ट्रम्प ने USAID के 1600 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला:बाकी को छुट्‌टी पर भेजा; संस्था ने भारतीय चुनाव में 182 करोड़ की फंडिंग दी थी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रविवार को कहा कि वे विदेश में मदद मुहैया कराने वाली एजेंसी USAID के 1600 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल रहे हैं। इसके अलावा बाकी कर्मचारियों को पेड लीव पर भेजा रहा है। यानी वे काम पर नहीं आएंगे लेकिन उन्हें सैलरी मिलती रहेगी। USAID (यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट) में सिर्फ कुछ लीडर्स और दुनियाभर में मौजूद बेहद जरूरी स्टाफ को ही रखा जाएगा। ये वही संस्था है जिसने भारत में चुनाव के दौरान वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए 182 करोड़ रुपए की फंडिंग दी थी। इसे लेकर ट्रम्प बीते एक हफ्ते में पांच बार सवाल उठा चुके हैं। 10 दिन पहले इलॉन मस्क के DoGE विभाग ने भारत को दी जा रही फंडिंग समेत दुनियाभर में दी जा रही 15 अन्य फंडिंग को बंद कर दिया था। केंद्र सरकार बोली- USAID ने देश में 6.5 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट फंड किए इधर, भारत के वित्त मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट में सामने आया है कि USAID ने 2023-2024 के बीच 6,505 करोड़ रुपए से सात प्रोजेक्ट्स फंड किए थे। ये प्रोजेक्ट्स भारत सरकार की पार्टनरशिप में देश में काम कर रहे हैं। इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि USAID ने इन्हीं सात प्रोजेक्ट्स के लिए वित्त वर्ष 2023-2024 में करीब 825 करोड़ रुपए का फंड दिए देने की बात कही थी। वित्त मंत्रालय के तहत डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स ने अपनी रिपोर्ट में 2023-24 में फंड किए गए प्रोजेक्ट्स की डिटेल शेयर की है। इस दौरान वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए कोई फंडिंग नहीं की गई। जिन प्रोजेक्ट्स के लिए फंडिंग की गई वे कृषि और फूड सिक्योरिटी प्रोग्राम, पानी, सफाई और हाईजीन, रिन्यूएबल एनर्जी, डिजास्टर मैनेजमेंट और स्वास्थ्य से जुड़े हैं। अमेरिका-भारत के बीच डेवलपमेंट फंडिंग 1951 से जारी अमेरिका की द्विपक्षीय विकास सहायता भारत के लिए 1951 में शुरू हुई थी। यह मुख्य रूप से USAID के जरिए से भेजी जाती है। इसके शुरू होने के बाद से USAID ने भारत में 555 से अधिक परियोजनाओं के लिए 1.47 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की आर्थिक मदद दी है। ट्रम्प ने लगातार पांचवें दिन चुनावी फंडिंग का मुद्दा उठाया वॉशिंगटन डीसी में कंजर्वेटिव पॉलिटिकल एक्शन कॉन्फ्रेंस (CPAC) में ट्रम्प ने लगातार पांचवे दिन भारत में अमेरिका से दी जा रही चुनावी फंडिंग पर बात की। ट्रम्प ने कहा, 'भारत में चुनावों में मदद के लिए फंडिंग क्यों? क्यों न हम पुरानी पेपर बैलट प्रणाली पर लौट जाएं और उन्हें हमारे चुनावों में मदद करने दें?... उन्हें पैसे की जरूरत नहीं है।' बांग्लादेश में 250 करोड़ रुपए की फंडिंग पर उन्होंने कहा कि राजनीति को मजबूत करने और उनकी मदद करने के लिए दिए जा रहे हैं, ताकि वे एक कट्टरपंथी वामपंथी कम्युनिस्ट को वोट दे सकें। आपको देखना चाहिए कि उन्होंने किसका समर्थन किया।

Feb 24, 2025 - 16:34
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ट्रम्प ने USAID के 1600 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला:बाकी को छुट्‌टी पर भेजा; संस्था ने भारतीय चुनाव में 182 करोड़ की फंडिंग दी थी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रविवार को कहा कि वे विदेश में मदद मुहैया कराने वाली एजेंसी U

ट्रम्प ने USAID के 1600 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला: बाकी को छुट्टी पर भेजा; संस्था ने भारतीय चुनाव में 182 करोड़ की फंडिंग दी थी

Kharchaa Pani

लेखक: सुषमा राय, प्रियंका मिश्रा, टीम नीतानगरी

परिचय

हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने USAID के 1600 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का निर्णय लिया। इस समाचार ने ना केवल अमेरिका में बल्कि भारत में भी हलचल मचा दी है, जहाँ USAID ने भारतीय चुनावों में 182 करोड़ रुपये की फंडिंग की थी। आइए जानते हैं इस निर्णय का क्या असर पड़ेगा और इसके पीछे की संभावित वजहें क्या हो सकती हैं।

USAID और उनका भारतीय चुनावों में योगदान

USAID (अमेरिकी विदेश सहायता निदेशालय) एक सरकारी संस्था है जो प्रमुख देशों में विकासात्मक परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। हाल ही में, उन्होंने भारतीय चुनावों में 182 करोड़ रुपये की फंडिंग दी थी, जो कि लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। लेकिन अब ट्रम्प के इस कदम से यह सवाल उठता है कि क्या यह फंडिंग जारी रहेगी या नहीं। यह फंडिंग विशेष रूप से शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्रों में की गई थी।

ट्रम्प का निर्णय और इसके परिणाम

ट्रम्प ने USAID के कर्मचारियों को निकालने का निर्णय ऐसे समय में लिया है जब अमेरिका का ध्यान आंतरराष्ट्रीय नीतियों की ओर है। अमेरिका में होने वाले आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए, ट्रम्प का यह कदम कई अर्थों में महत्वपूर्ण है। जहाँ एक ओर यह निर्णय कर्मचारियों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, वहीं दूसरी ओर यह उनके समर्थन को भी प्रभावित कर सकता है।

समर्थन और विरोध

ट्रम्प के इस निर्णय पर विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों ने प्रतिक्रिया दी है। कुछ का मानना है कि यह निर्णय उनके प्रशासन को मजबूत करेगा, जबकि अन्य इसे गलत और अव्यवहारिक मानते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में अन्य संस्थाएं भी इस संदर्भ में क्या कदम उठाती हैं।

निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रम्प का यह निर्णय USAID और भारतीय चुनावों में फंडिंग को लेकर महत्वपूर्ण सवाल खड़े करता है। पहले से ही चल रहे आर्थिक संकट के बीच इस तरह के बदलाव से न केवल अमेरिका की नीति पर असर पड़ेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर भी इसके दूरगामी असर हो सकते हैं। आने वाले समय में यह देखना होगा कि क्या यह फंडिंग जारी रहेगी या फिर नए दरवाज़े बंद हो जाएंगे।

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