डोनट्स बेकरी प्रोडक्ट है या रेस्टोरेंट सर्विस:आज बॉम्बे हाईकोर्ट फैसला सुनाएगा, यह भी तय होगा कि इसपर कितनी GST लगेगी
डोनट्स बेकरी प्रोडक्ट है या नहीं इसका फैसला आज यानी सोमवार 24 मार्च को बॉम्बे हाईकोर्ट करेगा। इस फैसले से यह तय करना है कि इसपर गुड्स एंड सर्विस टैक्स यानी GST 5% लगेगा या 18%। अगर डोनट्स बेकरी प्रोड्क्ट की कैटेगरी में आया तो इसपर 18% टैक्स लगेगा और यदि रेस्टोरेंट सर्विस की कैटेगरी में आया तो केवल 5% GST लगेगा। यह मामला सिंगापुर बेस्ड मैड ओवर डोनट्स (MOD) की पेरेंट कंपनी हिमेश फूड्स प्राइवेट लिमिटेड की याचिका के बाद आया है, जिसमें डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ GST इंटेलिजेंस की ओर से जारी कारण बताओ नोटिस को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता के वकील बोले- 5% GST लगाया जाना चाहिए MOD वकील अभिषेक ए. रस्तोगी के अनुसार, डोनट्स पर 5% GST लगाया जाना चाहिए क्योंकि फूड या अन्य एडिबल प्रोडक्ट्स की सप्लाई सेंट्रल GST के तहत सर्विसेज की कंपोजिट सप्लाई की कैटेगरी में आता है। रेस्टोरेंट सर्विसेज में सप्लाई होने वाले फूड प्रोडक्ट्स, खाने के स्थान, मेस और कैंटीन में सप्लाई किए जाने वाले फूड्स पर 5% टैक्स लगता है। क्या है पूरा मामला? इस मामले की शुरुआत 3 अगस्त 2024 को डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विस टैक्स इंटेलिजेंस (DGGI) की ओर से मैड ओवर डोनट्स को भेजे गए एक कारण बताओ नोटिस से होती है। नोटिस में सिंगापुर बेस्ड कंपनी से 100 करोड़ रुपए टैक्स और फाइन भरने को कहा गया। DGGI का कंपनी पर आरोप है इसने अपने बिजनेस को गलत तरीके से क्लासिफाई किया है। यानी रेस्टोरेंट सर्विस के नाम पर बेकरी प्रोडक्ट्स बेच रही है। इसी तरह के नोटिस अन्य डोनट्स चेन डंकिन डोनट्स और क्रिस्पी क्रीम जैसी कंपनियों को भी भेजा गया था। इसके बाद, हिमेश फूड्स के स्वामित्व वाली डोनट चेन MOD ने बॉम्बे हाई कोर्ट में मामले के क्लैरिफिकेशन के लिए मामला दर्ज कराया। कंपनी ने कोर्ट के पूछा कि क्या डोनट्स की सप्लाई रेस्टोरेंट सर्विस है या बेकरी प्रोडक्शन। भारत में सर्विसेज के लिए GST रेट की पहचान, क्लासिफिकेशन, मेजरमेंट और निर्धारण के लिए सर्विस अकाउंटिंग कोड (SAC)का उपयोग किया जाता है। कोर्ट ने कहा था- 5% टैक्स लगना चाहिए मामले कि सुनवाई जस्टिस बी.पी. कोलाबावाला और जस्टिस फिरदौस पूनीवाला की पीठ कर रही है। इससे पहले की सुनवाई में जजों की बेंच ने कहा था डोनट्स पर रेस्टोरेंट में परोसे जाने वाले भोजन पर लागू 5% के रेट से टैक्स लगाया जाना चाहिए। हालांकि, DGGI ने दावा किया कि डोनट्स एक बेकरी प्रोडक्ट है और इस पर 18% कर लगाया जाना चाहिए। DGGI के मुताबिक डोनट्स फास्ट सर्विस शॉप में बेचे जाने वाले कन्फेक्शनरी या डेजर्ट है इसपर उसी के हिसाब से टैक्स लगेगा। कंपोजिट सप्लाई क्या है? कंपोजिट सप्लाई तब होती है जब दो या ज्यादा वस्तुओं या सेवाओं की सप्लाई एक साथ की जाती है। ये वस्तुएं आपस में जुड़ी होती हैं, यानी इन्हें अलग-अलग करना प्रैक्टिकली संभव नहीं है। इस पूरे सप्लाई चेन में एक मेन प्रोडक्ट या सर्विस होती है और बाकी इसकी सब्सिडियरी प्रोडक्ट्स होती हैं। इन पर टैक्स भी मेन प्रोडक्ट पर तय नियम के हिसाब से लगता है। इसे कुछ उदाहरण से समझिए...

डोनट्स बेकरी प्रोडक्ट है या रेस्टोरेंट सर्विस:आज बॉम्बे हाईकोर्ट फैसला सुनाएगा, यह भी तय होगा कि इसपर कितनी GST लगेगी
Kharchaa Pani द्वारा लिखित, टीम नेतागण
डोनट्स का नाम सुनते ही मीठेपन की याद आती है। फिर चाहे वो सुबह की चाय के साथ हो या शाम की आपकी फेवरेट डेली ट्रीट। लेकिन अब, इन डोनट्स की कानूनी स्थिति को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में एक अहम फैसला आज सुनाया जाने वाला है। इस फैसले से यह तय होगा कि डोनट्स को बेकरी प्रोडक्ट माना जाएगा या रेस्टोरेंट सर्विस। साथ ही यह भी निर्धारित होगा कि इन पर कितनी जीएसटी लगाई जाएगी।
डोनट्स और जीएसटी: एक बड़ा सवाल
डोनट्स के संबंध में जीएसटी की स्थिति वर्षों से विवाद का मुद्दा रही है। जहां कुछ लोग इसे बेकरी सामग्री मानते हैं, वहीं अन्य इसे रेस्टोरेंट सर्विस के तहत लाना चाहते हैं। यदि डोनट्स को बेकरी प्रोडक्ट के रूप में मान्यता मिलती है, तो उस पर जीएसटी की दर कम होगी, जो कि वर्तमान में रेस्टोरेंट सर्विस की श्रेणी में अधिक होती है।
बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला: अपेक्षाएँ
आज का निर्णय न केवल डोनट्स के व्यापारियों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि ग्राहकों के लिए भी। यह स्पष्ट करेगा कि इन्हें खरीदना अधिक महंगा पड़ेगा या नहीं। डोनट्स की लागत कई कारकों पर निर्भर करती है, जिसमें सामग्रियों की कीमत और टैक्स दरें शामिल हैं। कोर्ट के निर्णय के बाद, व्यापारियों को अपने मूल्य निर्धारण में सुधार करना होगा।
क्या कहते हैं व्यापारी?
डोनट्स बेचने वाले कई व्यापारी इस फैसले को लेकर चिंतित हैं। उनका कहना है कि यदि जीएसटी दरें बढ़ती हैं, तो उन्हें अपनी बिक्री मूल्य में इजाफा करना पड़ सकता है, जो ग्राहकों के लिए किसी न किसी तरह मान्य नहीं होगा। ग्राहकों की उसी संख्या पर राशन आर्थिक दबाव बन सकता है, जो किसी भी दुकानदार के व्यवसाय के लिए हानिकारक हो सकती है।
उपसंहार
जैसे-जैसे सुर्खियाँ बनती जा रही हैं, यह स्पष्ट है कि आज का फैसला बहुत से लोगों के जीवन को प्रभावित करेगा। यह केवल डोनट्स के विवरण में नहीं, बल्कि इससे जुड़े व्यापार और ग्राहकों के प्रति दायित्व को लेकर भी एक महत्वपूर्ण निर्णय होगा। हमें सभी को आधिकारिक जानकारी का इंतज़ार है।
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