नारायण मूर्ति बोले- कर्मचारियों के साथ इंसानी बरताव करें:कंपनियों से कहा- मैक्सिमम और मिनिमम सैलरी के बीच के अंतर को कम करें
इंफोसिस के फाउंडर एनआर नारायण मूर्ति ने बिजनेस और एंटरप्रेन्योर्स से कहा है कि वे अपने कर्मचारियों के साथ इंसानों जैसा बरताव करें। उन्होंने कहा कि कंपनियों में सबसे कम और सबसे ज्यादा सैलरी के बीच के अंतर को भी कम करना चाहिए। मूर्ति ने ये बातें टीआईई कॉन मुंबई 2025 में कही। मूर्ति ने कहा कि हर कॉर्पोरेट कर्मचारी के सम्मान और गरिमा को बनाए रखने की जरूरत है। कर्मचारियों की पब्लिकली प्रशंसा करना और प्राइवेट में आलोचना करना चाहिए। और जहां तक संभव हो, कंपनी के सभी कर्मचारियों के बीच निष्पक्ष तरीके से उसके सभी बेनिफिट्स शेयर करना चाहिए। आने वाले समय में भारत से गरीबी की समाप्ति और विकास तभी होगा जब देश के बिजनेस और एंटरप्रेन्योर्स कैपिटलिज्म को अपनाएंगे। देश अपनी मौजूदा समाजवादी मानसिकता में कामयाब नहीं हो सकता। कैपिटलिज्म लोगों को नए विचार सामने लाने का अवसर देता है, ताकि वे अपने और अपने निवेशकों के लिए पैसा कमा सकें, रोजगार पैदा कर सकें और इस तरह गरीबी कम कर सकें। सप्ताह में 70 घंटे काम करने की सलाह देकर विवादों में रहे अक्टूबर 2023: 2023 में नारायण मूर्ति ने देश के युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करने की सलाह दी थी। उन्होंने भारत को ग्लोबल लीडर बनाने के लिए युवाओं से कड़ी मेहनत करने को कहा था। इसके बाद सोशल मीडिया कई अलग-अलग धड़ों में बंट गया था। मूर्ति के इस बयान के बाद उनकी जितनी आलोचना हुई उतना ही साथ भी मिला था। दिसंबर 2024: मूर्ति ने कहा था कि युवाओं को यह समझना होगा कि हमें कड़ी मेहनत करनी होगी और भारत को नंबर एक बनाने की दिशा में काम करना होगा। हमें अपनी आकांक्षाएं ऊंची रखनी होंगी, क्योंकि 800 मिलियन (80 करोड़) भारतीयों को मुफ्त राशन मिलता है। इसका मतलब है कि 800 मिलियन भारतीय गरीबी में हैं। अगर हम कड़ी मेहनत करने की स्थिति में नहीं हैं तो कौन कड़ी मेहनत करेगा।' 1981 में नारायण मूर्ति ने इंफोसिस की स्थापना की थी नारायण मूर्ति ने भारत के दूसरे सबसे बड़े टेक फर्म इंफोसिस की स्थापना 1981 में की थी। तब से लेकर 2002 तक कंपनी के CEO रहे थे। इसके बाद 2002 से 2006 तक बोर्ड के चेयरमैन रहे। अगस्त 2011 में चेयरमैन एमेरिटस की उपाधि के साथ मूर्ति कंपनी से रिटायर हो गए थे। हालांकि, एक बार फिर कंपनी में उनकी एंट्री 2013 में एग्जिक्यूटिव चेयरमैन के तौर पर हुई। इस दौरान उनके बेटे रोहन मूर्ति उनके एग्जिक्यूटिव असिस्टेंट के तौर पर काम कर रहे थे।

नारायण मूर्ति बोले- कर्मचारियों के साथ इंसानी बरताव करें: कंपनियों से कहा- मैक्सिमम और मिनिमम सैलरी के बीच के अंतर को कम करें
लेखिका: साक्षी शर्मा, टीम नेतानागरी
भारत के आईटी क्षेत्र के एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व, नारायण मूर्ति ने हाल ही में कर्मचारियों और कंपनियों के बीच की मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने उद्यमियों से आग्रह किया है कि उन्हें अपने कर्मचारियों के साथ इंसानी बरताव करना चाहिए और सैलरी के अंतर को कम करना चाहिए।
कर्मचारियों का महत्त्व समझें
Narayan Murthy ने स्पष्ट किया कि कंपनियों को अपने कर्मचारियों का मान-सम्मान करना चाहिए। यह सिर्फ एक नैतिक जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह उत्पादकता और संस्थान के विकास के लिए भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जब कर्मचारियों को सही तरीके से पेश किया जाता है, तो वे अपनी उच्चतम क्षमता तक पहुंचने में सक्षम होते हैं। इस संदर्भ में, सैलरी के मैक्सिमम और मिनिमम स्तरों के बीच के अंतर को कम करना अत्यंत आवश्यक है।
सैलरी गैप का प्रभाव
कई कंपनियों में लोगों के बीच सैलरी में काफी बड़ा अंतर होता है, जिसे कम करने की आवश्यकता है। नारायण मूर्ति ने यह बताया कि यह अंतर कर्मचारियों के मनोबल और संस्थान की संस्कृति पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। उन्होंने यह भी कहा कि जब वेतन समानता होती है, तो कर्मचारियों में सहयोग और टीम भावना बढ़ती है, जिससे कंपनी की सफलता में वृद्धि होती है।
उदाहरणों द्वारा सीखने का टाइम
उन्होंने प्रयोग के तौर पर कई सफल कंपनियों का उल्लेख किया, जिन्होंने अपने कर्मचारियों के बीच समानता को बढ़ावा दिया है। उदाहरण के लिए, कंपनियों ने प्रदर्शन के आधार पर बोनस और प्रोत्साहन कार्यक्रमों को लागू किया है, ताकि सभी कर्मचारियों को समान लाभ मिल सके। यह दृष्टिकोण न केवल खुशहाल कार्य वातावरण की ओर ले जाता है, बल्कि यह कर्मचारी विविधता को भी प्रोत्साहित करता है।
कंपनियों के लिए सुझाव
नारायण मूर्ति ने कंपनियों को सुझाव दिया कि उन्हें अपने कर्मचारियों के प्रति पारदर्शी होना चाहिए। इससे कर्मचारियों का विश्वास बढ़ता है और वे अपनी भूमिका में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित होते हैं। नैतिक नेतृत्व का पालन करने से न केवल मानव संसाधन का सही इस्तेमाल होता है, बल्कि इसके द्वारा संस्था की प्रतिष्ठा भी बढ़ती है।
निष्कर्ष
नारायण मूर्ति ने स्पष्ट रूप से यह दर्शाया है कि कर्मचारियों और कंपनियों के बीच सम्मान और मानवता पर आधारित संबंध अनिवार्य हैं। कंपनियों को चाहिए कि वे अधिकतम और न्यूनतम वेतन के बीच का अंतर कम करें ताकि वे एक स्वस्थ और सहयोगी कार्य संस्कृति का विकास कर सकें। इस दिशा में कदम उठाने से सभी के लिए न केवल बेहतर वातावरण बनेगा, बल्कि यह आर्थिक समृद्धि की ओर भी ले जाएगा।
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