कांग्रेस बोली- महायुती के नेताओं को गजनी सिंड्रोम हुआ:किसानों की कर्जमाफी से पलटे; बुआई सीजन से पहले कर्जा माफ करें, वरना आंदोलन करेंगे

किसानों की कर्जमाफी को लेकर महाराष्ट्र कांग्रेस ने महायुति सरकार पर चुनावी वादे से पलटने का आरोप लगाया। राज्य कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने बुधवार को कहा कि बीजेपी-शिवसेना-एनसीपी गठबंधन ‘गजनी सिंड्रोम’ से पीड़ित है। वे किसानों की कर्जमाफी का अपना चुनावी वादा भूल चुके हैं। उन्होंने कहा कि बजट सत्र में भी कर्जमाफी और महिलाओं को पैसे देने को लेकर कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया। सिर्फ जनता को असली मुद्दों से दरकिनार कर औरंगजेब के मकबरे जैसे विषयों से ध्यान भटकाने की कोशिश की गई। कांग्रेस की चेतावनी- अगर कर्जमाफी नहीं हुई तो आंदोलन करेंगे अब कांग्रेस ने महायुती सरकार को चेतावनी दी है कि अगर सरकार किसानों की कर्जमाफी को लेकर ठोस कदम नहीं उठाती, तो किसान आंदोलन होगा। सपकाल ने कहा, सरकार को बुआई सीजन से पहले किसानों का कर्ज माफ करना चाहिए, या फिर केंद्र से स्पेशल राहत पैकेज लेना चाहिए। अजीत पवार ने कर्जमाफी से इनकार किया था इससे पहले 29 मार्च को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने राज्य की आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए कर्जमाफी से इनकार किया था। उन्होंने कहा था कि राज्य की आर्थिक स्थिति इसकी इजाजत नहीं देती और किसानों को समय पर अपने कर्ज की किश्तें चुकानी चाहिए। कांग्रेस बोली- प्रधानमंत्री का पद खतरें में, इसलिए पीएम मोदी RSS मुख्यालय गए कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया RSS मुख्यालय दौरे को लेकर भी सवाल उठाए। सपकाल ने कहा कि मोदी जी संघ की शरण में गए थे, क्योंकि अब उनका पीएम पद खतरे में है। इससे यह दिखता है कि उनकी पकड़ कमजोर हो रही है। 5 अक्टूबर 2023 को महायुती ने संयुक्त घोषणा पत्र जारी किया था महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए 5 अक्टूबर को एकनाथ शिंदे ने महायुति के घोषणा पत्र के 10 प्रमुख वादों का ऐलान किया था। एकनाथ शिंदे ने कोल्हापुर में जनसभा के दौरान कहा था कि विजन महाराष्ट्र 2029 के लिए सरकार बनने के 100 दिनों के भीतर घोषणा पत्र में किए गए वादों को पूरा किया जाएगा। *********************** महाराष्ट्र की ये खबर भी पढ़ें... MNS कार्यकर्ताओं ने शिवसेना का बोर्ड फाड़ा, इसमें राज ठाकरे से पूछा था-क्या आपके विचार शुद्ध हैं महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे के कुंभ मेले में गंगा जल की शुद्धता पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि यह कैसा धर्म है, अगर हम अपने प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट कर रहे हैं। इस पर शिवसेना ने मंगलवार को राज ठाकरे के घर के पास एक बड़ा बिलबोर्ड लगाया था। इस बोर्ड पर लिखा था कि गंगा का जल शुद्ध है, पर क्या आपके विचार शुद्ध हैं। पूरी खबर पढ़ें...

Apr 2, 2025 - 19:34
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कांग्रेस बोली- महायुती के नेताओं को गजनी सिंड्रोम हुआ:किसानों की कर्जमाफी से पलटे; बुआई सीजन से पहले कर्जा माफ करें, वरना आंदोलन करेंगे

कांग्रेस बोली- महायुती के नेताओं को गजनी सिंड्रोम हुआ: किसानों की कर्जमाफी से पलटे; बुआई सीजन से पहले कर्जा माफ करें, वरना आंदोलन करेंगे

Kharchaa Pani

लेखिका: स्नेहा शर्मा, टीम नेतानगरि

परिचय

कांग्रेस ने महायुती के नेताओं पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्हें "गजनी सिंड्रोम" हो गया है। यह बयान तब दिया गया जब किसानों की कर्जमाफी के मुद्दे पर महायुती पीछे हट गई। कांग्रेस ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि सरकार ने बुआई सीजन से पहले किसानों के कर्ज माफ नहीं किए, तो उन्हें आंदोलन का सहारा लेना पड़ेगा।

महायुती का कर्जमाफी से पलटना

कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया है कि महायुती के नेता अपनी बातों से पलट गए हैं। पहले वे किसानों की कर्जमाफी का समर्थन कर रहे थे, लेकिन अब उनके रुख में परिवर्तन देख जाने लगा है। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि ऐसे मामलों में राजनीतिक स्वार्थ को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

किसानों की चिंता और कर्जा माफी की मांग

किसान अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। बुआई सीजन नजदीक है, और उन्हें पैसों की आवश्यकता है। कांग्रेस का कहना है कि किसानों को तत्काल राहत की आवश्यकता है। उनका यह भी कहना है कि अगर सरकार किसान हित में कदम नहीं उठाती है, तो वे सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होंगे।

गजनी सिंड्रोम क्या है?

गजनी सिंड्रोम शब्द का उपयोग अक्सर उन लोगों के लिए किया जाता है जो अपनी ज़िम्मेदारियों और वादों को भूल जाते हैं। कांग्रेस का यह तर्क है कि महायुती के नेता अपनी सरकार के वादों को भूल गए हैं और अब उन्हें अपनी बातों पर अमल करना चाहिए।

कांग्रेस का आंदोलन की चेतावनी

कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि यदि सरकार जल्दी ही किसान कर्ज माफी की घोषणा नहीं करती है, तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे। पार्टी नेताओं का यह भी मानना है कि किसानों को उनकी मेहनत का फल मिलना चाहिए और सरकार को उनकी परेशानियों का हल खोजना चाहिए।

निष्कर्ष

महायुती के नेताओं का पलटना और किसानों की कर्जमाफी का मुद्दा अब राजनीतिक चर्चा का प्रमुख केंद्र बन गया है। कांग्रेस का यह बयान साफ दर्शाता है कि वे किसानों के अधिकारों के लिए लड़ाई जारी रखेंगे। आगामी बुआई सीजन से पहले इस मुद्दे का समाधान होना अत्यंत आवश्यक है, अन्यथा किसान आंदोलन का रुख कर सकते हैं।

किसानों की भलाई सबसे पहले है, और उन्हें न्याय दिलाने के लिए सभी राजनीतिक दलों को मिलकर काम करना चाहिए।

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