चैत्र नवरात्रि, गणगौर तीज और अंगारक चतुर्थी व्रत सोमवार को:देवी दुर्गा, भगवान शिव, गणेश जी के साथ ही मंगलदेव की पूजा का शुभ योग, शिवलिंग पर चढ़ाएं लाल गुलाल
मंगलवार, 1 अप्रैल को देवी दुर्गा, भगवान शिव, गणेश जी के साथ ही मंगलदेव की पूजा का शुभ योग बन रहा है। सोमवार को चैत्र नवरात्रि, गणगौर तीज और अंगारक चतुर्थी है। इस कारण मंगलवार को पूजा-पाठ के साथ ही दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन शिव-पार्वती की पूजा की जाती है, वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और प्रेम बनाए रखने के लिए व्रत किया जाता है। इस तिथि पर महिलाएं मिट्टी से शिव प्रतिमा यानी गण और देवी पार्वती प्रतिमा यानी गौर बनाती हैं। फिर इनकी विधिवत पूजा करती हैं। माना जाता है कि जो महिलाएं ये व्रत करती हैं, उनका वैवाहिक जीवन भगवान की कृपा से सुखी बना रहता है। अविवाहित कन्याएं अच्छा पति पाने की कामना से ये व्रत करती हैं। ये व्रत सौभाग्य और सुखद जीवन देने वाला माना जाता है। महिलाएं इस दिन सौलह श्रृंगार करती हैं और फिर पूजा करती हैं। पौराणिक कथा है कि पुराने समय में गौरा यानी देवी पार्वती ने भी शिव जी को पति रूप में पाने के लिए ये व्रत किया था। इसके बाद देवी को पति रूप में शिव जी मिले थे। ऐसे कर सकते हैं शिव-पार्वती यान गण-गौर की पूजा अंगारक चतुर्थी पर करें गणेश जी की पूजा अंगारक चतुर्थी पर भगवान गणेश के लिए व्रत और पूजा करें। गणेश जी को दूर्वा चढ़ाएं। मंगलवार को मंगलदेव की पूजा करें। मंगल की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है। इसलिए शिवलिंग पर लाल गुलाल, लाल फूल, मसूर की दाल चढ़ाएं। इस दिन हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।

चैत्र नवरात्रि, गणगौर तीज और अंगारक चतुर्थी व्रत सोमवार को: देवी दुर्गा, भगवान शिव, गणेश जी के साथ ही मंगलदेव की पूजा का शुभ योग, शिवलिंग पर चढ़ाएं लाल गुलाल
Kharchaa Pani
लेखक: सविता शर्मा, टीम नेटानागरी
परिचय
हिंदू धर्म में Festivals का विशेष महत्व होता है। इस बार चैत्र नवरात्रि, गणगौर तीज और अंगारक चतुर्थी व्रत एक साथ सोमवार को आ रहा है। इन तीनों महोत्सवों का संयोजन भक्तों के लिए आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से विशेष रहस्य लाता है। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे इन त्योहारों की पूजा विधि, महत्व और विशेष अवसर पर भक्ति करना शुभ होगा।
चैत्र नवरात्रि का महत्व
चैत्र नवरात्रि की शुरुआत देवी दुर्गा की उपासना से होती है। यह नौ दिनों का पर्व माता दुर्गा की आराधना के लिए समर्पित होता है। भक्तजन इस दौरान व्रत रखते हैं और माता के दरबार में श्रद्धा से पूजा करते हैं। आमतौर पर इस व्रत में सुबह सुबह उपवास कर माता की आरती होती है और विभिन्न प्रकार की मिठाई और फूलों का चढ़ावा चढ़ाया जाता है।
गणगौर तीज का पर्व
गणगौर तीज विशेष रूप से राजस्थान और मध्य प्रदेश में मनाया जाने वाला त्योहार है। यह दर्शन और परिवार में सुख-समृद्धि लाने के लिए किया जाता है। इस दिन महिलाएं अपनी शादीशुदा जीवन के लिए मंगल की कामना करती हैं। उपवास करते समय महिलाएं विशेष रूप से अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं।
अंगारक चतुर्थी का महत्त्व
अंगारक चतुर्थी व्रत भगवान गणेश की उपासना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे खासकर मंगलवार के दिन करने का महत्व है। इस दिन को लेकर विशेष मान्यता है कि इस दिन गणेश जी की पूजा से सभी बाधाएं दूर होती हैं। भक्तजन इस दिन विशेष रूप से गणेश जी को लड्डू और मोदक का भोग लगाते हैं।
शिवलिंग पर लाल गुलाल चढ़ाने का शुभ योग
इन त्योहारों के संयोग में शास्त्रों के अनुसार, मंगल देव की पूजा का विशेष महत्व है। विशेष रूप से इस दिन शिवलिंग पर लाल गुलाल चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। हर भक्त को इस विशेष दिन का लाभ उठाना चाहिए और प्रेम और श्रद्धा के साथ पूजा करनी चाहिए।
निष्कर्ष
इस प्रकार, चैत्र नवरात्रि, गणगौर तीज, और अंगारक चतुर्थी व्रत एक साथ आकर भक्तों के लिए एक विशेष शुभ योग का निर्माण करते हैं। इस दिन देवी दुर्गा, भगवान शिव और गणेश जी की पूजा करना न केवल आध्यात्मिकता की ओर ले जाता है बल्कि हमें परिवार और समाज में सुख और समृद्धि का अनुभव भी कराता है। इस विशेष अवसर पर सभी भक्तगण अपनी आस्था और प्रेम के साथ पूजा अर्चना करें और समाज में शांति और खुशियों का प्रसार करें।
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