हरेला पर्व पर श्री भरत मंदिर विद्यालय में रोपे गए पौधे
श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज में हरेला पर्व के अवसर पर विद्यालय परिसर में वृक्षारोपण किया गया। जिसमें विद्यालय के एनसीसी, एनएसएस, स्काउट गाइड एवं विद्यालय परिवार द्वारा कई छायादार, फलदार पौधे रोपे गए। विद्यालय के प्रधानाचार्य यमुना प्रसाद त्रिपाठी … read more

हरेला पर्व पर श्री भरत मंदिर विद्यालय में रोपे गए पौधे
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By Aditi Sharma and Priya Verma, Team Kharchaapani
Introduction
इस साल हरेला पर्व के अवसर पर, श्री भरत मंदिर इंटर कॉलेज में वृक्षारोपण का आयोजन किया गया। इस आयोजन में विद्यालय के एनसीसी, एनएसएस, स्काउट गाइड और विद्यालय परिवार ने मिलकर कई छायादार और फलदार पौधों का रोपण किया। यह पर्व न केवल हरियाली को बढ़ाने का एक अवसर है, बल्कि इसमें पर्यावरण संरक्षण का भाव भी निहित है।
हरेला पर्व का महत्व
प्रधानाचार्य यमुना प्रसाद त्रिपाठी ने कार्यक्रम में विशेष रूप से यह बताया कि हरेला पर्व, देवभूमि का एक प्राचीन लोक पर्व है। यह पर्व देवियों की पूजा से जुड़ा हुआ है, जिसमें विशेषकर जुलाई और अगस्त महीनों में हरियाली बोई जाती है। दसवें दिन इसे पूजा अर्चना के बाद काटा जाता है। कन्याओं का पूजन और फिर प्रसाद वितरण इस पर्व का मुख्य आकर्षण है। उत्तराखंड सरकार ने हरेला पर्व को अधिक महत्व देते हुए इसे प्रदेश भर में मनाने का निश्चय किया है, जिससे हर साल हजारों वृक्ष लगाए जाते हैं।
कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ
इस वृक्षारोपण कार्यक्रम में विद्यालय के एनसीसी अधिकारी लेफ्टिनेंट लखविंदर सिंह, विकास नेगी, जितेंद्र विष्ट, संजीव कुमार, हरि सिंह, रमेश बुटोला, शालिनी कपूर, सुमित्रा महर, विनीता गवाड़ी और पूजा आदि उपस्थित रहे। सभी ने इस अवसर पर पौधों को रोपते हुए पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को दर्शाया। यह गतिविधि विशेष रूप से बच्चों को प्रकृति से जुड़ने और पेड़-पौधों के महत्व को समझने का एक मौका प्रदान करती है।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक कदम
वृक्षारोपण शादी जैसे अनुष्ठानों का एक भाग बनता जा रहा है, जिसमें लोग सामाजिक एकता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हैं। हरेला पर्व के दौरान वृक्षारोपण से विद्यालय के छात्रों को न केवल उत्सव के साथ जोड़ता है बल्कि उन्हें पर्यावरण के प्रति जागरूक भी करता है। इस तरह के आयोजनों से विद्यालय का परिसर भी और अधिक हरा-भरा होता है, जो छात्रों के लिए एक स्वस्थ वातारवण बनाता है।
Conclusion
इस वर्ष का हरेला पर्व बिना किसी संदेह के एक प्रेरणादायक घटना है जिसने क्षेत्रवासियों को धरती के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझने और निभाने का एक अनूठा संदेश दिया है। विद्यालय के इस प्रयास से न केवल पर्यावरण को लाभ मिलेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी एक स्थायी और स्वस्थ वातावरण सौंपने का मार्ग प्रशस्त होगा।
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