वेनेजुएला से तेल खरीदने वालों पर 25% टैरिफ लगाएंगे ट्रम्प:भारत भी ऐसे देशों में शामिल, 90% तेल रिलायंस खरीदती है
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने वेनेजुएला से तेल और गैस खरीदने वाले देशों पर 25% एक्स्ट्रा टैरिफ का ऐलान किया है। यह टैरिफ 2 अप्रैल से लागू होगा। ट्रम्प के मुताबिक इसका मकसद वेनेजुएला को सजा देना है। ट्रम्प ने कहा कि वेनेजुएला जानबूझकर और धोखे से अमेरिका में अपराधियों और हिंसक गैंग के सदस्यों को भेजता है, जिनमें ट्रेन डी अरागुआ जैसे आतंकी संगठन भी हैं। हम इन अपराधियों को वापस भेजेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति के इस फैसले से भारत की रिलायंस जैसी कुछ कंपनियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। भारत, वेनेजुएला से जितना तेल आयात करती है, उसका लगभग 90% तेल रिलायंस खरीदती है। जनवरी 2024 में वेनेजुएला ने भारत को सबसे ज्यादा तेल बेचा फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2023 में भारत ने वेनेजुएला से प्रतिदिन लगभग 1,91,600 बैरल कच्चा तेल आयात किया था। जनवरी 2024 में यह बढ़कर 2,54,000 बैरल प्रतिदिन हो गया था। यह वेनेजुएला के कुल तेल निर्यात का 50% था, यानी कि वेनेजुएला ने जितना तेल बेचा था, उसका आधा हिस्सा भारत ने खरीदा था। हालांकि, बाद में इसमें कमी आई। सालभर में भारत ने वेनेजुएला से 22 मिलियन बैरल तेल खरीदा। यह भारत के कुल कच्चे तेल आयात का 1.5% था। साल 2025 में भारत ने पड़ोसी देश से पिछले साल की तुलना में कम तेल खरीदा है। केप्लर के कमोडिटी मार्केट एनालिटिक्स के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने जनवरी 2025 में लगभग 65,000 बैरल प्रति दिन और फरवरी 2025 में 93,000 बैरल प्रति दिन वेनेजुएला के कच्चे तेल का आयात किया। भारत को सस्ता तेल देता है वेनेजुएला भारत अपनी तेल जरूरतों का 85% से अधिक आयात करता है। वेनेजुएला का तेल भारत को अपेक्षाकृत सस्ता मिलता है, क्योंकि यह भारी कच्चा तेल है, जिसे भारतीय रिफाइनरीज आसानी से प्रोसेस कर सकती हैं। यह रूस और मिडिल ईस्ट के तेल की तुलना में रियायती दरों पर उपलब्ध होता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि ट्रम्प के फैसले से कुछ भारतीय कंपनियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। भारतीय रिफाइनरियों ने हाल ही में वेनेजुएला से तेल खरीदना शुरू किया था। वर्ष 2024 में भारत ने वेनेजुएला से 2.2 करोड़ बैरल तेल आयात किया। हालांकि, भारत के कुल तेल आयात का यह महज 1.5% ही है। भारतीय कंपनियां रिलायंस इंडस्ट्रीज, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) वेनेजुएला से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल खरीदती हैं। रिलायंस को जुलाई 2024 में अमेरिका से वेनेजुएला से तेल आयात करने की मंजूरी मिली थी। वॉशिंगटन ने इसके लिए लाइसेंस जारी किया था। Kpler के डेटा के मुताबिक, साल 2024 में भारत ने वेनेजुएला से जितना तेल खरीदा उसमें से रिलायंस की हिस्सेदारी करीब 20 मिलियन बैरल थी। यह भारत के कुल वेनेजुएला तेल आयात का लगभग 90% है। चीन को कर्ज के बदले तेल देता है वेनेजुएला चीन, वेनेजुएला के तेल निर्यात का सबसे बड़ा आयातक है। यह देश चीन का 10 अरब डॉलर से अधिक का कर्जदार है, जिसे वह तेल के बदले चुकाता है। साल 2024 में चीन ने हर दिन औसतन 3,51,000 बैरल प्रतिदिन तेल खरीदा। यह वेनेजुएला के कुल तेल निर्यात का लगभग आधा था। हालांकि, यह 2023 की तुलना में 18% कम था। तब चीन ने औसतन 4,28,000 बैरल प्रतिदिन वेनेजुएला से तेल खरीदा था। 2023 में, वेनेजुएला के तेल निर्यात का 65% हिस्सा चीन को गया था। अमेरिकी कंपनी को भी नुकसान वेनेजुएला से तेल खरीदने वाले देशों पर टैरिफ लगाने के कदम से चीन के अलावा खुद अमेरिका को भी नुकसान हो सकता है। बाइडेन प्रशासन ने साल 2022 में अमेरिकी तेल कंपनी शेवरॉन को वेनेजुएला से तेल खरीदने की छूट दी थी। इसके बाद शेवरॉन, वेनेजुएला के तेल का एक प्रमुख खरीदार बन गया। शेवरॉन ने साल 2024 में हर दिन औसतन 2,40,000 बैरल प्रतिदिन तेल खरीदा। यह वेनेजुएला के कुल तेल उत्पादन (9,14,000 बैरल प्रतिदिन) का लगभग 26% था। ट्रम्प प्रशासन ने अमेरिकी तेल कंपनी को मिले लाइसेंस को रद्द करने का ऐलान किया है। सरकार ने शेवरॉन कंपनी को वेनेजुएला में अपने संचालन को समेटने के लिए 27 मई 2025 तक का वक्त दिया है।

वेनेजुएला से तेल खरीदने वालों पर 25% टैरिफ लगाएंगे ट्रम्प: भारत भी ऐसे देशों में शामिल, 90% तेल रिलायंस खरीदती है
Kharchaa Pani द्वारा। लेखिका: प्रिया शर्मा, साधना मित्तल, टीम नेतानागरी
परिचय
हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने वेनेजुएला से तेल खरीदने वालों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। यह निर्णय वैश्विक तेल बाजार पर गहरा प्रभाव डालेगा। भारत, जो वेनेजुएला से महत्वपूर्ण मात्रा में तेल आयात करता है, इस टैरिफ से प्रभावित होने वाले देशों में शामिल है। इस लेख में हम इस फैसले के संभावित प्रभावों और भारतीय तेल उद्योग पर इसके असर पर चर्चा करेंगे।
ट्रम्प का फैसला
डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन का यह निर्णय वेनेजुएला में चल रहे राजनीतिक संकट और अमेरिका के साथ उसके संबंधों को लेकर उठाए गए कदमों का हिस्सा है। उपयुक्त कारणों में वेनेजुएला की सरकार की नीतियों पर असंतोष और मानवाधिकारों का उल्लंघन शामिल हैं। 25% का यह टैरिफ अमेरिकी तेल बाज़ार को प्रभावित कर सकता है और साथ ही वैश्विक तेल कीमतों में उथल-पुथल ला सकता है।
भारत की स्थिति
भारत की बात करें तो, वेनेजुएला से तेल आयात का आंकड़ा काफी बड़ा है। भारत का रिलायंस इंडस्ट्रीज, जो देश की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी है, करीब 90% तेल वेनेजुएला से खरीदता है। इसका मतलब है कि सरकार द्वारा लगाए जाने वाले टैरिफ सीधे भारतीय उद्योगों पर प्रभाव डाल सकते हैं। अधिक कीमतों का सीधा असर उपभोक्ता कीमतों पर पड़ेगा।
भारतीय तेल बाजार पर प्रभाव
यदि ट्रम्प के द्वारा लगाए गए टैरिफ लागू होते हैं, तो इसका असर भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर पड़ सकता है। भारतीय सरकार को वैकल्पिक स्रोतों से तेल खरीदने के लिए राजनयिक प्रयास करना पड़ सकता है। इसके अलावा, यदि वेनेजुएला से तेल की आमद में गिरावट आती है, तो भारत को अन्य देशों से तेल आयात करने की मजबूरी हो सकती है, जो अंततः महंगा पड़ सकता है।
विकल्पों की तलाश
इस स्थिति से निपटने के लिए, भारतीय तेल कंपनियों को विभिन्न देशों से तेल खरीदने के लिए विकल्प तलाशने होंगे। यह भी संभव है कि वे घरेलू उत्पादन को बढ़ाने की दिशा में कदम उठाएं। सौर ऊर्जा और बायोफ्यूल जैसे विकल्पों की ओर ध्यान दिया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
निष्कर्ष
ट्रम्प का निर्णय एक नई वैश्विक ऊर्जा नीति का संकेत हो सकता है, जो कि भू-राजनीतिक संकटों से प्रभावित हो रही है। भारत को इस चुनौती का सामना करने के लिए सजग रहना होगा। वेनेजुएला से तेल खरीदने वालों पर टैरिफ लगाने का यह निर्णय भारतीय कंपनियों को नई चुनौतियों के साथ-साथ अवसर भी प्रदान कर सकता है। भविष्य में, बयानबाजी और कूटनीतिक प्रयासों के जरिए इस समस्या का समाधान खोजना आवश्यक होगा।
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