दिल्ली-एनसीआर में एक साल तक पटाखे बैन:सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सभी एयर प्यूरीफायर नहीं लगा सकते; इंजीनियर बोला- पटाखों से पर्यावरण साफ होता

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली-एनसीआर में पटाखे बनाने, स्टोर करने और बेचने पर लगे प्रतिबंध को एक साल के लिए बढ़ा दिया। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा- वायु प्रदूषण का स्तर काफी समय से खतरनाक बना हुआ है। आबादी का एक बड़ा हिस्सा सड़कों पर काम करता है और प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित है। पीठ ने कहा कि हर कोई अपने घर या ऑफिस में एयर प्यूरीफायर नहीं लगा सकता। जब तक कोर्ट इस बात से संतुष्ट नहीं हो जाता कि ग्रीन पटाखों से बहुत कम प्रदूषण होता है, तब तक पिछले आदेशों पर पुनर्विचार करने का सवाल ही नहीं उठता। सुनवाई के दौरान निजी रूप से पेश इंजीनियर मुकेश जैन ने कहा कि पटाखे पर पाबंदी का फैसला ठीक नहीं है। पटाखे पर्यावरण साफ करते हैं। उन्होंने दलील दी कि पटाखे पर बैन अंतरराष्ट्रीय षडयंत्र का हिस्सा है। सुप्रीम कोर्ट ने 12 दिसंबर, 2024 को दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर साल भर के लिए पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने इंजीनियर को चेतावनी देकर छोड़ा सुनवाई के दौरान मुकेश जैन नाम के इंजीनियर निजी रूप में पेश हुए थे। उन्होंने मामले पर अपनी बात रखने की इजाजत मांगी थी। कोर्ट से अनुमति मिलने पर उन्होंने पटाखे पर बैन के फैसले का विरोध किया। इस पर जस्टिस ओका ने पूछा कि क्या आप एक्सपर्ट हैं। मुकेश ने जवाब दिया- हां, मैं IIT से पढ़ा इंजीनियर हूं। मुकेश ने मशहूर पर्यावरणविद एम सी मेहता पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा- मेहता देश विरोधी संस्थाओं से फंड लेते हैं। इस पर कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि इस व्यक्ति को यह नहीं पता कि एम सी मेहता कौन हैं और उन्होंने पर्यावरण के लिए कितना किया है। हम मुकेश जैन पर जुर्माना लगा सकते हैं, लेकिन इस बार चेतावनी देकर छोड़ रहे हैं।

Apr 3, 2025 - 17:34
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दिल्ली-एनसीआर में एक साल तक पटाखे बैन:सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सभी एयर प्यूरीफायर नहीं लगा सकते; इंजीनियर बोला- पटाखों से पर्यावरण साफ होता
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली-एनसीआर में पटाखे बनाने, स्टोर करने और बेचने पर लगे प्रतिबंध को

दिल्ली-एनसीआर में एक साल तक पटाखे बैन: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सभी एयर प्यूरीफायर नहीं लगा सकते

Kharchaa Pani | लेखिका: साक्षी शर्मा, मेहक गुप्ता, टीम नेटानागरी

परिचय

दिल्ली-एनसीआर में दीवाली पर पटाखों के बैन के मुद्दे ने फिर से तूल पकड़ लिया है। हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सभी नागरिक एयर प्यूरीफायर का उपयोग नहीं कर सकते। इस बैन को एक साल तक बढ़ाने पर भी विचार किया जा रहा है। इस लेख में हम इस निर्णय के प्रभावों, समर्थन और विरोध की जड़ों को समझेंगे।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि सभी नागरिक एयर प्यूरीफायर स्थापित नहीं कर सकते, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार और प्रशासन को इस मुद्दे पर गंभीरता से सोचना होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सिर्फ एयर प्यूरीफायर पर निर्भर रहना सही नहीं होगा। यह निर्णय उन हजारों लोगों के लिए बड़ा झटका है जो पटाखों के शोर और धुएं से छुटकारा पाना चाहते हैं।

इंजीनियर का अप्रत्याशित बयान

इस बैन के संदर्भ में एक इंजीनियर ने कहा है कि पटाखों के धुएं से पर्यावरण साफ होता है। यह बयान सुनकर कई विशेषज्ञ चौंक गए हैं। क्या सच में पटाखों का प्रदूषण कम होने में मददगार हो सकता है? इस विषय पर कई वैज्ञानिक और पर्यावरण विशेषज्ञ अपनी राय व्यक्त कर चुके हैं, लेकिन उनके विचार अभी तक ठोस नहीं बन पाए हैं।

पटाखा बैन का प्रभाव

दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर बैन लगाने का सबसे बड़ा उद्देश्य प्रदूषण स्तर को नियंत्रित करना है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पटाखे नहीं जलाए जाते हैं, तो प्रदूषण की मात्रा में काफी कमी आएगी। हालांकि, कुछ लोग इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन मानते हैं। इसका क्या प्रभाव पड़ेगा यह देखना महत्वपूर्ण होगा।

निष्कर्ष

पटाखों पर बैन का समर्थन और विरोध दोनों ही तर्कसंगत हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है कि हमें अपने स्वास्थ्य और पर्यावरण का ध्यान रखना है। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय एक चेतावनी है कि हमारे पर्यावरण को सुरक्षित रखना सिर्फ एक दिन की बात नहीं है, बल्कि एक सतत प्रयास है। इसके साथ ही, हमें यथासंभव विकल्पों की तलाश करनी चाहिए, जिन्हें अपनाकर प्रदूषण को कम किया जा सके।

हम सभी को मिलकर इस दिशा में कदम उठाना चाहिए ताकि हमारे आने वाली पीढ़ी को एक स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण मिल सके। इसके साथ ही, पर्यावरण बचाने के लिए सामूहिक जिम्मेदारी सभी की है।

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