चारधाम की तर्ज पर उत्तराखंड के प्रमुख मंदिरों पर यात्रियों को कराना होगा रजिस्ट्रेशन, जल्द लागू होगी व्यवस्था
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चारधाम की तर्ज पर उत्तराखंड के प्रमुख मंदिरों पर यात्रियों को कराना होगा रजिस्ट्रेशन, जल्द लागू होगी व्यवस्था
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उत्तराखंड की सरकार ने सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों पर आने वाले यात्रियों के पंजीकरण को अनिवार्य करने का निर्णय लिया है, ठीक उसी तरह जैसे चारधाम यात्रा में किया गया था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि यह व्यवस्था जल्द ही लागू की जाएगी और इसके लिए सभी हितधारकों के साथ संवाद किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री का बयान
शनिवार को एक प्रेस वार्ता में मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य में धार्मिक यात्राओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। श्रद्धालुओं के लिए सभी धार्मिक स्थलों, जैसे कि जगन्नाथ मंदिर (उत्तरकाशी), कार्तिक स्वामी (रुद्रप्रयाग), त्रियुगीनारायण मंदिर, ओंकारेश्वर मंदिर और मां पूर्णागिरी का दर्शन करना संभव हो सकेगा। उन्होंने कहा कि इस नई व्यवस्था से यात्रियों को निराश नहीं होना पड़ेगा।
यात्रा की नवीन रणनीतियाँ
धामी ने यह भी बताया कि धार्मिक स्थलों के आसपास के पर्यटन को विकसित करने के लिए दीर्घकालिक योजनाएँ बनाई जाएंगी, ताकि इन स्थलों की धारण क्षमता बढ़ सके। चारधाम यात्रा में इस वर्ष अब तक 38 लाख से अधिक यात्रियों ने दर्शन किए हैं, जो इस योजना की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
आपरेशन कालनेमि
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि कई धार्मिक स्थलों पर ठगी के मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए राज्य में आपरेशन कालनेमि चालू किया गया है। उन्होंने कहा कि यह आपरेशन उन लोगों के खिलाफ है जो श्रद्धालुओं को ठगने के लिए भेष बदलते हैं। इसके अलावा, बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है।
श्रद्धालुओं के लिए सलाह
धामी ने सभी शिवभक्तों और श्रद्धालुओं से यह अपील की है कि वे कानून का पालन करें और किसी भी तरह की परेशानी न करें। उन्होंने कहा कि सावन का पवित्र मास चल रहा है और कांवड़ यात्रा जारी है, इसलिए सभी को संयम और सवस्थता बनाए रखनी चाहिए।
निष्कर्ष
इस नई व्यवस्था के तहत प्रमुख धार्मिक स्थलों पर पंजीकरण कराने की प्रक्रिया से न सिर्फ श्रद्धालुओं को सुविधा होगी, बल्कि धार्मिक स्थलों की व्यवस्था भी बेहतर होगी। प्रदेश सरकार की यह पहल सुनिश्चित करेगी कि सभी यात्रियों को सुरक्षित और सुव्यवस्थित यात्रा का अनुभव मिल सके।
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