BJP सांसदों ने तुगलक लेन का नाम बदला:घर के नेम प्लेट पर विवेकानंद मार्ग लिखा, विपक्ष ने कहा- इतिहास बदलने की कोशिश
दिल्ली में एक बार फिर सड़कों के नाम बदलने को लेकर विवाद खड़ा हो चुका है। बीजेपी सांसद दिनेश शर्मा और केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर के सरकारी आवास के बाहर ‘तुगलक लेन’ की जगह ‘विवेकानंद मार्ग’ लिखा गया है। हालांकि, अभी आधिकारिक रूप से नाम नहीं बदला गया है। विपक्षी पार्टियां नाम बदलने को इतिहास से छेड़छाड़ बता रही हैं। वहीं बीजेपी का कहना है कि मुगल शासकों के नाम हटाकर भारतीय महापुरुषों के नाम दिया जाना चाहिए। नजफगढ़ का नाम नाहरगढ़ रखने की मांग 27 फरवरी को दिल्ली विधानसभा के सत्र में बीजेपी विधायक नीलम पहलवान ने विधानसभा में नजफगढ़ का नाम बदलने का प्रस्ताव रखा था। उन्होंने नजफगढ़ का नाम बदलकर नाहरगढ़ करने की मांग की. इस दौरान बीजेपी विधायक का कहना था कि 1857 की लड़ाई में राजा नाहर सिंह ने लड़ाई लड़के नजफगढ़ क्षेत्र को दिल्ली के प्रांत में शामिल करवाया था। लेकिन कई कागजी कार्रवाई होने के बावजूद भी आजतक नाम नहीं बदला गया। वहीं दक्षिणी दिल्ली के आरके पुरम से बीजेपी विधायक अनिल शर्मा ने भी गांव महोमदपुर का नाम बदलने की मांग की। इससे पहले विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने मुस्तफाबाद का नाम बदलकर ‘शिवपुरी’ या ‘शिव विहार’ करने की मांग कर चुके हैं। दिल्ली केंद्रशासित प्रदेश इसलिए केंद्र की मंजूरी जरूरी दिल्ली में किसी सड़क या इलाके का नाम बदलने के लिए MCD को प्रस्ताव भेजना पड़ता है। फिर यह सरकार के पास जाता है, जहां केंद्र की मंजूरी जरूरी होती है, क्योंकि दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है। नाम बदलने की प्रक्रिया तभी पूरी होती है जब सरकार इसे गजट में प्रकाशित करती है। नाम बदले जाने से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें... यूपी के मुजफ्फरनगर का नाम बदलकर 'लक्ष्मीनगर' करने की मांग, भाजपा MLC ने उठाई आवाज उत्तर प्रदेश विधान परिषद में भाजपा के एमएलसी और प्रदेश उपाध्यक्ष मोहित बेनीवाल ने मंगलवार को मुजफ्फरनगर का नाम बदलकर 'लक्ष्मीनगर' रखने की मांग उठाई। बजट सत्र के दौरान मोहित बेनीवाल ने यह बात रखते हुए कहा कि यह मुद्दा जनभावना से जुड़ा हुआ है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। पूरी खबर पढ़ें...

BJP सांसदों ने तुगलक लेन का नाम बदला: घर के नेम प्लेट पर विवेकानंद मार्ग लिखा, विपक्ष ने कहा- इतिहास बदलने की कोशिश
खर्चा पानी
लेखक: सुमन तिवारी, नेत्रा चक्रवर्ती, टीम नेतानागरी
भूमिका
हाल ही में, भाजपा सांसदों ने तुगलक लेन का नाम बदलकर विवेकानंद मार्ग रखने का निर्णय लिया है। इस निर्णय के साथ ही दिल्ली की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। विपक्ष ने इस कदम को इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश बताया है। आज हम इस विषय पर चर्चा करेंगे कि यह नाम परिवर्तन क्यों किया गया और इसका राजनीतिक संदर्भ क्या है।
नाम परिवर्तन का कारण
भाजपा सांसदों का कहना है कि तुगलक लेन का नाम बदलने का उद्देश्य भारतीय संस्कृति और इतिहास को पुनः स्थापित करना है। स्वामी विवेकानंद भारतीय संस्कृति के प्रतीक हैं और उनके योगदान को याद करना आवश्यक है। भाजपा ने यह कदम गांधी और नेहरू जैसे नेताओं के नामों से पहले स्वामी विवेकानंद के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए उठाया है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों ने इस परिवर्तन पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि यह कदम केवल राजनीतिक लाभ के लिए उठाया गया है। उनके अनुसार, इतिहास के साथ छेड़छाड़ कर भाजपा अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस पार्टी ने एक बयान जारी कर कहा, "क्या भाजपा केवल नाम बदलकर इतिहास को बदलने का प्रयास कर रही है? यह सही नहीं है।"
लोकप्रियता का संदर्भ
तुगलक लेन एक प्रमुख स्थान है जो पूर्वी दिल्ली में स्थित है और यहाँ कई राजनीतिक नेताओं के घर हैं। इस क्षेत्र में लंबे समय से यह नाम प्रचलित था। अब जब इसका नाम बदला गया है, तो यह देखना होगा कि क्या लोग इसे स्वीकार करते हैं या नहीं।
राजनीतिक रणनीतिकारों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नाम परिवर्तन का यह निर्णय आगामी चुनावों में भाजपा के लिए लाभकारी हो सकता है। स्वामी विवेकानंद की छवि सकारात्मक है, और इस नाम परिवर्तन से भाजपा एक नई छवि प्रस्तुत कर सकती है। लेकिन, दूसरी ओर, यदि यह नाम परिवर्तन संघर्ष का कारण बनता है, तो भाजपा को इसके प्रति सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
तुगलक लेन का नाम विवेकानंद मार्ग रखे जाने का निर्णय राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है और आगामी चुनावों में प्रभाव डाल सकता है। विपक्ष का इस पर विरोध यह दर्शाता है कि इस कदम का राजनीतिक लहरों पर गहरा प्रभाव होगा। नाम परिवर्तन के राजनीतिक और ऐतिहासिक संदर्भ को समझते हुए, हमें यह देखना होगा कि यह कदम कैसे आगे बढ़ता है और इससे भारतीय राजनीति में क्या बदलाव आता है।
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