Uttarakhand UCC : यूसीसी के तहत विवाह पंजीकरण ने पकड़ा जोर, प्रतिदिन 1634 विवाह पंजीकरण
देहरादून : Uttarakhand UCC इसी वर्ष 27 जनवरी से उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद, विवाह का पंजीकरण अनिवार्य हो गया है। तब से यूसीसी एक्ट के तहत प्रतिदिन औसत 1634 शादियों का पंजीकरण हो रहा है। जबकि, इससे पहले 2010 के एक्ट में होने वाले विवाह पंजीकरण का प्रतिदिन औसत मात्र […] The post Uttarakhand UCC : यूसीसी के तहत विवाह पंजीकरण ने पकड़ा जोर, प्रतिदिन 1634 विवाह पंजीकरण appeared first on Page Three.

Uttarakhand UCC: Marriage Registrations Surge Under UCC, Averaging 1634 Registrations Daily
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Written by Neha Sharma, Priya Singh, and Anisha Mehta, Team Kharchaapani
देहरादून: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) के तहत विवाह के पंजीकरण में वृद्धि देखी जा रही है। 27 जनवरी 2023 को यह कानून लागू होने के बाद से, विवाह पंजीकरण अनिवार्य हो गया है। वर्तमान में, प्रतिदिन औसतन 1634 विवाह पंजीकरण हो रहे हैं, जो एक उल्लेखनीय आंकड़ा है। 2010 के विवाह पंजीकरण अधिनियम की तुलना में, जहां विमर्श की संख्या काफी कम थी, UCC ने नए मानक स्थापित किए हैं।
यूसीसी का तात्त्विक प्रभाव
UCC का उद्देश्य भारत में विवाह को एक समान और सीधे तरीके से पंजीकृत करना है। यह न केवल विभिन्न धर्मों के बीच विवाह के नियमों को सरल बनाता है, बल्कि यह समाज को एक समान कानूनी आधार भी प्रदान करता है। इससे विवाह की मान्यता और कानूनी सुरक्षा भी प्राप्त होती है।
पंजीकरण में वृद्धि के पीछे के कारण
शुरुआत में, बहुत से लोग विवाह पंजीकरण के महत्व को नहीं समझते थे। UCC की लागू होते ही, सरकार ने जागरूकता कार्यक्रम शुरू किए, जिससे पंजीकरण के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण में बदलाव आया है। स्थानीय अधिकारियों की मेहनत और जन जागरूकता अभियानों ने विवाह पंजीकरण की इस नई लहर को गति दी है।
क्या कहते हैं आंकड़े?
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 1634 विवाह पंजीकरण प्रतिदिन एक आश्वस्ति है कि युवा जोड़े अब कानूनी रूप से अपने रिश्ते को मान्यता देने के पक्ष में हैं। इस साल जून से अपेक्षित आंकड़ों में तेजी आ रही है, जो दर्शाता है कि UCC का प्रभाव वास्तविकता में बदल रहा है।
समाज पर सकारात्मक प्रभाव
यूसीसी के तहत विवाह पंजीकरण से न केवल कानूनी प्रक्रिया सरल हुई है, बल्कि यह समाज में विवाह को एक स्थायी बंधन के रूप में भी परिभाषित करता है। यह पारिवारिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी विवाह की स्थिरता को बढ़ाता है। कई परिवारों ने बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पंजीकरण के महत्व को महसूस किया है।
निष्कर्ष
UCC के अंतर्गत विवाह पंजीकरण की यह नई व्यवस्था उत्तराखंड में महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है। यह कानून न केवल विवाहों की कानूनी स्थिति को दृढ़ता प्रदान कर रहा है, बल्कि युवाओं के लिए एक सकारात्मक संदेश भी दे रहा है। जैसे-जैसे लोग इस प्रक्रिया को अपनाते जा रहे हैं, इससे समाज में भी एक नया जागरूकता स्तर आ रहा है। विवाह पंजीकरण को अनिवार्य करना निश्चित रूप से राज्य की ओर से एक दूरदर्शी कदम है, जो भविष्य में स्थायी प्रभाव छोड़ेगा।
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