अमेरिका में हमास समर्थक भारतीयों पर एक्शन के बाद गाइडलाइन:भारत बोला- अमेरिकी कानून मानें स्टूडेंट; अब तक एक छात्रा डिपोर्ट, रिसर्चर गिरफ्तार

भारत सरकार ने अमेरिका में पढ़ रहे भारतीय छात्रों के लिए गाइडलाइन जारी की है। सरकार ने कहा है कि छात्र अमेरिकी कानूनों का पालन करें। दरअसल, अमेरिकी सरकार विदेश नीति का विरोध करने वाले छात्र कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई कर रही है। इसे देखते हुए सरकार ने ये गाइडलाइन जारी की है। बीते दिनों एक भारतीय छात्र बदर खान सूरी को हमास का प्रोपेगैंडा फैलाने और इजराइल का विरोध करने के चलते गिरफ्तार किया गया था। वहीं, एक स्टूडेंट रंजनी श्रीनिवासन के फिलिस्तीन समर्थक रैली में शामिल होने के चलते उसका वीजा रद किया गया था। इसके बाद उसने खुद ही अमेरिका छोड़ दिया था। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया था कि दोनों ही स्टूडेंट्स ने मदद के लिए अमेरिका में भारतीय दूतावास से संपर्क नहीं किया था। विदेश मंत्रालय बोला- परेशानी हो तो भारतीय छात्र दूतावास से संपर्क करें जायसवाल ने कहा कि सूरी को गिरफ्तार किए जाने को लेकर न तो अमेरिकी सरकार ने जानकारी दी, न ही सूरी ने हमसे संपर्क किया। इसकी जानकारी हमें मीडिया रिपोर्ट्स से मिली है। उन्होंने कहा कि रंजनी श्रीनिवासन के मामले में भी हमें मीडिया से पता चला कि वो अमेरिका छोड़कर कनाडा चली गई हैं। जायसवाल ने कहा कि अमेरिकी यूनिवर्सिटीज में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ी रही है और भारत सरकार अमेरिका के साथ शैक्षिक रिश्तों को मजबूत करना चाहता है। अगर किसी भारतीय छात्र को कोई परेशानी हो तो भारतीय दूतावास उनकी मदद और सुरक्षा के लिए मौजूद है। बदर खान के डिपोर्टेशन पर रोक लगी अमेरिका के इमिग्रेशन अधिकारियों ने सोमवार रात भारतीय छात्र बदर खान सूरी को वर्जीनिया से गिरफ्तार किया था। सूरी पर अमेरिका में हमास के समर्थन में प्रोपेगैंडा फैलाने और संगठन से जुड़ी आतंकी से रिश्ता रखने का आरोप है। सूरी स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत अमेरिका की जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी का छात्र है। वह सेंटर फॉर मुस्लिम-क्रिश्चियन अंडरस्टैंडिंग में पोस्ट डॉक्टोरल फैलो के रूप में पढ़ाई कर रहा है। अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग में सहायक सचिव ट्रिशिया मैकलॉघलिन ने X पर पोस्ट कर आरोप लगाया कि सूरी सक्रिय तौर पर हमास का प्रचार कर रहा था। हालांकि, सूरी के डिपोर्टेशन (देश से निकाले जाने) पर अमेरिकी अदालत ने रोक लगा दी है। वर्जीनिया कोर्ट की जज ने आदेश दिया कि सूरी को तब तक अमेरिका से नहीं निकाला जाएगा, जब तक अदालत इससे जुड़े आदेश जारी नहीं करती। वकील बोले- सूरी की पत्नी फिलिस्तीनी, इसलिए निशाना बने बदर खान सूरी के वकील ने उन पर लगे आरोपों को खारिज किया है। वकील ने अदालत में दायर एक याचिका में कहा कि सूरी को निशाना इसलिए बनाया जा रहा है, क्योंकि उनकी पत्नी एक फिलिस्तीनी हैं। उनकी गिरफ्तारी का मकसद फिलिस्तीनी अधिकारों का समर्थन करने वाले लोगों की आवाज को दबाना है। वकील ने अदालत में दाखिल किए गए दस्तावेज में कहा कि न तो विदेश मंत्री मार्को रुबियो और न ही किसी अन्य सरकारी अधिकारी ने आरोप लगाया है कि सूरी ने कोई अपराध किया है या वास्तव में कोई कानून तोड़ा है। उन्होंने अपने विचार रखे हैं, जो कि पूरी तरह से संवैधानिक हैं। सूरी की पत्नी का नाम मफज सालेह है। सूरी 2011 में लोगों की मदद के लिए गाजा पहुंचे थे, इस दौरान दोनों की मुलाकात हुई थी। मफज ने नई दिल्ली में जामिया यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मफज के पिता अहमद यूसुफ हमास से जुड़े हुए हैं, जिसे अमेरिका ने एक आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है। मफज ने कहा, “मेरे पति की हिरासत ने हमारी जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया है। हमारे तीन बच्चों को अपने पिता की बहुत जरूरत है। वे उन्हें बहुत याद करते हैं। एक मां के तौर पर मुझे अपने बच्चों और खुद की देखभाल के लिए उनके सहारे की सख्त जरूरत है।” सात दिन पहले रंजनी श्रीनिवासन का वीजा रद हुआ था सात दिन पहले कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पढ़ रही भारतीय छात्रा रंजनी श्रीनिवासन का वीजा रद्द कर दिया गया था। अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (DHS) ने आरोप लगाया था कि श्रीनिवासन 'हिंसा-आतंकवाद को बढ़ावा देने' और हमास का समर्थन करने वाली गतिविधियों में शामिल थीं। वीजा रद्द होने के बाद रंजनी ने खुद अमेरिका छोड़ दिया। DHS के मुताबिक रंजनी को F-1 स्टूडेंट वीजा के तहत कोलंबिया यूनिवर्सिटी के अर्बन प्लानिंग में PhD करने के लिए एडमिशन मिला था। अमेरिकी विदेश विभाग ने 5 मार्च को उनका वीजा निरस्त कर दिया था। इसके बाद रंजनी ने 11 मार्च को अमेरिका छोड़ दिया। DHS की सचिव क्रिस्टी नोएम ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति हिंसा और आतंकवाद का समर्थन करता है, तो उसे इस देश में रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। -------------------------------------- अमेरिका से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... अमेरिकी उपराष्ट्रपति का ग्रीनकार्ड होल्डर्स पर बयान:वेंस बोले- उन्हें हमेशा रहने का हक नहीं, सरकार देश से बाहर निकाल सकती है अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने ग्रीन कार्ड होल्डर्स पर बयान देते हुए कहा कि उन्हें हमेशा अमेरिका में रहने का हक नहीं है। एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में वेंस ने कहा ग्रीन कार्ड रखने का मतलब यह नहीं है कि किसी व्यक्ति को अमेरिका में हमेशा रहने का अधिकार मिल जाता है। पूरी खबर यहां पढ़ें...

Mar 22, 2025 - 13:34
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अमेरिका में हमास समर्थक भारतीयों पर एक्शन के बाद गाइडलाइन:भारत बोला- अमेरिकी कानून मानें स्टूडेंट; अब तक एक छात्रा डिपोर्ट, रिसर्चर गिरफ्तार

अमेरिका में हमास समर्थक भारतीयों पर एक्शन के बाद गाइडलाइन: भारत बोला- अमेरिकी कानून मानें स्टूडेंट; अब तक एक छात्रा डिपोर्ट, रिसर्चर गिरफ्तार

Kharchaa Pani द्वारा लेखन: स्नेहा वर्मा, राधिका शर्मा, टीम नेतानागरी

हाल ही में अमेरिका में हमास समर्थक गतिविधियों के चलते कुछ भारतीय छात्रों और शोधकर्ताओं पर कार्रवाई की गई है। भारत सरकार ने इस संदर्भ में स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि भारतीय छात्रों को अमेरिकी कानून का पालन करना चाहिए। यह वाकया तब सामने आया जब एक भारतीय छात्रा को डिपोर्ट कर दिया गया और एक शोधकर्ता को गिरफ्तार किया गया। इस स्थिति ने भारतीय समुदाय में चिंता बढ़ा दी है।

क्या है मामला?

हाल ही में अमेरिका में हमास के समर्थन में आयोजित एक रैली में कुछ भारतीय छात्रों की भागीदारी देखने को मिली। इस रैली का मुख्य उद्देश्य फिलीस्तीनी मुद्दे के प्रति संवेदनशीलता को जगाना था, लेकिन इसे अमेरिकी सरकार द्वारा आतंकवाद प्रायोजित गतिविधियों के रूप में देखा गया।

इसके परिणामस्वरूप, अमेरिका ने इन छात्रों पर कार्रवाई की। एक भारतीय छात्रा जो इस रैली में शामिल हुई थी, उसे अमेरिका से देश निर्वासित कर दिया गया। इसके अलावा, एक भारतीय शोधकर्ता जो इस मुद्दे पर गहराई से अनुसंधान कर रहा था, उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

भारत सरकार की प्रतिक्रिया

भारत सरकार ने इस मामले में अपने नागरिकों को सलाह दी है कि वे अमेरिका में कानूनों का पालन करें। विदेश मंत्रालय ने एक नोटिस जारी करते हुए कहा है कि “अमेरिका में रहने वाले सभी भारतीय नागरिकों को स्थानीय कानूनों का पूरा ध्यान रखना चाहिए।” इस सलाह का उद्देश्य छात्रों में जागरुकता फैलाना और उन्हें सुरक्षित रखना है।

विदेश मंत्रालय ने कहा है कि सभी छात्र और शोधकर्ता अमेरिकी कानूनों के प्रति सजग रहें, ताकि किसी भी प्रकार की समस्या का सामना करना ना पड़े।

समुदाय की प्रतिक्रिया

भारतीय समुदाय में इस घटना पर लोगों ने चिंता जताई है। कुछ लोगों का कहना है कि वे अपने विचारों को व्यक्त करने का अधिकार रखते हैं, लेकिन इसे करने का तरीका सही होना चाहिए। समाज के कुछ हिस्से ने यह भी कहा है कि अमेरिका की कार्रवाई कठोर है और इससे शैक्षणिक स्वतंत्रता पर बुरा असर पड़ सकता है।

भविष्य की संभावनाएँ

यह देखा जाना बाकी है कि क्या भारतीय छात्र और शोधकर्ता भविष्य में ऐसी गतिविधियों में भाग लेने से हिचकेंगे या नहीं। अमेरिका में छात्र जीवन खासा चुनौतीपूर्ण होता है और ऐसे मामलों से छात्रों की पढ़ाई और करियर पर नकारात्मक असर हो सकता है।

भारत सरकार और अमेरिकी प्रशासन के बीच इस मुद्दे पर चर्चा जारी है। उम्मीद की जा रही है कि दोनों साधनों से इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने के लिए सहमत होंगे।

निष्कर्ष

अमेरिका में हमास समर्थक भारतीयों पर की गई कार्रवाई ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। वैश्विक राजनीति में कुछ ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर नागरिकों का दृष्टिकोण महत्वपूर्ण होता है, लेकिन उसके साथ ही स्थानीय कानूनों का पालन करना भी आवश्यक है। भारत सरकार का मार्गदर्शन इस कठिन समय में छात्रों के लिए जरूरी हो गया है। सभी छात्रों को अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहना चाहिए ताकि किसी भी अनावश्यक परेशानी से बचा जा सके।

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