सचिवालय में वर्षों से जमे अफसर अब हटेंगे, मुख्य सचिव ने आनंदबर्द्धन ने की नई तबादला नीति लागू
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सचिवालय में वर्षों से जमे अफसर अब हटेंगे, मुख्य सचिव ने आनंदबर्द्धन ने की नई तबादला नीति लागू
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मुख्य सचिव आनंदबर्द्धन ने सचिवालय प्रशासन में वर्षों से जमे अधिकारियों के बदलाव की नई नीति लागू करने की घोषणा की है। यह कदम सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है, जो सरकारी तंत्र में परिवर्तन और सुधार लाने के लिए उठाया गया है। विभाग में बदलाव की इस नीति का उद्देश्य प्रगति और कार्यकुशलता को बढ़ावा देना है।
इतिहास का पुनरावलोकन
सचिवालय में एक ही अनुभाग और विभाग में अधिकारियों का वर्षों तक बने रहना एक ऐसी स्थिति थी, जो न केवल काम की गति को प्रभावित कर रहा था, बल्कि सतत विकास में भी बाधा उत्पन्न कर रहा था। हालाँकि, वर्ष 2007 में एक तबादला नीति का प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन वह प्रभावी नहीं हो पाई थी। अब, नई तबादला नीति 31 जुलाई तक सभी अधिकारियों के लिए लागू की जाएगी, जिसका उद्देश्य दीर्घकालिक नियुक्तियों को समाप्त करना है।
नई तबादला नीति की विशेषताएँ
नई नीति के तहत सचिवालय सेवा संवर्ग के सभी अधिकारी, अनुभाग अधिकारी से लेकर संयुक्त सचिव तक, प्रभावित होंगे। इसके अलावा, समीक्षा अधिकारी, सहायक समीक्षा अधिकारी और कंप्यूटर सहायक भी इस नीति के दायरे में आएंगे। मुख्य सचिव के अनुमोदन से वार्षिक तबादलों के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा। इस समिति में अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, और सचिव सचिवालय सेवा के अध्यक्ष होंगे, जिससे हर तबादले की सावधानीपूर्वक समीक्षा की जाएगी।
तैनाती की अधिकतम अवधि
मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया है कि श्रेणी-क के अधिकारी किसी एक विभाग में अधिकतम तीन साल तक तैनात रहेंगे। वहीं, श्रेणी-ख के अधिकारियों के लिए अधिकतम पांच साल की सीमा तय की गई है। इसके अलावा, समीक्षा अधिकारियों और सहायक समीक्षा अधिकारियों को अधिकतम पांच साल तक और कंप्यूटर सहायक को अधिकतम सात साल तक तैनाती की अनुमति होगी।
साइबर सुधार और संचालन में वृद्धि
यह नई नीति न केवल प्रशासनिक कार्यों में सुधार लाएगी, बल्कि विभागीय दक्षता को भी बढ़ावा देगी। यह बदलाव नागरिकों के प्रति जिम्मेदारी भी बढाएगा, क्योंकि ताजा दृष्टिकोण के साथ काम में सुधार होने की उम्मीद है।
निष्कर्ष
सचिवालय में अधिकारियों के तबादलों की इस नई नीति से उम्मीद की जा रही है कि यह व्यवस्था को बेहतर करने में सहायता करेगी। मुख्य सचिव आनंदबर्द्धन का यह कदम सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और कार्यकुशलता को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। इस बदलाव के साथ, अब देखना यह होगा कि किस प्रकार यह नीति अपनी प्रभावशीलता साबित करती है।
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