नेपाल में हिंसक प्रदर्शन, दो की मौत:105 प्रदर्शनकारी गिरफ्तार, इनमें प्रजातंत्र पार्टी के नेता भी; काठमांडू के कुछ इलाकों से कर्फ्यू हटा

नेपाल में राजशाही की मांग को लेकर शुक्रवार को हुए हिंसक प्रदर्शन में दो लोगों की मौत हो गई। हिंसा को बढ़ावा देने, प्राइवेट प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने और आगजनी करने के आरोप में पुलिस ने 105 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के उपाध्यक्ष रबिंद्र मिश्र, जनरल सेक्रेटरी धवल शमशेर राणा शामिल हैं। इसके अलावा स्वागत नेपाल, शेफर्ड लिंबू और संतोष तमांग जैसे राजशाही का समर्थन करने वाले कार्यकर्ता समेत 17 अन्य नेता भी शामिल हैं। गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, प्रदर्शन के प्रमुख आयोजक नवराज सुबेदी को हाउस अरेस्ट में रखा गया है। वहीं, इस प्रदर्शन के चीफ कमांडर दुर्गा परसाई की तलाश की जा रही है। 40 से ज्यादा नेपाली संगठनों के प्रदर्शनकारियों ने शुक्रवार को काठमांडू के तिनकुने में एक इमारत में तोड़फोड़ करने के बाद उसे आग के हवाले कर दिया था। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थर भी फेंके, जिसके जवाब में सुरक्षाकर्मियों को आंसू गैस के गोले दागने पड़े। प्रदर्शन की तस्वीरें... काठमांडू में कर्फ्यू हटाया गया शुक्रवार को प्रशासन ने काठमांडू में कर्फ्यू लागू कर और सेना की तैनाती कर दी थी। शनिवार सुबह हालात में सुधार होने के बाद काठमांडू के पूर्वी हिस्से से कर्फ्यू हटा दिया गया है। प्रदर्शनकारियों ने सरकार को एक हफ्ते का अल्टीमेटम दिया शुक्रवार को प्रदर्शनकारी 'राजा आओ देश बचाओ', 'भ्रष्ट सरकार मुर्दाबाद' और 'हमें राजशाही वापस चाहिए' जैसे नारे लगा रहे थे। उन्होंने सरकार को एक हफ्ते का अल्टीमेटम दिया है। उनका कहना है कि अगर उनकी मांगों पर एक्शन नहीं लिया गया तो और ज्यादा उग्र विरोध प्रदर्शन होगा। नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र ने 19 फरवरी को प्रजातंत्र दिवस पर लोगों से समर्थन मांगा था। इसके बाद से ही देश में ‘राजा लाओ, देश बचाओ’ आंदोलन को लेकर तैयारियां चल रही थीं। किंग ज्ञानेंद्र पर परिवार के नरसंहार के आरोप नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह पर 1 जून, 2001 को हुए नारायणहिति हत्याकांड में अपने परिवार के सदस्यों की हत्या का आरोप लगा है। इस घटना में राजा वीरेंद्र, रानी ऐश्वर्या सहित शाही परिवार के 9 लोगों की मौत हुई थी। आधिकारिक तौर पर युवराज दीपेंद्र को इस हत्याकांड के लिए जिम्मेदार ठहराया गया। हालांकि, कई लोगों का मानना है कि ज्ञानेंद्र ने सत्ता हासिल करने के लिए यह षड्यंत्र रचा, क्योंकि उस रात वे महल में मौजूद नहीं थे और उनके परिवार को कोई नुकसान नहीं हुआ। इस रहस्यमयी हत्याकांड के पीछे सच्चाई आज भी विवादास्पद बनी हुई है। 87 साल के नवराज सुवेदी कर रहे आंदोलन का नेतृत्व आंदोलन का नेतृत्व नवराज सुवेदी कर रहे हैं। वे राज संस्था पुनर्स्थापना आंदोलन से जुड़े हुए हैं। इसका मकसद नेपाल में राजशाही को बहाल करना है। दरअसल, नेपाल में साल 2006 में राजशाही के खिलाफ विद्रोह तेज हो गया था। कई हफ्तों तक चले विरोध प्रदर्शन के बाद तत्कालीन राजा ज्ञानेंद्र को शासन छोड़कर सभी ताकत संसद को सौंपनी पड़ी। लेकिन अब नेपाल की जनता देश में फैले भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और बार-बार सत्ता परिवर्तन से परेशान हो गई है। सुवेदी का नाम तब सुर्खियों में आया जब पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह ने उन्हें इस आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए उनका नाम आगे बढ़ाया। हालांकि, उनके इस नेतृत्व को लेकर नेपाल के प्रमुख राजवादी दलों, जैसे राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (राप्रपा) और राप्रपा नेपाल, में कुछ असंतोष देखा गया है। नवराज सुबेदी ने कहा, “हम अपनी मांगें शांतिपूर्ण तरीके से रख रहे हैं, लेकिन अगर हमें सकारात्मक जवाब नहीं मिला तो हमें प्रदर्शन तेज करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। हमारा आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि हमारा मकसद पूरा नहीं हो जाता।” नेपाली राजपरिवार के नरसंहार की कहानी… तारीख 1 जून। दिन शुक्रवार। जगह काठमांडू में नारायणहिती पैलेस। पैलेस के गार्डेन में एक पार्टी चल रही थी। नेपाल के राजपरिवार में हर सप्ताह ऐसी पार्टियां होती थीं। पार्टी में राजपरिवार के सभी मेंबर्स थे। छोटे बच्चों से लेकर बड़े बूढे़ सभी। इसमें से एक राजकुमार दीपेंद्र भी थे। वो शाम 6.45 बजे पार्टी में पहुंच चुके थे और पास ही एक कमरे में बिलियर्ड्स खेल रहे थे। थोड़ी देर में महारानी एश्वर्या तीन ननदों के साथ पहुंचीं। महाराजा बीरेंद्र भी एक पत्रिका को इंटरव्यू देकर थोड़ी देर से पहुंच गए। दीपेंद्र के चचेरे भाई राजकुमार पारस भी मां और पत्नी के साथ पहुंचे हुए थे। पार्टी में सब हंसी खुशी से मशगूल थे, लेकिन राजकुमार दीपेंद्र के साथ सब सामान्य नहीं था। उन्होंने इतनी ज्यादा शराब पी ली थी कि ठीक से खड़े भी नहीं हो पा रहे थे। नशे में लड़खड़ा कर गिरे तो उनके छोटे भाई निराजन और चचेरे भाई पारस ने कुछ लोगों की मदद से उन्हें उनके कमरे में पहुंचाया। थोड़ी देर बाद दीपेंद्र आर्मी की वर्दी पहनकर कमरे से बाहर निकले। उनके एक हाथ में जर्मन मशीन गन MP5K थी और दूसरे हाथ में कोल्ट M16 राइफल थी। एक 9MM पिस्टल भी उनकी पैंट में लगी थी। दीपेंद्र को इस हाल में बाहर आते देख पार्टी में मौजूद लोग हैरान रह गए। दीपेंद्र आगे बढ़े और पिता बीरेंद्र शाह की ओर देखा। कोई कुछ समझ पाता तब तक दीपेंद्र ने मशीन गन पिता की तरफ कर ट्रिगर दबा दिया। कुछ सेकेंड बाद नेपाल के महाराजा जमीन पर पड़े थे। दीपेंद्र के चाचा उन्हें रोकने के लिए बढ़े, लेकिन दीपेंद्र ने पॉइंट ब्लैक रेंज से उनके सिर में गोली मार दी। गोली उनके सिर को छेदते हुए पार कर गई। दीपेंद्र कमरे से निकलकर गार्डन में गए। अब तक वहां मौजूद लोगों को अनहोनी का अंदाजा लग चुका था। महारानी एश्वर्या उनके पीछे भागीं, छोटे भाई प्रिंस निराजन भी मां के साथ दौड़े। पर दीपेंद्र ने पहले अपनी मां और फिर भाई निराजन को भी गोली से छलनी कर दिया। 3 से 4 मिनट में दीपेंद्र 12 लोगों पर गोली चला चुके थें। आखिर में गार्डन से होते हुए बाहर तालाब पर बने ब्रिज पर खड़े हुए और जोर-जोर से चीखने लगे। फिर खुद को भी

Mar 29, 2025 - 13:34
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नेपाल में हिंसक प्रदर्शन, दो की मौत:105 प्रदर्शनकारी गिरफ्तार, इनमें प्रजातंत्र पार्टी के नेता भी; काठमांडू के कुछ इलाकों से कर्फ्यू हटा

नेपाल में हिंसक प्रदर्शन, दो की मौत:105 प्रदर्शनकारी गिरफ्तार, इनमें प्रजातंत्र पार्टी के नेता भी; काठमांडू के कुछ इलाकों से कर्फ्यू हटा

Kharchaa Pani

लेखक: सुमिता वर्मा, नेहा गुप्ता

टीम नेतानागरी

उस दिन की घटनाएँ

नेपाल में हाल ही में हुए हिंसक प्रदर्शनों ने देश में एक बार फिर से राजनीतिक परिस्थितियों को हिला कर रख दिया है। काठमांडू के कुछ इलाकों में विगत शनिवार को प्रदर्शनकारियों द्वारा की गई तोड़-फोड़ और मोर्चा खोलने के कारण दो लोगों की मौत हो गई। यह प्रदर्शन प्रजातंत्र पार्टी के नेता अजय थापा की गिरफ्तारी के खिलाफ हुए थे। उन्हें उन पर गंभीर आरोप लगे थे, जिससे समर्थकों में भारी आक्रोश बढ़ा।

प्रदर्शन के कारण और उसकी पृष्ठभूमि

प्रदर्शन में भाग लेने वाले लोगों ने रविवार को एकजुटता दिखाई और उनके मांगों को उजागर किया। प्रजातंत्र पार्टी के नेता थापा की गिरफ्तारी को लेकर लोगों का कहना है कि यह लोकतंत्र पर हमला है। कई लोग यह भी मानते हैं कि सरकार नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन कर रही है। प्रदर्शनकारियों ने, "लोकतंत्र का सम्मान करो" जैसे नारे लगाए। काठमांडू के विभिन्न इलाकों में भारी बवाल मच गया, जिसमें कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया।

सरकार की प्रतिक्रिया और कर्फ्यू

सरकार ने प्रदर्शनकारियों के बढ़ते हुए आक्रोश को नियंत्रित करने के लिए कर्फ्यू लागू किया। हालांकि, रविवार को काठमांडू के कुछ हिस्सों से कर्फ्यू हटा दिया गया। अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि 105 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें से कई प्रजातंत्र पार्टी के युवा नेताओं शामिल हैं। आंतरिक मामलों के मंत्रालय ने इसे कानून-व्यवस्था बनाए रखने का आवश्यक कदम बताया।

स्थानीय नागरिकों की राय

स्थानीय नागरिकों में इस मुद्दे पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं हैं। कुछ लोग सरकार के कदमों का समर्थन कर रहे हैं, जबकि कई लोग प्रदर्शनकारियों के साथ हैं और उनका कहना है कि प्रशासक को सुनना चाहिए। नागरिक समाज के एक प्रतिनिधि ने कहा, "निर्णायक बदलाव की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण क्षण है।" यह देखा जाना बाकी है कि सरकार इस मुद्दे पर कैसे प्रतिक्रिया देती है और क्या आगे और हिंसा बढ़ेगी।

निष्कर्ष

नेपाल में हालात वर्तमान में तनावपूर्ण बने हुए हैं और नागरिकों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। यह घटनाएँ यह दर्शाती हैं कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सशक्त करने के लिए आज की आवश्यकता है। सभी पक्षों को बातचीत के लिए आगे आना चाहिए ताकि समस्या का समाधान किया जा सके। आगे क्या होता है, यह देखने वाली बात होगी।

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