज्य को केंद्रीय करों में से कितना हिस्सा मिलेगा, इसकी सिफारिश वित्त आयोग करता है। संविधान के अनुच्छेद-280 में वित्त आयोग बनाने का प्रावधान है। राज्यों को केंद्रीय करों में हिस्सा डेमोग्राफिक परफॉर्मेंस, इनकम, आबादी, जंगल, इकोलॉजी और कर जुटाने के साथ-साथ घाटा कम करने के लिए किए गए प्रयासों को देखकर दिया जाता है। वहीं, केंद्र से राज्य सरकार को मिलने वाली मदद भी फिक्स है। फिर राज्य की अपनी कमाई कहां से होती है? इसे नीचे दी गई स्लाइड से समझिए... अब समझते हैं कि पैसा कहां खर्च करती है सरकार सवाल ये उठाता है कि अगर सरकार बजट में एक रुपया खर्च करने का प्लान करती है तो ये एक रुपया बंटता कैसे है यानी जाता कहां है। इसे ऐसे समझिए...अगर सरकार ने बजट में 1 रुपए रखा है तो उसमें से 65 पैसे वेतन, पेंशन, कर्ज चुकाने, शिक्षा और बिजली सब्सिडी पर खर्च हो रहे हैं। बाकी बचे 35 पैसे हेल्थ और अन्य सेक्टर में खर्च हो रहे। सरकार खर्च करने के लिए पैसे का भी इंतजाम करती है। ये पैसा स्टेट जीएसटी (SGST), वैट, शुल्क और शराब बेचने से मिलने वाले टैक्स से आता है। सबसे ज्यादा पैसा स्टेट जीएसटी से मिलता है। ये बजट का 26.49% यानी लगभग ₹8 लाख 91 हजार 301 करोड़ बनता है। इसी तरह शराब ठेकों की नीलामी से सरकार को 10,576 करोड़ रुपए मिलते हैं। यानी कुल बजट का 4.48% पैसा एक्साइज से आता है। पंजाब सरकार पर बजट से ज्यादा कर्ज पंजाब लगातार कर्ज में डूबता जा रहा है। AAP सरकार के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने 2026-26 के बजट में राज्य पर कर्ज की स्थिति बताई है। बजट डॉक्यूमेंट के अनुसार राज्य पर 3 लाख 74 हजार 737 करोड़ रुपए कर्ज है जो पिछले साल यानी 2024 की तुलना में 25,927 करोड़ रुपए बढ़ा है। मौजूदा समय में पंजाब पर जीएसडीपी का 42.05 फीसदी कर्ज है। पंजाब की जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 3 करोड़ है जिस हिसाब से प्रत्येक व्यक्ति 1 लाख 24 हजार 912 का कर्जाई है। हालांकि ये कर्ज सरकार द्वारा ली गई उधारी के कारण है, न कि पर्सनल कर्ज है। फ्री योजनाएं पूरी करने के चक्कर में बढ़ रहा कर्ज पंजाब में ये कर्ज विभिन्न तरह की योजनाओं को पूरा करने के लिए लिया जा रहा है। एक बड़े खर्च के रूप में बिजली सब्सिडी पर 17,606 करोड़ रुपए जा रहे हैं। इसमें सरकार किसानों को ट्यूबवेल के लिए और घरेलू बिजली मुफ्त दे रही है। वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने बताया कि पंजाब में 90 फीसदी लोग मुफ्त बिजली का लाभ उठा रहे हैं। इसके अलावा महिलाओं की मुफ्त बस यात्रा पर भी बड़ा पैसा खर्च हो रहा है। वित्त मंत्री के अनुसार 2024-25 में पंजाब में महिलाओं ने 12 करोड़ की यात्रा फ्री में की हैं।

Mar 26, 2025 - 15:34
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1 रुपए में 65 पैसे कर्ज, शिक्षा, वेतन-पेंशन पर खर्च:GST के बाद शराब, पेट्रोल-डीजल से ज्यादा कमाई; अपने पैसे का हिसाब जानिए...

1 रुपए में 65 पैसे कर्ज, शिक्षा, वेतन-पेंशन पर खर्च:GST के बाद शराब, पेट्रोल-डीजल से ज्यादा कमाई; अपने पैसे का हिसाब जानिए...

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लेखिका: सृष्टि सी., निहारिका रावत, टीम नेटानगरी

संक्षिप्त परिचय: इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे प्रति 1 रुपए में 65 पैसे का खर्च शिक्षा, वेतन और पेंशन पर होने के बाद भी सरकार ने शराब और पेट्रोल-डीजल से अधिक राजस्व जुटाया है।

भारत में बढ़ता कर्ज और खर्च: एक विस्तृत नज़र

वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों का सामना कर रही है। बढ़ता कर्ज, शिक्षा और वेतन-पेंशन के बढ़ते खर्चों के बीच सरकार ने कुछ सख्त कदम उठाए हैं। 1 रुपए में 65 पैसे का कर्ज और प्रशासनिक खर्च ने चिंताओं को जन्म दिया है। इससे स्पष्ट हो रहा है कि हमारा आर्थिक ढांचा कैसे कठिनाइयों से गुजर रहा है।

GST के प्रभाव: शराब और पेट्रोल-डीजल से ज्यादा कमाई

गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) लागू होने के बाद से सरकार ने इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाकर अद्भुत वृद्धि की है। रिपोर्टों के अनुसार, शराब और पेट्रोल-डीजल पर सरकार की कमाई में वृद्धि हुई है। यह स्थिति उन लोगों के लिए सोचने का विषय है, जो इस खर्च को नियंत्रित करना चाहते हैं और अपने पैसे को समझदारी से खर्च करना चाहते हैं।

शिक्षा, वेतन और पेंशन: क्या है स्थिति?

शिक्षा पर सरकारी खर्च लगातार बढ़ रहा है। 65 पैसे प्रति 1 रुपए का खर्च शिक्षा से संबंधित योजनाओं और वेतन-पेंशन पर होता है। इस तरह का खर्च हमारे देश के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए आवश्यक है, परंतु हमें इसे नियंत्रित करने की आवश्यकता है। क्या सही मायने में इन योजनाओं का लाभ जनता तक पहुँच रहा है? यह एक बड़ा सवाल है।

अपनी वित्तीय स्थिति जानें: टिप्स और सुझाव

हर व्यक्ति को चाहिए कि वह अपनी वित्तीय स्थिति को समझे और खर्चों पर ध्यान दें। सभी को अपने कमाए हुए धन का सही स्थान पर उपयोग करना चाहिए। सरकारी खर्चों के इस चक्र में, हमें व्यक्तिगत फाइनेंस मैनेजमेंट को भी एक प्राथमिकता देनी चाहिए। जैसे ही हम अपना बजट बनाना शुरू करेंगे, हमें अपनी जरूरतें और इच्छाओं के बीच संतुलन बनाना होगा।

निष्कर्ष: सतर्कता और समझदारी से खर्च करें

इस लेख ने दिखाया है कि किस तरह से हम 1 रुपए में 65 पैसे के खर्च का सामना कर रहे हैं, जबकि शिक्षा, वेतन और पेंशन जैसे आवश्यक क्षेत्रों पर भारी बोझ देखा जा रहा है। हमें अपने पैसे का सही तरीके से हिसाब रखना चाहिए। सतर्कता और समझदारी से खर्च करना केवल हमारे लिए ही नहीं, बल्कि हमारे देश के लिए भी आवश्यक हो गया है।

फिर भी, हर व्यक्ति को अपने व्यक्तिगत वित्त की समझ होना चाहिए ताकि वह अन्य सभी खर्चों के बीच संतुलन बना सके। इस दिशा में कई उपाय और योजनाएं सरकार द्वारा भी चल रही हैं। यदि आप और अधिक जानकारी चाहते हैं, तो kharchaapani.com पर जाएं।

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