SC में बांग्लादेशी हिंदुओं की सुरक्षा से जुड़ी याचिका खारिज:कोर्ट बोला- दूसरे देश के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी नहीं कर सकते

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मांग करने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी। सुनवाई चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने की। बेंच ने कहा, 'मामला भारत के विदेश नीति से जुड़ा है और भारत की न्यायपालिका इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। किसी दूसरे देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती।' दरअसल, लुधियाना के व्यवसायी राजेश ढांडा ने याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया था कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, जैन और अन्य) की स्थिति बेहद खराब है। याचिका में कहा गया था... ​​​​​​बांग्लादेश में लोकतांत्रिक सरकार के पतन के बाद धार्मिक कट्टरपंथी अल्पसंख्यकों पर तेजी से हमले कर रहें हैं। उनके खिलाफ सामूहिक हत्याएं, अपहरण, संपत्ति छीनना जैसी आपराधिक घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। याचिका में CAA में बदलाव की भी मांग की गई थी इसी याचिका में नागरिकता (संशोधन) कानून, 2019 (CAA) के तहत शरणार्थियों के लिए 31 दिसंबर 2014 की कट-ऑफ तारीख बढ़ाने की मांग भी की गई थी। राजेश ढांडा की मांग थी कि बांग्लादेश में हाल ही में हिंदुओं पर हुए हमलों को देखते हुए यह तारीख बढ़ाई जानी चाहिए, ताकि नए पीड़ितों को भी भारत की नागरिकता मिल सके। याचिका में विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय को निर्देश देने की मांग की गई थी। जिससे बांग्लादेश में भारत के हाई कमिशन को धार्मिक और राज्य प्रायोजित उत्पीड़न का सामना कर रहे प्रभावित हिंदू अल्पसंख्यकों की सहायता की जा सके। .................................... बांग्लादेश से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... बांग्लादेश में 5 महीने में 32 हिंदुओं का मर्डर: 13 से रेप, मंदिरों पर हमले की 133 घटनाएं, अल्पसंख्यक संगठन की रिपोर्ट में दावा बांग्लादेश में लंबे छात्र आंदोलन के बाद शेख हसीना सरकार का तख्तापलट हुआ। हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा। इसके साथ ही बांग्लादेश में हालात बिगड़ गए। पुलिस रातों-रात अंडरग्राउंड हो गई। लॉ एंड ऑर्डर ध्वस्त हो गया। पूरी खबर पढ़ें...

Feb 24, 2025 - 16:34
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SC में बांग्लादेशी हिंदुओं की सुरक्षा से जुड़ी याचिका खारिज:कोर्ट बोला- दूसरे देश के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी नहीं कर सकते

SC में बांग्लादेशी हिंदुओं की सुरक्षा से जुड़ी याचिका खारिज: कोर्ट बोला- दूसरे देश के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी नहीं कर सकते

Kharchaa Pani | लेखिका: प्रिया शर्मा, सुष्मिता रंजन, टीम नेतानागरी

भारत का सर्वोच्च न्यायालय (SC) हाल ही में बांग्लादेशी हिंदुओं की सुरक्षा से संबंधित एक याचिका को खारिज कर दिया। इस याचिका में भारतीय सरकार से बांग्लादेश में रह रहे हिंदू समुदाय की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की मांग की गई थी। अदालत ने इसे खारिज करते हुए कहा कि वह किसी भी अन्य देश के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी नहीं कर सकती।

याचिका का सन्दर्भ

याचिका में यह बताया गया था कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय को विभिन्न प्रकार की हिंसा का सामना करना पड़ता है, और उनके खिलाफ लगातार उत्पीड़न की शिकायतें आ रही हैं। याचिका में भारत सरकार से अपील की गई थी कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करे और बांग्लादेशी हिंदुओं की रक्षा करे।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना भारत का काम नहीं है। यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा, "हम किसी अन्य देश के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी नहीं कर सकते। भारत का संविधान और कानून दूसरे देशों में लागू नहीं होते।" इससे यह स्पष्ट होता है कि कोर्ट अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के जटिल पहेलियों में खुद को नहीं उलझाना चाहता।

चिंताओं का कारण

हालांकि, यह निर्णय बांग्लादेशी हिंदुओं के बारे में कई सवाल उठाता है। उन्हें अपने गृह देश में लगातार बढ़ती असुरक्षा का सामना करना पड़ रहा है। विशेषकर, पिछले कुछ वर्षों में बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कई मामले सामने आए हैं। इसीलिए, याचिकाकर्ताओं की चिंता पूरी तरह समझी जा सकती है।

हालात पर जागरूकता की आवश्यकता

भारत में बांग्लादेशी हिंदुओं के मामलों को लेकर जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। ऐसे मामलों में अंतर्राष्ट्रीयlevel पर बात किए बिना, देश में हो रही हिंसा पर भी ध्यान देना जरूरी होगा। यह भारत के लिए आवश्यक है कि वह अपने पड़ोसी देश में हो रही घटनाओं पर नजर रखे।

निष्कर्ष

बांग्लादेशी हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय कई महत्वपूर्ण सवाल खड़ा करता है। यह साफ है कि किसी भी देश के आंतरिक मामलों में अन्य देशों का हस्तक्षेप जटिल हो सकता है। फिर भी, मानवाधिकारों का सम्मान और सुरक्षा एक जरूरत है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

आगे चलकर हमें यह देखना होगा कि क्या भारत सरकार इस मुद्दे पर कुछ कदम उठाती है या नहीं।

अधिक अपडेट के लिए, खरचा पानी पर जाएं।

Keywords

Supreme Court, Bangladeshi Hindus, security petition, internal matters, human rights, international relations, India, Bangladesh, religious persecution, awareness.

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