उत्तराखंड में रोजगार की मारामारी, आंगनबाड़ी सहायक बनने को मजबूर हुई बीटेक,पीएचडी, बीएड डिग्रीधारी
उत्तराखंड में रोजगार की मारामारी, आंगनबाड़ी सहायक बनने को मजबूर हुई बीटेक,पीएचडी, बीएड डिग्रीधारी *आंगनबाड़ी कार्यकत्री नियुक्ति में पारदर्शिता की मिसाल कायम हुई : रेखा आर्या* *हल्द्वानी में आयोजित कार्यक्रम…

उत्तराखंड में रोजगार की मारामारी, आंगनबाड़ी सहायक बनने को मजबूर हुई बीटेक, पीएचडी, बीएड डिग्रीधारी
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उत्तराखंड में रोजगार के क्षेत्र में हालात अत्यंत चिंताजनक बनते जा रहे हैं। राज्य में बेरोजगारी की समस्या ने छात्रों और नए स्नातकों की उम्मीदों को झकझोर कर रख दिया है। हाल में, हल्द्वानी में आयोजित एक कार्यक्रम में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की नियुक्ति के संबंध में एक नई चर्चा का आगाज़ हुआ जब यह सामने आया कि बीटेक, पीएचडी और बीएड डिग्री वाले युवा आंगनबाड़ी सहायक बनने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
रोजगार संकट का विस्तार
उत्तराखंड में पूर्व के विभागों की स्थिति और सरकारी नौकरियों में कमी के कारण उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले युवाओं को रोजगार की गंभीर कमी का सामना करना पड़ा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में बेरोजगारी दर तेजी से बढ़ती जा रही है, जिसके चलते शिक्षित युवा वर्ग आंगनबाड़ी सहायक जैसी चतुर्थ श्रेणी की नौकरियों के लिए आवेदन कर रहा है।
रेखा आर्या, अर्ध-सरकारी विभागों की मंत्री, ने हाल के कार्यक्रम में इस विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहा, "आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की नियुक्ति में पारदर्शिता की मिसाल कायम हुई है।" उनका यह कथन इस स्थिति का एक मजबूत उदाहरण देता है कि कैसे शिक्षा का स्तर बढ़ने के बावजूद नौकरी की स्थिति में गिरावट आई है।
आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की जरूरत
राज्य सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की नियुक्ति को एक महत्वपूर्ण कदम मानते हुए कहा कि यह बच्चों के विकास तथा स्वस्थ समाज के निर्माण में सहायक साबित होगा। हालांकि, जब बीटेक और पीएचडी जैसे उच्च शिक्षित लोग इस नौकरी के लिए आवेदन कर रहे हैं, तो यह सवाल उठता है कि आखिरकार नवयुवकों को उनकी योग्यताओं के मुताबिक रोजगार क्यों नहीं मिल रहा है।
समाज व सरकार की ज़िम्मेदारी
यह स्थिति केवल उत्तराखंड की नहीं है; भारत के अन्य राज्यों में भी इस प्रकार की समस्याएँ देखने को मिल रही हैं। सरकार को तुरंत प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि शिक्षित युवा वर्ग की प्रतिभा का सही उपयोग किया जा सके। योग्यताओं के अनुसार रोजगार दिलाना और बेरोजगारी की समस्या को समाधान प्रदान करना, सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
निष्कर्ष
उत्तराखंड में भले ही आंगनबाड़ी सहायक बनने को मजबूर होने के बावजूद, शिक्षित युवा वर्ग अपनी मेहनत और संघर्ष को जारी रखे हुए हैं। यह आशा की एक किरण है कि आने वाले दिनों में राज्य में रोजगार के अवसर बेहतर होंगे और युवा अपनी दक्षताओं का उचित लाभ उठा सकेंगे। रोजगार की इस मारामारी से जूझते हुए, युवा वर्ग को निरंतर प्रयासरत रहना होगा।
उन सभी को प्रेरित करते हुए, हम आपको याद दिलाते हैं, "खुद पर विश्वास रखें, सफलता अवश्य मिलेगी।"
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