कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा के ट्रांसफर की सिफारिश की:इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन फैसले के विरोध में; जस्टिस के घर ₹500-500 के नोट जले मिले थे
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को उनके पैरेंट कोर्ट (इलाहाबाद हाईकोर्ट) वापस ट्रांसफर करने की सिफारिश का प्रस्ताव जारी कर दिया है। CJI संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने ये सिफारिश की है। 23 मार्च को ही जस्टिस वर्मा से दिल्ली हाईकोर्ट ने कार्यभार वापस ले लिया था।कॉलेजियम के प्रस्ताव में कहा गया है- 20 और 24 मार्च 2025 को हुई बैठकों में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट वापस भेजने की सिफारिश की है। वहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के इस फैसले पर आपत्ति जताई है। 23 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को वापस इलाहाबाद भेजने की बात का इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने विरोध किया था। बार ने जनरल हाउस मीटिंग बुलाई थी। जिसमें जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की मांग का प्रस्ताव पारित किया गया था। साथ ही मामले की जांच ED और CBI से कराने की मांग का भी प्रस्ताव पारित किया गया था। प्रस्ताव की कॉपी सुप्रीम कोर्ट CJI को भी भेजी गई है। कॉलेजियम का प्रस्ताव... पहले जानिए क्या है मामला... जस्टिस यशवंत वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित घर में 14 मार्च की रात आग लगी। उनके घर के स्टोर रूम जैसे कमरे में 500-500 रुपए के जले नोटों के बंडलों से भरे बोरे मिले। सवाल खड़ा हुआ कि इतना कैश कहां से आया। मामले ने तूल पकड़ा। 14 मार्च: कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने यह मामला राज्यसभा में उठाया। उन्होंने न्यायिक जवाबदेही का मसला उठाते हुए सभापति से इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज के खिलाफ महाभियोग के संबंध में लंबित नोटिस का जिक्र किया था। 22 मार्च: CJI संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की इंटरनल जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई थी। उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट चीफ जस्टिस से जस्टिस वर्मा को कोई भी काम न सौंपने को कहा था। 22 मार्च: देर रात सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस के घर से 15 करोड़ कैश मिलने का वीडियो जारी किया। 65 सेकेंड के वीडियो में नोटों से भरी जली बोरियां दिखाई दे रही हैं। मामले के खुलासे के बाद से जस्टिस वर्मा खुद ही छुट्टी पर हैं। 21 मार्च: जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाईकोर्ट होने का प्रस्ताव बनाया गया। जस्टिस यशवंत वर्मा इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही बतौर जज नियुक्त हुए थे। इसके बाद अक्टूबर 2021 में उनका दिल्ली हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया था। जज बनने से पहले वह इलाहाबाद हाईकोर्ट में राज्य सरकार के चीफ स्टैंडिंग काउंसिल भी रहे हैं। 23 मार्च: कैश कांड के लिए 3 सदस्यीय कमेटी बनी सुप्रीम कोर्ट के CJI संजीव खन्ना के आदेश पर कैश कांड की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई। इसमें जस्टिस शील नागू (पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस), जी एस संधावालिया (हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस) और कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं। मामले की जांच कितने समय में पूरी होनी है, फिलहाल यह तय नहीं किया गया है। अगर जांच कमेटी इस नतीजे पर पहुंचती है कि आरोप सही हैं, तो जस्टिस वर्मा को हटाने की कार्यवाही शुरू करने के लिए CJI संजीव खन्ना ये कदम उठा सकते हैं... अब देखिए जस्टिस वर्मा के घर की 3 तस्वीरें... सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा का भी पक्ष रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा का पक्ष भी है, जिसमें उन्होंने कहा है कि जिस स्टोर रूम में नोटों की गड्डियां मिलने की बात की जा रही है, वहां उन्होंने या उनके परिवार ने कभी कोई पैसा नहीं रखा। वो एक ऐसी खुली जगह है, जहां हर किसी का आना-जाना होता है। उन्हें इस मामले में फंसाया जा रहा है। दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय ने इंटरनल इन्क्वायरी के बाद सुप्रीम कोर्ट को 21 मार्च को रिपोर्ट सौंपी थी। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा को ज्यूडिशियल काम देने से मना कर दिया है। अब जस्टिस वर्मा के 6 महीने की कॉल डिटेल्स की जांच की जाएगी। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बोले- किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहित माथुर ने कहा- मैं मानता हूं कि बार एसोसिएशन जजों के जज के तौर पर काम करता है। जस्टिस वर्मा के खिलाफ आजतक किसी भी वकील ने मुझसे शिकायत नहीं की। उन्होंने कहा- जस्टिस वर्मा दिल्ली हाईकोर्ट के बेहतरीन जजों में से एक हैं। हालांकि उन पर लग रहे आरोप और पब्लिक डोमेन में चल रहे सबूत बेहद गंभीर हैं। वीडियो क्लिप साफ नहीं है, इसलिए किसी फैसले पर आना जल्दबाजी होगी। रिपोर्ट के बाद आगे क्या... CJI संजीव खन्ना के 3 सवाल CJI के 3 आदेश जस्टिस वर्मा की सफाई- वीडियो में जो दिखा, ये वैसा नहीं, जैसा मैंने देखा था दिल्ली HC के चीफ जस्टिस ने ये जानकारियां दीं... दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय ने 21 और 22 मार्च को सीजेआई को भेजी रिपोर्ट में ये जानकारियां दीं- पुलिस की रिपोर्ट: जज के पीए ने दी आग लगने की सूचना भारतीय मुद्रा पुलिस ने हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को दी रिपोर्ट में कहा है कि 14 मार्च रात 11:45 बजे पीसीआर को जस्टिस वर्मा के 30, तुगलाक क्रेसेंट बंगले में आग लगने की जानकारी मिली। दो दमकल वाहनों को बुलाया गया। आग कोठी की चारदिवारी के कोने में स्थित कमरे में लगी। इन्हीं से लगे कमरे में सुरक्षाकर्मी रहते हैं। शॉर्ट सर्किट से लगी आग पर तुरंत काबू पाया गया। आग बुझने के बाद कमर में अधजले नोट से भरी 4-5 अधजली बोरियां मिलीं। आग की जानकारी जज के निजी सचिव ने दी। 2018 में भी 97.85 करोड़ रुपए के घोटाले में नाम जुड़ चुका इससे पहले 2018 में गाजियाबाद की सिम्भावली शुगर मिल में गड़बड़ी के मामले में जस्टिस वर्मा के खिलाफ CBI ने FIR दर्ज की थी। NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने मिल में गड़बड़ी की शिकायत की थी। शिकायत में कहा था कि शुगर मिल ने किसानों के लिए जारी किए गए 97.85 करोड़ रुपए के लोन का गलत इस्तेमाल किया

कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा के ट्रांसफर की सिफारिश की:इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन फैसले के विरोध में; जस्टिस के घर ₹500-500 के नोट जले मिले थे
Kharchaa Pani - इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने कॉलेजियम द्वारा जस्टिस वर्मा के ट्रांसफर की सिफारिश का विरोध किया है। यह कदम उस समय उठाया गया जब जस्टिस वर्मा के घर से ₹500 के नोट जलने की खबरें सामने आईं। इस विवाद का ओहदा सिर्फ अन्याय का प्रतीक नहीं बल्कि न्याय प्रणाली के प्रति सार्वजनिक विश्वास को भी प्रभावित कर सकता है।
प्रस्तावना: हाईकोर्ट में हंगामा
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने कॉलेजियम के फैसले का खुलकर विरोध किया है। उनके अनुसार, यह निर्णय न्यायिक स्वतंत्रता और न्यायालय के स्वतंत्र कार्य को प्रभावित कर सकता है। जब जस्टिस वर्मा के आवास से जले हुए ₹500 के नोट मिले, तो यह पूरे मामले को और संगीन बना दिया।
कॉलेजियम का निर्णय
कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा के ट्रांसफर का प्रस्ताव रखा है, जिसे उन्होंने अपनी नीतियों के अनुसार उचित समझा। जस्टिस वर्मा को भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते अन्य जगह ट्रांसफर करने की योजना बनाई जा रही है। यह कदम न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति का हिस्सा माना जा रहा है।
जस्टिस वर्मा के प्रति आरोप
जस्टिस वर्मा के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लग चुका है। इसके चलते बार एसोसिएशन के सदस्यों का मानना है कि उन्हें उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए हटाया जाना चाहिए। इसके अलावा, जले हुए नोटों की उपस्थिति इस पूरी स्थिति को और गंभीर बनाती है।
बराबर की फटकार: बार एसोसिएशन का बयान
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने कॉलेजियम के इस निर्णय को लोकतांत्रिक प्रणाली पर एक प्रश्नचिन्ह के रूप में देखा है। उनके अनुसार, न्यायालय के फैसलों को बिना उचित सुनवाई के प्रभावित करना न्याय नहीं है। बार एसोसिएशन ने इसके खिलाफ आवाज उठाने का निश्चय किया है, ताकि न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा की जा सके।
निष्कर्ष: न्याय के प्रति संजीदा रहना जरूरी
जस्टिस वर्मा के ट्रांसफर का मामला केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि संपूर्ण न्याय प्रणाली के लिए एक परीक्षा है। यदि यह मुद्दा सही तरीके से नहीं सुलझाया गया, तो यह सार्वजनिक विश्वास को कमजोर कर सकता है। हमें चाहिए कि हम न्यायपालिका के स्वतंत्रता की रक्षा करें और उसे भ्रष्टाचार से मुक्त रखने के लिए कड़ी मेहनत करें।
अंत में, यह कहना है कि यह मामला सिर्फ जस्टिस वर्मा का नहीं है, बल्कि न्याय की एक लंबी लड़ाई का प्रतीक है। सभी पक्षों को ध्यान से सुनना और समझना चाहिए, तभी हम सही निर्णय की ओर बढ़ सकते हैं। For more updates, visit kharchaapani.com.
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