रेप और POCSO पीड़िता की केस खारिज करने की मांग:केरल हाईकोर्ट का याचिका पर विचार से इनकार; कहा-अपराध साबित हुआ, केस रद्द नहीं होगा

केरल हाईकोर्ट ने शनिवार को POCSO एक्ट के तहत दर्ज एक मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया है। याचिका पीड़िता और उसकी मां ने दायर की थी। जिसमें उन्होंने आरोपियों के खिलाफ मामला खत्म करने की मांग की थी। केरल हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब IPC के तहत रेप या POCSO एक्ट के तहत आने वाले गंभीर अपराध साबित होते हैं, तो ऐसे मामलों को खत्म करने के लिए पीड़िता की याचिका को वरीयता नहीं दी जा सकती। पीड़िता और उसकी मां ने जो दावे किए हैं उनके आधार पर भी मामले को रद्द नहीं किया जा सकता। ट्रायल कोर्ट को आदेश दिया कि वह इस मामले की सुनवाई तेजी से पूरी करे और 3 महीने के भीतर इसका निपटारा करे। क्या है पूरा मामला पीड़िता ने डांस टीचर और उसकी पत्नी के खिलाफ POCSO एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया था। पुलिस को दिए बयान में पीड़िता ने बताया था कि 2015 में जब वह नाबालिग थी, तब डांस टीचर ने उसे फिल्म और रियलिटी शो में काम दिलाने का वादा करके कई बार उसके साथ यौन संबंध बनाए। डांस टीचर ने शादी का वादा करके उसका शारीरिक शोषण किया। जब डांस टीचर ने किसी और से शादी कर ली, तो पीड़िता ने उसकी पत्नी को उनके रिलेशन के बारे में बताया। डांस टीचर की पत्नी ने पीड़िता से कहा कि वह भी उसके पति से शादी कर सकती है। इसके बाद, डांस टीचर की पत्नी ने अपने पति की पीड़िता से शारीरिक संबंध बनाने में मदद की और उन्हें बढ़ावा दिया। पीड़िता और उसकी मां ने बयान बदले हालांकि 2020 में जब पीड़िता बालिग हुई तो वह मजिस्ट्रेट के सामने पहले के सभी आरोपों से पलट गई। उसने कहा कि डांस टीचर ने उसके साथ न तो रेप किया और न ही छेड़छाड़ की। उसकी पत्नी की भी इसमें कोई भूमिका नहीं है। पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने दावा किया कि उसे डांस टीचर और उसकी पत्नी के खिलाफ झूठे आरोप लगाने के लिए मजबूर किया गया था। उसकी मां ने पहले शिकायत दर्ज करवाई थी, उसने भी अपने आरोपों से पीछे हटते हुए मामले को खत्म करने की मांग की। हाईकोर्ट का सख्त रुख हाईकोर्ट ने इन सभी दलीलों को खारिज किया और साफ कहा कि जब गंभीर अपराध सिद्ध होते हैं, तो पीड़िता की याचिका को प्राथमिकता नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने आरोपियों को मुकदमे में सहयोग करने का निर्देश दिया। ----------------------------- रेप मामलों से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर के दोषी को उम्रकैद, कोर्ट ने कहा- यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामला नहीं कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज-अस्पताल में 8 अगस्त की रात को ट्रेनी डॉक्टर से रेप और मर्डर के दोषी संजय रॉय को उम्रकैद (मरते दम तक जेल) की सजा सुनाई गई और 50 हजार का जुर्माना लगाया। सियालदह कोर्ट के जज अनिर्बान दास ने 20 जनवरी को दोपहर 2:45 बजे सजा सुनाते हुए कहा, 'यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामला नहीं है। मौत की सजा नहीं दी सकती।' पूरी खबर पढ़ें...

Feb 9, 2025 - 02:34
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रेप और POCSO पीड़िता की केस खारिज करने की मांग:केरल हाईकोर्ट का याचिका पर विचार से इनकार; कहा-अपराध साबित हुआ, केस रद्द नहीं होगा

रेप और POCSO पीड़िता की केस खारिज करने की मांग: केरल हाईकोर्ट का याचिका पर विचार से इनकार; कहा-अपराध साबित हुआ, केस रद्द नहीं होगा

Kharchaa Pani द्वारा अस्मिता शर्मा और साक्षी मेहता की टीम नेतानागरी

प्रस्तावना

केरल उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण मामले में एक याचिका पर विचार नहीं करने का निर्णय लिया, जिसमें रेप और POCSO (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस) कानून के तहत आरोपी के खिलाफ मामला खारिज करने की मांग की गई थी। अदालत ने स्पष्ट किया कि आरोपी के खिलाफ अपराध साबित हो चुका है और इसलिए केस को रद्द नहीं किया जाएगा। यह निर्णय न केवल इस मामले के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक संजीवनी की तरह बन गया है, जहाँ न्याय और सुरक्षा मांगी जा रही हैं।

केस का विवरण

इस केस में पीड़िता ने आरोप लगाया था कि उसे नाबालिग अवस्था में ही निर्दयता से यौन शोषण का शिकार होना पड़ा। पीड़िता की शिकायत पर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपी के खिलाफ FIR दर्ज की। वक्त के साथ, जांच में कई महत्वपूर्ण सबूत सामने आए, जो इस मामले की गंभीरता को उजागर कर रहे थे।

अदालत का रुख

केरल हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि विचाराधीन मामले में उपलब्ध सबूतों को देखते हुए, केस की जांच और सुनवाई को प्रभावित करने का कोई आधार नहीं है। अदालत ने यह भी संकेत दिया कि यह मामला केवल पीड़िता का ही नहीं है, बल्कि समाज की सुरक्षा और सम्मान का भी विषय है। यह फैसला उन सभी लोगों के लिए एक संदेश है जो यौन अपराधों को हल्के में लेते हैं।

सामाजिक महत्व

इस तरह के मामलों में न्याय प्रणाली का सही ढंग से कार्य करना अत्यंत आवश्यक है। न्यायालय का यह निर्णय न केवल पीड़िता के लिए, बल्कि समाज के लिए भी उम्मीद की किरण है कि अब यौन अपराधियों को सजा मिलेगी। इससे और अधिक पीड़ितों को अपनी आवाज उठाने की प्रेरणा मिलेगी। समाज में इस मुद्दे के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।

निष्कर्ष

केरल हाईकोर्ट का यह निर्णय तथ्यों और सबूतों के आधार पर ठोस है। इसके माध्यम से यह संदेश दिया गया है कि न्यायालय यौन अपराधों के खिलाफ गंभीर है। यह पीड़ितों को अवश्य प्रेरित करेगा कि वे अपने मामलों को लेकर आगे आएं और न्याय की मांग करें। समाज को इस निर्णय का स्वागत करना चाहिए और आगे बढ़ने के लिए एकजुट होना चाहिए।

इस प्रकार, न्यायालय ने न केवल एक पीड़िता के अधिकारों का बचाव किया, बल्कि पूरे समाज को यौन अपराध के खिलाफ सख्त कदम उठाने का संदेश भी दिया है। न्याय का सही अर्थ तभी समझा जाएगा जब हम सभी मिलकर इसके प्रति सजग रहें।

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