मणिपुर समेत 3 राज्यों में AFSPA 6 महीने बढ़ा:हिंसा और अशांति के चलते गृह मंत्रालय का फैसला, सेना कभी भी किसी को हिरासत में ले सकेगी

केंद्र सरकार ने मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (AFSPA) को छह महीने के लिए बढ़ा दिया है। गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर यह जानकारी दी। गृह मंत्रालय के मुताबिक, मणिपुर में जारी हिंसा के कारण कानून व्यवस्था की समीक्षा के बाद यह फैसला लिया गया। मणिपुर के 13 पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र को छोड़कर बाकी पूरे राज्य में 1 अप्रैल 2025 से अगले छह महीने तक AFSPA लागू रहेगा। इससे पहले सितंबर 2024 में मणिपुर के 6 जिलों में छह महीने के लिए AFSPA लागू किया गया था। यह इसी साल 31 मार्च को समाप्त हो रहा था, लेकिन राज्य में जारी हिंसा के चलते अब यह फैसला लिया गया है। नगालैंड और अरुणाचल के कुछ इलाकों में अशांति के कारण AFSPA लागू अधिसूचना के मुताबिक, नगालैंड के दीमापुर, निउलैंड, चुमौकेदिमा, मोन, किफिरे, नोकलाक, फेक और पेरेन जिलों को अशांत क्षेत्र घोषित किया गया है। इसके अलावा कोहिमा, मोकोकचुंग, लोंगलेंग, वोखा और जुनहेबोटो जिलों के कुछ पुलिस थाना क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है। यहां भी 1 अप्रैल 2025 से अगले छह महीने तक AFSPA लागू रहेगा। वहीं अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों के साथ 3 पुलिस थाना क्षेत्रों में भी छह महीने के लिए AFSPA बढ़ा दिया गया है। AFSPA में बिना वारंट गिरफ्तारी का अधिकार AFSPA को केवल अशांत क्षेत्रों में लागू किया जाता है। इन जगहों पर सुरक्षाबल बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं। कई मामलों में बल प्रयोग भी हो सकता है। पूर्वोत्तर में सुरक्षाबलों की सहूलियत के लिए 11 सितंबर 1958 को यह कानून पास किया गया था। 1989 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने पर यहां भी 1990 में AFSPA लागू कर दिया गया। अशांत क्षेत्र कौन-कौन से होंगे, ये भी केंद्र सरकार ही तय करती है। जातीय हिंसा में 250 से अधिक लोग मारे गए मणिपुर में मई 2023 से जारी जातीय हिंसा में 250 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। हिंसा मणिपुर के इम्फाल घाटी के मैतेई समुदाय और पहाड़ी क्षेत्रों के कुकी-जो समुदायों के बीच हो रही है। जिरिबाम पहले इंफाल घाटी और आसपास के पहाड़ी क्षेत्रों में हुई हिंसा से काफी हद तक बचा हुआ था, लेकिन जून 2023 में यहां एक किसान का बुरी तरह विकृत शव मिला। इसके बाद यहां भी हिंसा हुई। ------------------------------------------ ये खबर भी पढ़ें... मणिपुर हिंसा पर चर्चा हो तो समाधान दूर नहीं, जस्टिस गवई बोले- राज्य में हर कोई शांति चाहता है सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई ने मणिपुर हिंसा पर कहा कि संवैधानिक तरीकों से सभी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। जब संवाद होता है तो समाधान आसानी से मिल जाता है। जस्टिस गवई ने कहा, 'मणिपुर में जातीय संघर्ष से वहां के लोग बहुत परेशान हैं। हर कोई शांति बहाली चाहता है। कोई भी मौजूदा स्थिति को जारी रखने में दिलचस्पी नहीं रखता।' पूरी खबर पढ़ें...

Mar 30, 2025 - 17:34
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मणिपुर समेत 3 राज्यों में AFSPA 6 महीने बढ़ा:हिंसा और अशांति के चलते गृह मंत्रालय का फैसला, सेना कभी भी किसी को हिरासत में ले सकेगी

मणिपुर समेत 3 राज्यों में AFSPA 6 महीने बढ़ा: हिंसा और अशांति के चलते गृह मंत्रालय का फैसला, सेना कभी भी किसी को हिरासत में ले सकेगी

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लेखिका: सुषमा रानी, टीम नेतानागरी

प्रस्तावना

भारत के गृह मंत्रालय ने मणिपुर, असम, और नगालैंड में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) को 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है। यह फैसला क्षेत्र में बढ़ती हिंसा और अशांति को नियंत्रित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। AFSPA की धारा के तहत, सेना को कहीं भी किसी को भी हिरासत में लेने का अधिकार दिया गया है, जिससे यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है।

AFSPA का प्रभाव और उद्देश्य

AFSPA का उद्देश्य सुरक्षा बलों को आतंकवाद और उपद्रव से निपटने के लिए अधिकार प्रदान करना है। यह अधिनियम सुरक्षा बलों को कानूनी रूप से हथियारों का प्रयोग करने और आवश्यकता पड़ने पर कार्रवाई करने का अधिकार देता है। लेकिन, इसके उपयोग पर विवाद भी हमेशा से रहा है क्योंकि कई संगठनों और नागरिकों का मानना है कि यह मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है।

गृह मंत्रालय के फैसले की वजहें

गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि मणिपुर और अन्य राज्य में पिछले कुछ महीनों में हुई हिंसक घटनाओं और संघर्षों को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। असम और नगालैंड में भी हाल के दिनों में उथल-पुथल बढ़ी है। इससे स्थानीय प्रशासन की स्थिति भी चिंताजनक हो गई है, जिसके चलते AFSPA का विस्तार किया गया है।

स्थानीय नागरिकों पर प्रभाव

इस निर्णय का स्थानीय नागरिकों पर गहरा असर पड़ेगा। जहां एक ओर लोग शांति की उम्मीद कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सुरक्षा एजेंसियों की बढ़ती शक्ति को लेकर चिंता भी व्यक्त की जा रही है। कई संगठनों ने इस कदम का विरोध किया है, और वे इससे प्रभावित समुदायों की सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।

क्या हैं भारतीय सेना के अधिकार?

AFSPA के तहत, सेना कभी भी किसी भी व्यक्ति को हिरासत में ले सकती है, उन्हें खोज सकने का अधिकार है और यहां तक कि आवश्यकता पड़ने पर बल प्रयोग कर सकती है। यह सुरक्षा बलों को व्यापक रूप से अधिकार देता है परंतु इसके साथ ही इस पर निगरानी रखने की आवश्यकता भी महसूस की जा रही है।

निष्कर्ष

हालांकि मणिपुर समेत अन्य राज्यों में AFSPA को बढ़ाना एक चुनौतीपूर्ण निर्णय है, लेकिन स्थानीय सुरक्षा की दृष्टि से इसे एक आवश्यकीय कदम बताया जा रहा है। अब देखना यह है कि क्या यह कदम प्रदेश में शांति और स्थिरता लाने में सफल होता है या नहीं। इस पर सभी की नजरें बनी हुई हैं।

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