शराब नीति- CAG रिपोर्ट में ₹2002 करोड़ का घाटा:71% आपूर्ति 3 थोक विक्रेताओं के कब्जे में थी, कमीशन ढाई गुना बढ़ाया गया
दिल्ली में आखिरकार नई शराब नीति पर कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया (CAG) की रिपोर्ट विधानसभा में पेश कर दी गई। दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता ने यह रिपोर्ट 25 फरवरी को पेश की। यह ऑडिट 2017-18 से 2020-21 तक का है। इसके मुताबिक, दिल्ली की शराब नीति बदलने से 2,002 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। शराब नीति में कुछ थोक विक्रेताओं और निर्माताओं में ‘विशेष व्यवस्था’ से मोनोपॉली और ब्रांड प्रमोशन का खतरा पैदा हुआ। आप सरकार ने 10 साल से कैग की 14 रिपोर्ट सदन में पेश नहीं कीं। कैग रिपोर्ट के अनुसार, तीन थोक विक्रेताओं ने कुल शराब आपूर्ति का 71% हिस्सा नियंत्रित कर लिया। इनका कमीशन 5% से बढ़ाकर 12% किया। वहीं, गैर-अनुरूप क्षेत्रों में शराब की दुकानों के लिए समय पर अनुमति न लेने से 941.53 करोड़ का राजस्व नुकसान हुआ। 9 पॉइंट में जानें... कैग रिपोर्ट में क्या गड़बड़ियां गिनाई गईं 1. पहले एक व्यक्ति को सिर्फ दो दुकानें रखने की अनुमति थी, पर नई नीति में 54 कर दी। 2. पहले सरकारी शराब दुकानें 377 थीं, लेकिन नई नीति में 849 लिकर वेंड्स बना दिए गए, जिनमें सिर्फ 22 निजी प्लेयर्स को लाइसेंस मिले। इससे एकाधिकार को बढ़ावा मिला। 3. पहले 60% शराब की बिक्री 4 सरकारी कॉर्पोरेशन से होती थी, लेकिन नई नीति में कोई भी निजी कंपनी रिटेल लाइसेंस ले सकती थी। 4. सरकार ने क्वालिटी चेक के लिए वेयरहाउस में लैब बनाने की बात कही थी, लेकिन कोई लैब नहीं बनी। इससे होलसेलर का लाभ बढ़ा। सरकार को राजस्व का घाटा हुआ। 5. जिनकी रुचि मैन्युफैक्चरिंग-रिटेल में थी, उन्हें होलसेल लाइसेंस दिए गए। इससे पूरी सप्लाई चेन में एक ही व्यक्ति को फायदा हुआ। 6. लाइसेंस देने से पहले आर्थिक/आपराधिक कोई जांच नहीं की। शराब लाइसेंस देने में राजनीतिक दखल और भाई-भतीजावाद हुआ। 7. लिकर जोन के लिए 100 करोड़ के निवेश की जरूरत होती थी, लेकिन नई पॉलिसी में इसे खत्म किया। कैबिनेट मंजूरी के नियम भी तोड़े। 8. घरेलू और मिक्स लैंड यूज में शराब दुकानें खोली गईं। एमसीडी व डीडीए की मंजूरी नहीं। 9. क्वालिटी स्टैंडर्ड्स व बीआईएस की रिपोर्ट न होने पर भी शराब बेचने की अनुमति दी गई। टेस्टिंग की कुछ रिपोर्ट दी गईं, पर लैब अनधिकृत थीं। विदेशी शराब के मामले में 51% रिपोर्ट पुरानी या गायब थीं। शराब में हानिकारक तत्वों की रिपोर्ट की अनदेखी हुई। CAG रिपोर्ट पर विपक्ष की नेता आतिशी के 3 बयान विधानसभा सत्र 2 दिन के लिए बढ़ाया गया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली सरकार ने विधानसभा का सत्र 2 दिन के लिए बढ़ा दिया है। यानी अब सत्र 28 फरवरी और 1 मार्च को भी चलेगा। इससे पहले सत्र 3 दिन यानी 24, 25 और 27 फरवरी तक ही चलाने की जानकारी सामने आई थी। 26 फरवरी को शिवरात्रि की वजह से छुट्टी है। ये खबर भी पढ़ें... आतिशी बोलीं- CM दफ्तर से भगत सिंह-अंबेडकर की तस्वीरें हटाईं: BJP ने फोटो जारी कर कहा- झूठ बोला जा रहा, केवल जगह बदली गई दिल्ली सीएम ऑफिस में बाबा साहेब अंबेडकर और शहीद भगत सिंह की तस्वीरों पर भाजपा और AAP आमने-सामने आ गई है। नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने आरोप लगाया, 'भाजपा के सत्ता में आते ही सीएम ऑफिस से बाबा साहेब अंबेडकर और शहीद भगत सिंह की तस्वीरें हटा दीं। भाजपा ने सीएम ऑफिस की एक तस्वीर जारी की। कहा कि AAP झूठ बोल रही है। पढ़ें पूरी खबर...

शराब नीति- CAG रिपोर्ट में ₹2002 करोड़ का घाटा: 71% आपूर्ति 3 थोक विक्रेताओं के कब्जे में थी, कमीशन ढाई गुना बढ़ाया गया
Kharchaa Pani
लेखक: मीरा शर्मा, राधिका वर्मा, टीम नेतनागरी
परिचय
हाल ही में आई नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट ने शराब नीति पर कई गंभीर सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य को ₹2002 करोड़ का घाटा हुआ है। इसके अलावा, 71% आपूर्ति सिर्फ तीन थोक विक्रेताओं के हाथों में केन्दीत है। यह स्थिति न केवल बाजार की प्रतिस्पर्धा को प्रभावित करती है, बल्कि नीति के पीछे के उद्देश्य पर भी प्रश्नचिन्ह लगाती है।
CAG रिपोर्ट का सारांश
CAG की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इन तीन थोक विक्रेताओं ने शराब की आपूर्ति का एक बड़ा हिस्सा अपने नियंत्रण में रखा है, जिससे बाजार में एकाधिकार जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। इसके अलावा, सरकार ने कमीशन को ढाई गुना बढ़ाकर विक्रेताओं को बढ़ावा दिया है, जो कि एक गंभीर चिंता का विषय है।
अर्थशास्त्र में गहरी खाई
रिपोर्ट के अनुसार, घाटे का मुख्य कारण अनियंत्रित कमीशन और उच्चतम विक्रय के कारण हुआ है। इससे स्पष्ट होता है कि शराब नीति के कार्यान्वयन में कमी है और यह न केवल आर्थिक क्षति का एक कारण है, बल्कि यह समाज में अन्याय के रूप में भी देखा जा सकता है। शराब के इस एकाधिकार का परिणाम ग्राहकों को महंगी और सीमित गुणवत्ता की शराब खरीदने के लिए मजबूर करता है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
सीएजी रिपोर्ट के आने के बाद, राजनीतिक दलों ने सरकार को आड़े हाथों लिया है। विपक्ष ने सरकार से सवाल पूछे हैं कि वह इस स्थिति से उबरने के लिए क्या कदम उठाएगी। वही, कुछ विशेषज्ञ इस रिपोर्ट को सुधारों की आवश्यकता के संकेत के रूप में देख रहे हैं।
निष्कर्ष
सीएजी की इस रिपोर्ट ने शराब नीति की पूरी संरचना को सवालों के घेरे में ला दिया है। सरकार को चाहिए कि वह तुरंत कार्रवाई करे ताकि राज्य के राजस्व को बचाया जा सके और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा की जा सके। कार्रवाई नहीं होने की स्थिति में, यह स्थिति और भी गंभीर प्रभावित कर सकती है।
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