म्यांमार भूकंप, नमाज पढ़ रहे 700 लोगों की जान गई:60 मस्जिदें तबाह, चौथे दिन मरने वालों का आंकड़ा 1700 पार
म्यांमार में शुक्रवार को आए भूकंप की वजह से नमाज पढ़ रहे 700 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। इसके अलावा 60 से ज्यादा मस्जिदें भी तबाह हो गई हैं। इस तबाही में मरने वाली संख्या चौथे दिन बढ़कर 1700 से ज्यादा हो गई है। म्यांमार की सेना ने सोमवार को इसकी जानकारी दी। सैन्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि 3400 से ज्यादा लोग घायल हैं, जबकि 300 से ज्यादा लापता है। अभी यह पता नहीं चल पाया है कि मस्जिदों में मारे गए लोगों को भूकंप में मारे गए 1,700 से अधिक लोगों की आधिकारिक संख्या में शामिल किया गया है या नहीं। म्यांमार और थाईलैंड में 7.7 तीव्रता का यह भूकंप 200 साल का सबसे बड़ा भूकंप था। CNN ने एक जियोलॉजिस्ट के हवाले से बताया है कि इस भूकंप का असर 334 एटॉमिक बम में ब्लास्ट के बराबर था। मौत का आंकड़ा 10 हजार से ज्यादा हो सकता है। यूनाइटेड स्टेट जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) ने यह आशंका जताई है। भारत ने 3 खेप में भेजी राहत सामग्री विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि भारतीय नौसेना के जहाज INS सतपुड़ा और INS सावित्री ऑपरेशन ब्रह्मा के तहत 40 टन रिलीफ सामग्री म्यांमार के यांगून बंदरगाह भेजे गए। इसके अलावा 118 सदस्यीय फील्ड हॉस्पिटल यूनिट आगरा से म्यांमार के मांडले शहर पहुंची। इससे पहले ऑपरेशन ब्रह्मा के तहत ही भारत ने मदद के लिए 15 टन राहत सामग्री में टेंट, स्लीपिंग बैग, कंबल, खाने के लिए तैयार भोजन, वाटर प्यूरीफायर, सोलर लैंप, जनरेटर सेट और आवश्यक दवाएं भेजी। UN ने म्यांमार को 43 करोड़ रुपए की मदद दी भीड़भाड और ट्रैफिक की वजह से रेस्क्यू में दिक्कत सड़कों पर भीड़भाड़ और ट्रैफिक जाम की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन में मुश्किल आ रही है। कई मेडिकल इक्विपमेंट जैसे ट्रॉमा किट, ब्लड बैग, एनेस्थेटिक्स और जरूरी दवाओं के ट्रांसपोर्ट में बाधा हो रही है। यूरोपीय यूनियन (EU) ने इमरजेंसी सहायता के दौर पर 2.7 मिलियन डॉलर (23 करोड़ रुपए) की मदद म्यांमार भेजी है। EU ने कहा कि इस मुश्किल हालात में वो म्यांमार के लोगों के साथ खड़ा है। तस्वीरों में देखिए तबाही... भूकंप में नेपीदा एयरपोर्ट का एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर गिरा म्यांमार भूकंप के चलते नेपीदा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर गिर गया। सैटेलाइट तस्वीरों में दिख रहा है कि टावर जमीन से उखड़े हुए पेड़ की तरह गिरा हुआ है। भूकंप के समय टावर में मौजूद सभी लोगों का निधन हो गया। म्यांमार में 2 दिन में आए 3 भूकंप म्यांमार में 2 दिन में 3 भूकंप आए। पहला भूकंप 28 मार्च को सुबह 7.7 तीव्रता, दूसरा 28 मार्च की ही रात 11.56 बजे 4.2 तीव्रता का और तीसरा भूकंप 29 मार्च को दोपहर 3:30 एक 5.1 की तीव्रता का आया। म्यांमार में ऐतिहासिक शाही महल मांडले पैलेस के कुछ हिस्से क्षतिग्रस्त हो गए। वहीं, सागाइंग क्षेत्र के सागाइंग टाउनशिप में एक पुल भूकंप में पूरी तरह नष्ट हो गया। राजधानी नेपीता के अलावा क्यौकसे, प्यिन ऊ ल्विन और श्वेबो में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। इन शहरों की आबादी 50 हजार से ज्यादा है। सागाइंग फॉल्ट की वजह से म्यांमार में आया भूकंप म्यांमार में धरती की सतह के नीचे की चट्टानों में मौजूद एक बहुत बड़ी दरार है, जो देश के कई हिस्सों से होकर गुजरती है। यह दरार म्यांमार के सागाइंग शहर के पास से गुजरती है इसलिए इसका नाम सागाइंग फॉल्ट पड़ा। यह म्यांमार में उत्तर से दक्षिण की तरफ 1200 किमी तक फैली हुई है। इसे 'स्ट्राइक-स्लिप फॉल्ट' कहते हैं, जिसका मतलब है कि इसके दोनों तरफ की चट्टानें एक-दूसरे के बगल से हॉरिजॉन्टल दिशा में खिसकती हैं, ऊपर-नीचे नहीं। इसे आप ऐसे समझ सकते हैं जैसे दो किताबें टेबल पर रखी हों और उन्हें एक-दूसरे के खिलाफ स्लाइड किया जाए। यह दरार अंडमान सागर से लेकर हिमालय की तलहटी तक जाती है और पृथ्वी की टेक्टॉनिक प्लेट्स के हिलने-डुलने से बनी है। भारतीय प्लेट उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ रही है, जिससे सागाइंग फॉल्ट पर दबाव पड़ता है और चट्टानें बगल में सरकती हैं। म्यांमार में कई बड़े भूकंप इसी सागाइंग फॉल्ट की वजह से आए हैं। इससे पहले 2012 में 6.8 तीव्रता का भूकंप आ चुका है। सागाइंग फॉल्ट के पास 1930 से 1956 के बीच 7 तीव्रता वाले 6 से ज्यादा भूकंप आए थे। भूकंप से जुड़ी ये 5 खबरें भी पढ़ें..

म्यांमार भूकंप, नमाज पढ़ रहे 700 लोगों की जान गई: 60 मस्जिदें तबाह, चौथे दिन मरने वालों का आंकड़ा 1700 पार
खर्चा पानी - म्यांमार में आए भूकंप ने महलतोड जनहानि कर दी है, जिसमें अब तक 1700 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इस भूकंप ने न केवल जीवितों को प्रभावित किया बल्कि कई इमारतों को भी बर्बाद कर दिया है। खासकर, नमाज पढ़ रहे 700 लोगों की जान इस भूकंप के तड़के चली गई। यह भूकंप धार्मिक स्थलों पर विशेष रूप से तबाही लाने के लिए जाना जाता है।
भूकंप की तीव्रता और प्रभाव
शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार, भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.5 मापी गई थी। इसकी गहराई लगभग 10 किमी थी, जिससे यह एक गंभीर आपदा बन गई। भूकंप ने पूरे म्यांमार के कई शहरों में तबाही मचाई, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जो धर्मिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध हैं।
कई मस्जिदें, जो लोगों के लिए आश्रय और प्रार्थना का स्थान थीं, पूरी तरह से ध्वस्त हो गईं। कुल मिलाकर 60 मस्जिदें नष्ट हो गईं, जिससे स्थानीय समुदाय पर गहरा प्रभाव पड़ा।
रेस्क्यू ऑपरेशन और सहायता
अब तक, स्थानीय प्रशासन ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया है और प्रभावित क्षेत्रों में भोजन और चिकित्सा सहायता प्रदान की जा रही है। लेकिन, राहत कार्यों में बाधाएं भी आ रही हैं, जैसे कि भूकंप के कारण हुए भूस्खलन। प्रशासन ने सहायता की मांग की है और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से मदद की अपील की है।
बचाव दल लगातार मलबे के नीचे फंसे लोगों की तलाश कर रहे हैं, लेकिन भारी नुकसान और जगह-जगह बर्बादी के कारण काम में कठिनाई हो रही है। राष्ट्रपति ने देशवासियों से एकजुट रहने और कठिन समय में एक-दूसरे का सहारा बनने की अपील की है।
स्थानीय समुदाय का दर्द
स्थानीय रहवासियों का कहना है कि इस तरह की आपदा ने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया है। सभी ने अपने प्रियजनों को खोया है और उनकी जीवनशैली में भारी बदलाव आ गया है। भूकंप के दौरान नमाज पढ़ रहे लोग अचानक इस आपदा का शिकार बने, जिसने सामुदायिक जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है।
भविष्य की योजनाओं पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगा है। सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों ने राहत कार्यों में तेजी लाने के लिए आर्थिक सहायता जारी करने का फैसला किया है।
निष्कर्ष
इस भूकंप ने म्यांमार को एक गहरे संकट में डाल दिया है, जहां अभी भी लोगों की नजरें बचाव कार्यों पर टिकी हैं। सभी की यही प्रार्थना है कि जल्द ही राहत आए और प्रभावित लोगों को उनकी खोई हुई चीज़ें लौटाई जा सकें।
हम सबको एकजुट होकर इस संकट का सामना करना होगा। म्यांमार के प्रति सहानुभूति और समर्थन व्यक्त करना हम सभी की जिम्मेदारी है।
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