हरेला पर्व पर एसजीआरआर विश्वविद्यालय में चला विशेष पौधारोपण अभियान
हरेला पर्व पर एसजीआरआर विश्वविद्यालय में चला विशेष पौधारोपण अभियान पर्यावरण संरक्षण का दिया संदेश देहरादून। उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत और प्रकृति प्रेम के प्रतीक हरेला पर्व के अवसर…

हरेला पर्व पर एसजीआरआर विश्वविद्यालय में चला विशेष पौधारोपण अभियान
Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - kharchaapani. देहरादून। उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत और प्रकृति प्रेम के प्रतीक हरेला पर्व के अवसर पर एसजीआरआर विश्वविद्यालय ने विशेष पौधारोपण अभियान का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना और छात्रों में वृक्षारोपण के प्रति जागरूकता फैलाना था।
हरेला पर्व का महत्व
हरेला पर्व का आयोजन प्रति वर्ष जुलाई महीने में होता है। यह पर्व खासकर उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में मनाया जाता है और इसे खुशियों का पर्व माना जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को हरेला उपहार में देते हैं, जो पर्यावरण के प्रति प्रेम को दर्शाता है। एसजीआरआर विश्वविद्यालय ने इस पर्व को काफी अच्छे ढंग से मनाया, जिसमें छात्रों और शिक्षकों ने मिलकर वृक्षारोपण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पौधारोपण अभियान की विशेषताएँ
इस विशेष अभियान का उद्देश्य न केवल वृक्षारोपण करना था, बल्कि छात्र-छात्राओं को इस प्रक्रिया में शामिल करना भी था। कार्यक्रम में विभिन्न प्रकार के पौधों का रोपण किया गया, जिनमें फलदार और छायादार पेड़ शामिल थे। विश्वविद्यालय के प्रिंसिपल ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा, "पौधारोपण केवल एक कर्तव्य नहीं बल्कि एक जीवन का हिस्सा होना चाहिए। हमें अपने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सदा तत्पर रहना चाहिए।"
छात्रों की सक्रिय भागीदारी
इस अभियान में विश्वविद्यालय के अनेक छात्रों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उन्होंने न केवल पौधे लगाए, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर विचार-विमर्श भी किया। छात्रों ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से उन्हें प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का एहसास होता है और वे आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरित वातावरण तैयार करने में अपना योगदान देना चाहते हैं।
पर्यावरण संरक्षण का संदेश
इस अभियान ने पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने का एक महत्वपूर्ण कार्य किया। पौधारोपण सिर्फ वृक्ष लगाने का कार्य नहीं है, बल्कि यह पूरे समुदाय को जोड़ता है, जिससे सभी मिलकर अपने आस-पास के पर्यावरण को बचाने की दिशा में कदम उठा सकें। विश्वविद्यालय ने यह सुनिश्चित किया है कि इस तरह के कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित होते रहेंगे।
निष्कर्ष
एसजीआरआर विश्वविद्यालय का यह पौधारोपण अभियान न केवल हरेला पर्व के उत्सव को मनाने का एक तरीका था, बल्कि यह उन सभी के लिए एक प्रेरणा थी जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में योगदान देना चाहते हैं। जैसे ही हम आगे बढ़ते हैं, इस तरह के गतिविधियों का महत्व और बढ़ता जाएगा। चलिए, हम सभी अपने-अपने क्षेत्रों में वृक्षारोपण को बढ़ावा दें और अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए प्रयासरत रहें।
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