भय बिनु होई न प्रीति‘ कहावत को चरितार्थ करता जिला प्रशासन; नामी गिरामी निजी स्कूलों पर शिकंजा

    ‘भय बिनु होई न प्रीति‘ कहावत को चरितार्थ करता जिला प्रशासन; नामी गिरामी निजी स्कूलों पर शिकंजा दसियों व्यथित अभिभावक झंुड ने जब लगाई डीएम से गुहार, बस…

Jul 23, 2025 - 18:34
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भय बिनु होई न प्रीति‘ कहावत को चरितार्थ करता जिला प्रशासन; नामी गिरामी निजी स्कूलों पर शिकंजा
    ‘भय बिनु होई न प्रीति‘ कहावत को चरितार्थ करता जिला प्रशासन; नामी गिरामी निजी स्कूलों पर शिकंजा

भय बिनु होई न प्रीति‘ कहावत को चरितार्थ करता जिला प्रशासन; नामी गिरामी निजी स्कूलों पर शिकंजा

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जिला प्रशासन ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए नामी गिरामी निजी स्कूलों पर शिकंजा कसा है। यह कदम ‘भय बिनु होई न प्रीति‘ कहावत को सही ठहराता है, जहाँ अभिभावकों की चिंताओं की अनदेखी करने वाले निजी विद्यालयों के खिलाफ कार्रवाई की गई। यह खबर उन दर्जनों अभिभावकों के लिए विशेष मायने रखती है जो अपने बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा को लेकर चिंतित थे।

जिला प्रशासन की कार्रवाई: अव्यवस्थाओं का खुलासा

हाल ही में, जिले के कई अभिभावकों के समूह ने डीएम से गुहार लगाई, जिसमें उन विद्यालयों की अव्यवस्थाओं का जिक्र किया गया जिनका प्रभाव बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा पर पड़ रहा था। अभिभावकों की इन आशंकाओं के बाद जिला प्रशासन ने जांच-पड़ताल की और पाया कि कुछ नामी स्कूलों में मैनजमेंट के तहत कई सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जा रही है।

सुरक्षा के मानक: क्या है मुद्दा?

इन अव्यवस्थाओं में अध्यापकों की अनुपस्थिति, अव्यवस्थित परिवहन व्यवस्था और छात्र-छात्राओं की सुरक्षा को लेकर लापरवाही शामिल थी। डीएम ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और शिक्षा विभाग को आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया। यह कदम न केवल अभिभावकों का विश्वास बहाल करेगा बल्कि बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा की विषम परिस्थितियों को भी सुधार सकता है।

अभिभावकों की आवाज़: कितनी सार्थक?

अभिभावकों की यह पहल यह बताती है कि स्कूलों और प्रशासन के बीच एक मजबूत संवाद होना आवश्यक है। स्कूल प्रबंधन को अभिभावकों की समस्याओं को सुनकर शीघ्र प्रतिक्रिया देने की आवश्यकता है, जिससे कि बच्चों के शैक्षणिक वातावरण में सुधार किया जा सके। हाल के घटनाक्रम ये सुधारीत वातावरण सुनिश्चित करने के लिए एक कदम हैं, परंतु यह सभी स्कूलों के लिए एक चेतावनी के रूप में भी कार्य कर सकता है।

निष्कर्ष: क्यों बनेगा यह उदाहरण?

जिला प्रशासन का यह कदम निश्चित रूप से ‘भय बिनु होई न प्रीति‘ कहावत को सिद्ध करता है। जब तक बच्चों की सुरक्षा और कल्याण के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जाते, तब तक उनके और उनके अभिभावकों के बीच विश्वास स्थापित नहीं हो सकता। इससे न केवल वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में सुधार होगा, बल्कि भविष्य में भी एक सुरक्षित व स्वस्थ शैक्षणिक माहौल का निर्माण होगा।

इस मामले का हल और प्रगति के लिए अभिभावकों को सक्रिय रहना होगा, और हम उम्मीद करते हैं कि जिला प्रशासन इस दिशा में और अधिक प्रयास करेगा।

अधिक जानकारी के लिए, हमारे वेबसाइट पर जाएँ: kharchaapani

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