सुप्रीम कोर्ट बोला- तेलंगाना में पेड़ कटाई की स्थिति गंभीर:हैदराबाद यूनिवर्सिटी के पास जंगल काटने का मामला; छात्र और पुलिस की झड़प हुई थी
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को हैदराबाद यूनिवर्सिटी के पास की जमीन पर किसी भी तरह की गतिविधि पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा- तेलंगाना सरकार को जमीन पर पेड़ों की सुरक्षा के अलावा कोई गतिविधि नहीं करनी चाहिए। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने राज्य में पेड़ों की कटाई को बहुत गंभीर बताया। पीठ ने कहा- तेलंगाना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार की रिपोर्ट इसकी खतरनाक तस्वीर दिखाती है। रिपोर्ट से पता चलता है कि बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए हैं। इसके अलावा पीठ ने तेलंगाना के मुख्य सचिव से यूनिवर्सिटी के पास की जमीन पर पेड़ काटकर काम शुरू करने की जल्दी पर जवाब मांगा है। साथ ही पूछा है कि क्या राज्य ने इस तरह की गतिविधियों (पेड़ों की कटाई) के लिए पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का असेसमेंट सार्टिफिकेट लिया है। बीते दिन सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया सुप्रीम कोर्ट ने 2 अप्रैल को यूनिवर्सिटी के पास की 400 एकड़ जमीन पर पेड़ों की कटाई का संज्ञान लिया था। कोर्ट ने तेलंगाना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को साइट का दौरा कर रिपोर्ट पेश करने का भी निर्देश दिया था। मामले में अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होगी। यूनिवर्सिटी के छात्रों ने पर्यावरण से जुड़ी चिंताओं को लेकर 30 मार्च को विरोध प्रदर्शन किया था। जमीन साफ करने के लिए पुलिस की मौजूदगी में दर्जनों बुलडोजर लाए गए थे। इस दौरान छात्रों और पुलिस के बीच तीखी झड़प हुई थी। 5 जिफ के जरिए पूरा मामला समझिए... विपक्ष बोला- मोहब्बत की दुकान नहीं, विश्वासघात का बाजार विपक्षी पार्टी BRS ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर निशाना साधते X पर लिखा- कांग्रेस की 'मोहब्बत की दुकान' अब हैदराबाद यूनिवर्सिटी तक पहुंच गई है। राहुल गांधी हाथ में संविधान लेकर उपदेश देते फिर रहे हैं, जबकि उनकी सरकार इसके विपरीत काम कर रही है। यह मोहब्बत की दुकान नहीं विश्वासघात का बाजार है। BRS के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव ने कहा, 'राहुल गांधी मुंबई में आरे और छत्तीसगढ़ में हसदेव जंगलों के लिए आवाज उठा चुके हैं। फिर आज जब उनकी पार्टी की सरकार छात्रों पर अत्याचार कर रही है और पर्यावरण नष्ट कर रही है, तो वे चुप क्यों हैं।' पुलिस बोली- छात्रों ने हमला किया, केस चलेगा BRS ने आरोप लगाया- पुलिस की मौजूदगी में जमीन को समतल करने के लिए दर्जनों बुलडोजर लाए गए थे। इस दौरान पुलिस ने विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों को डंडों से पीटा। लड़कियां रो रही थीं कि उनके कपड़े फाड़ दिए गए हैं, लेकिन पुलिस ने उनकी बात नहीं सुनी और उन्हें पुलिस स्टेशन ले गई। करीब 200 लोगों को गिरफ्तार किया गया। हालांकि, पुलिस ने कहा कि सरकारी काम में बाधा डालने वाले 53 छात्रों को एहतियातन हिरासत में लिया गया है। उनमें से कुछ छात्रों ने पुलिस पर हमला भी किया था। उन पर केस दर्ज किया जाएगा। ------------------------------------------------- पर्यावरण पर सुप्रीम कोर्ट की यह खबर भी पढ़ें... दिल्ली-एनसीआर में 1 साल तक पटाखे बैन, SC ने कहा- सभी एयर प्यूरीफायर नहीं लगा सकते सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली-एनसीआर में पटाखे बनाने, स्टोर करने और बेचने पर लगे प्रतिबंध को एक साल के लिए बढ़ा दिया। कोर्ट ने कहा- वायु प्रदूषण का स्तर काफी समय से खतरनाक बना हुआ है। हर कोई अपने घर या ऑफिस में एयर प्यूरीफायर नहीं लगा सकता। पूरी खबर पढ़ें...

सुप्रीम कोर्ट बोला- तेलंगाना में पेड़ कटाई की स्थिति गंभीर: हैदराबाद यूनिवर्सिटी के पास जंगल काटने का मामला; छात्र और पुलिस की झड़प हुई थी
Kharchaa Pani
लेखक: सुषमा शर्मा, टीम नेतानागरी
परिचय
तेलंगाना में पेड़ काटने की बढ़ती स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता जताई है। हाल ही में हैदराबाद यूनिवर्सिटी के पास जंगलों को काटने को लेकर छात्रों और पुलिस के बीच हुई झड़प ने इस मुद्दे को और अधिक गंभीर बना दिया है। यह घटना न केवल पर्यावरण के लिए खतरनाक है, बल्कि स्थानीय समुदायों के जीवन पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रही है।
झड़प का कारण
हाल में हुए इस झगड़े का मुख्य कारण हैदराबाद यूनिवर्सिटी के समीप स्थित जंगलों की कटाई है। छात्रों का आरोप है कि सरकार और स्थानीय प्रशासन ने बिना उचित अनुमति के पेड़ों की कटाई की है। इस मामले में दर्जनों छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया, जिसे रोकने के लिए पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा।
संविधान का संरक्षण और पर्यावरण
सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर संज्ञान लेते हुए कहा कि संविधान में प्रदर्शित पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्यों का उल्लंघन हो रहा है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। यदि इस दिशा में कदम नहीं उठाए गए, तो परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं।
छात्रों की भूमिका
छात्रों ने इस मामले में अपनी आवाज उठाते हुए कहा है कि वे पर्यावरण के लिए लड़ेंगे। उनका मानना है कि आने वाली पीढ़ियों के लिए पेड़ और जंगल बेहद महत्वपूर्ण हैं। छात्रों का उद्देश्य है कि वे इस लड़ाई को आगे बढ़ाकर न केवल अपने अधिकारों की रक्षा करें, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी फैलाएं।
आगे का रास्ता
सुप्रीम कोर्ट द्वारा उठाए गए इस मामले में छात्रों की मांगों को ध्यान में रखते हुए सरकार को उचित कदम उठाने की आवश्यकता है। यदि समय रहते इस संकट का समाधान नहीं किया गया, तो यह जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं का कारण बन सकता है। न्यायालय ने सरकार से स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने के लिए कहा है, ताकि भविष्य में फिर से ऐसी घटनाएँ न हों।
निष्कर्ष
तेलंगाना में पेड़ काटने की स्थिति एक गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है। सुप्रीम कोर्ट और छात्रों की आवाजें अब इस दिशा में महत्वपूर्ण मोड़ ला सकती हैं। प्रशासन को पर्यावरण संरक्षण का महत्व समझते हुए उचित और त्वरित कार्रवाई करने की आवश्यकता है, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुनहरा भविष्य सुनिश्चित किया जा सके।
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