पाकिस्तान दिवस पर जरदारी भाषण ठीक से नहीं पढ़ पाए:कई बार जबान लड़खड़ाई, लंबे-लंबे पॉज लिए; सोशल मीडिया पर लोगों ने मजाक उड़ाया

पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी का पाकिस्तान दिवस पर दिया गया भाषण सोशल मीडिया पर वायरल है। स्पीच के दौरान कई बार उनकी जबान लड़खड़ाई। ‘कोशिश की जा रही है’ को उन्होंने ‘खुशी की चाह रही है’ कहा। वहीं, ‘बेशुमार कुर्बानी’ को वे ‘समर कुर्बानी’ बता गए। भाषण में दिख रहा है कि जरदारी एक-एक शब्द को मुश्किल से पढ़ पा रहे थे। लंबे वाक्य को पढ़ने के दौरान कई बार उनकी सांस फूलती दिखी। उनकी स्पीच को लेकर कई लोगों ने मजाक बनाया, तो कइयों ने उनकी सेहत पर चिंता जताई है। भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रहे अब्दुल बासित ने इसे हर एक पाकिस्तानी का मजाक बताया। बासित बोले- जरदारी बीमार थे तो भाषण देने क्यों आए अब्दुल बासित ने वीडियो शेयर करते हुए कहा कि जिस तरह से राष्ट्रपति जरदारी भाषण पढ़ने में बेबस दिखे, उससे उनके दिल को बहुत तकलीफ पहुंची है। प्रेसिडेंट पूरे मुल्क का नुमाइंदा होता है। ऐसे में उनका जो मजाक उड़ रहा है, वो कहीं ना कहीं हर एक पाकिस्तानी का मजाक है। मुझे अपने देश के प्रेसिडेंट को इस तरह से देखना तकलीफ पहुंचाता है। अब्दुल बासित ने कहा, 'हम साफतौर पर देख रहे हैं कि जरदारी से एक-एक शब्द पढ़ना मुश्किल हो रहा था। ऐसे लग रहा था कि उन्हें खड़े होने में भी दिक्कत आ रही है। अगर वे बीमार थे तो उन्हें भाषण देने के लिए क्यों लाया गया। उर्दू का भाषण भी वे क्यों नहीं पढ़ पा रहे थे।' बासित ने आगे कहा- 'मुझे लगता है कि जरदारी की टीम ने उन्हें पहले से भाषण की कॉपी नहीं दी थी। अगर वे पहले ही 2-3 बार स्पीच पढ़ चुके होते तो शायद उन्हें ये दिक्कत नहीं होती। खैर जो भी हुआ, वो नहीं होना चाहिए था।' राष्ट्रपति की वेबसाइट पर अपलोड नहीं हुआ जरदारी का भाषण पाकिस्तान में 23 मार्च को पाकिस्तान दिवस मनाया गया। राष्ट्रपति जरदारी इसी मौके पर संसद के दोनों सदनों को संबोधित कर रहे थे। पाकिस्तान डे 23 मार्च, 1940 को पारित लाहौर प्रस्ताव और 23 मार्च, 1956 को पाकिस्तान के पहले संविधान को अपनाने की याद में मनाया जाता है। जरदारी का पूरा भाषण सार्वजनिक रूप से जारी नहीं हुआ है। इस भाषण की पूरी रिकॉर्डिंग आधिकारिक तौर पर सरकार या ऐवान-ए-सद्र यानी राष्ट्रपति ऑफिस की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है। आम तौर पर, राष्ट्रपति के भाषणों का पूरा टेक्स्ट प्रेस रिलीज या आधिकारिक बयानों के रूप में जारी किया जाता है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। हालांकि, राष्ट्रपति के भाषण को पाकिस्तान के सभी मीडिया चैनलों ने कवर किया। वायरल वीडियो यहां से ही लीक हुआ है। जरदारी बोले- भारत की पाकिस्तान पर बुरी नजर भाषण में जरदारी ने कहा कि पाकिस्तान भू-राजनीतिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। भारत की हमेशा से पाकिस्तान पर बुरी नजर रही है। बहादुर सेना इन मुश्किलों का डटकर मुकाबला कर रही है। जरदारी ने कहा कि पांचवीं पीढ़ी का युद्ध (सूचना, प्रचार, साइबर हमला से लड़ी जाने वाली जंग) एक चुनौती बन गया है। हालांकि, पाकिस्तान इस चुनौती से निपट सकता है।

Mar 25, 2025 - 09:34
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पाकिस्तान दिवस पर जरदारी भाषण ठीक से नहीं पढ़ पाए:कई बार जबान लड़खड़ाई, लंबे-लंबे पॉज लिए; सोशल मीडिया पर लोगों ने मजाक उड़ाया

पाकिस्तान दिवस पर जरदारी भाषण ठीक से नहीं पढ़ पाए: कई बार जबान लड़खड़ाई, लंबे-लंबे पॉज लिए; सोशल मीडिया पर लोगों ने मजाक उड़ाया

लेखिका: सुमन शर्मा, टीम नेतनागरी

खर्चा पानी

परिचय

पाकिस्तान दिवस 2023 पर, पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी का भाषण लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया। उनके भाषण के दौरान जबान लड़खड़ाने और लंबे-लंबे पॉज लेने के कारण सोशल मीडिया पर अनेक मजेदार प्रतिक्रियाएं देखने को मिली। इस लेख में हम इस घटना के बारे में विस्तार से जानेंगे और सोशल मीडिया पर आई प्रतिक्रियाओं पर एक नजर डालेंगे।

भाषण का मुख्य विषय

जरदारी का भाषण स्वतंत्रता, एकता और पाकिस्तान की सांस्कृतिक विरासत पर केंद्रित था। हालांकि, उनका भाषण तकनीकी दृष्टि से एक कठिनाई में बदल गया। कई बार वे महत्वपूर्ण बिंदुओं को समझाने में चूक गए, जिससे उनके भाषण का प्रभाव कम हो गया।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं

जरदारी के भाषण ने सोशल मीडिया पर लोगों को मनोरंजन का एक नया विषय प्रदान किया। कुछ यूजर्स ने मजेदार मीम्स बनाए, तो कुछ ने उनकी जबान लड़खड़ाने के क्षणों को शेरो-शायरी के माध्यम से पेश किया। यह स्थिति इस बात का सबूत है कि सोशल मीडिया किस तरह पॉलिटिकल घटनाओं को एक नई दिशा प्रदान कर सकता है।

वीडियो क्लिप्स और मेमे वायरल

इस घटना के कई वीडियो क्लिप्स भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर वायरल हो गए हैं। यूजर्स ने अपने फॉलोअर्स के साथ इन्हें साझा किया, जिससे यह मामला तेजी से चर्चा में आ गया। कई यूजर्स का कहना था कि "ऐसे भाषणों से बेहतर है कि बिना किसी भाषण के ही रह जाएं।"

उपसंहार

जरदारी का इस प्रकार का भाषण उसके राजनीतिक करियर पर निश्चित रूप से कोई बुरी छाप छोड़ सकता है। हालांकि, सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएं दर्शाती हैं कि और भी कई मुद्दे हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। ऐसा लगता है कि यूनिटी और स्थिरता की दिशा में सही कदम उठाना जरुरत है।

यह स्थिति स्पष्ट करती है कि तकनीकी एजेंडे में सुधार जरूरी हैं ताकि आगामी जन हित की बातों को बेहतर तरीके से पेश किया जा सके।

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