PM मोदी थाईलैंड पहुंचे, भारतीय समुदाय से मिले:पीएम शिनवात्रा से द्विपक्षीय बातचीत करेंगे, बांग्लादेश सरकार के प्रमुख यूनुस से भी मिल सकते हैं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी गुरुवार को 2 दिन के थाईलैंड दौरे पर पहुंचे हैं। वे आज सुबह नई दिल्ली से रवाना हुए थे। राजधानी बैंकॉक पहुंचकर उन्होंने एयरपोर्ट पर भारतीय समुदाय के लोगों से मुलाकात की। आज थाईलैंड की पीएम पाइतोंग्तार्न शिनवात्रा से द्विपक्षीय मुलाकात करेंगे। इस दौरान दोनों देश व्यापारिक संबंधों पर चर्चा करेंगे। पाइतोंग्तार्न (38 साल) फिलहाल दुनिया की सबसे कम उम्र की पीएम हैं। यात्रा के दूसरे दिन यानी कल पीएम मोदी BIMSTEC सम्मेलन में भाग लेंगे। इस सम्मेलन के बाद वे बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया यूनुस खान से भी मुलाकात कर सकते हैं। यूनुस के मुख्य सलाहकार खलीलुर रहमान ने बुधवार को इसकी संभावना जताई है। बांग्लादेश में पिछले साल हुए सत्ता परिवर्तन के बाद दोनों देशों के प्रमुख नेताओं की यह पहली मुलाकात होगी। मोदी शुक्रवार को थाईलैंड के राजा महा वजीरालोंगकोर्न और रानी सुथिदा से भी मुलाकात करेंगे। थाईलैंड के प्रसिद्ध बौद्ध मंदिर जा सकते हैं पीएम मोदी गुरुवार को पीएम मोदी थाईलैंड के ऐतिहासिक वात फो मंदिर भी जा सकते हैं। वात फो मंदिर बैंकॉक में स्थित है और अपने विशाल लेटे बुद्ध (रिक्लाइनिंग बुद्धा) प्रतिमा के लिए फेमस है। वात फो थाईलैंड के सबसे पुराने मंदिर में से एक है। इसमें 1,000 से अधिक बुद्ध प्रतिमाएं और 90 से अधिक स्तूप हैं। दोनों देशों के बीच बातचीत का एजेंडा राजनीतिक, आर्थिक और वाणिज्यिक, रक्षा, संपर्क और सुरक्षा होगा। साथ ही दोनों देशों के बीच नौकरी के नाम पर म्यांमार में फर्जीवाड़े के कामों में शामिल किए जा रहे लोगों का मुद्दा भी उठेगा। 2024 में आसियान सम्मेलन में पाइतोंग्तार्न से मिले थे मोदी 2024 में थाक्सिन शिनवात्रा की बेटी पाइतोंग्तार्न शिनवात्रा थाईलैंड की पीएम बनीं। अक्टूबर 2024 में वियतनाम में आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान उनकी मोदी से पहली मुलाकात हुई थी। मोदी इससे पहले 2016 में थाईलैंड के नौवें राजा भूमिबोल अदुल्यादेज को श्रद्धांजलि देने गए थे। इसके बाद वे 2019 में आसियान शिखर सम्मेलन के लिए थाईलैंड गए थे। उनकी यह तीसरी, लेकिन पहली आधिकारिक यात्रा है। भारत-थाईलैंड संबंध 2 हजार साल से भी ज्यादा पुराना भारत और थाईलैंड के संबंध दो हजार साल से भी अधिक पुराने हैं। प्राचीन काल में भारत से बौद्ध धर्म और हिंदू संस्कृति थाईलैंड पहुंची। थाईलैंड में रामायण को ‘रामकियेन’ के रूप में जाना जाता है, जो वहां की संस्कृति का हिस्सा है। सम्राट अशोक के समय बौद्ध भिक्षुओं ने थाईलैंड में बुद्ध की शिक्षाओं को फैलाया। थाईलैंड को प्राचीन भारतीय ग्रंथों में ‘स्वर्णभूमि’ (सोने की भूमि) कहा गया है। थाईलैंड और भारत के बीच व्यापारिक संबंध भी काफी पुराना और मजबूत रहा है। भारत को 1947 में आजादी मिलने के बाद दोनों देशों ने औपचारिक संबंध की शुरुआत की। 2022 में दोनों ने अपने संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मनाई थी। शीतयुद्ध के दौर में जब दुनिया अमेरिका और रूस के बीच बंट गई थी, तब थाईलैंड भी भारत की तरह गुटनिरपेक्ष रहा। आसियान देशों में थाईलैंड भारत का चौथा बड़ा ट्रेड पार्टनर साल 2021 में थाई कंपनी ग्लोबल रिन्युएबल सिनर्जी कंपनी लिमिटेड ने भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में करीब 3880 करोड़ रुपए का सबसे बड़ा निवेश किया था। आसियान देशों में सिंगापुर, इंडोनेशिया और मलेशिया के बाद थाईलैंड भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। बीते कुछ सालों में थाईलैंड ने भारत के इन्फ्रास्ट्रक्चर, रियल एस्टेट, एग्रो प्रोसेसिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोटिव, फूड प्रोसेसिंग, हॉस्पिटेलिटी और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे सेक्टर में बड़ा इन्वेस्टमेंट किया है। दोनों देशों ने 2004 किया अर्ली हार्वेस्ट स्कीम समझौता ​​​​​दोनों देशों के बीच सितंबर 2004 में बाइलेटरल ट्रेड को बढ़ावा देने के लिए अर्ली हार्वेस्ट स्कीम (EHS) समझौता हुआ था, जिसमें भारत-थाईलैंड कॉम्प्रिहेंसिव इकॉनोमिक कॉरपोरेशन एग्रीमेंट के तहत 83 प्रोडक्ट शामिल हैं। बता दें कि अर्ली हार्वेस्ट स्कीम स्कीम एक तरह का व्यापार समझौता है, जिसके तहत कुछ वस्तुओं या सेवाओं के तत्काल टैरिफ फ्री कर दिया जाता है। जबकि बाकी प्रोडक्ट्स को बाद में टैरिफ फ्री करने के लिए छोड़ दिया जाता है। भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी में थाईलैंड अहम एक्ट ईस्ट पॉलिसी भारत की रणनीतिक और आर्थिक नीति है। 2014 में इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने लॉन्च किया था। यह नीति भारत की पिछली ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ (Look East Policy) से एक कदम आगे की पॉलिसी है, जिसे 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने शुरू किया था। इस पॉलिसी के जरिए भारत आसियान (ASEAN) देशों और पूर्वी एशियाई देशों के साथ गहरे संबंध बनाना चाहता है। साथ ही व्यापार, निवेश, सुरक्षा और सांस्कृतिक साझेदारी को बढ़ावा देना भी इसका मकसद है। भारतीय पर्यटकों की तीसरी सबसे लोकप्रिय डेस्टिनेशन है थाईलैंड 2024 में भारत के 21 लाख लोग थाईलैंड घूमने गए थे। ये 2023 की तुलना में लगभग 30% का इजाफा है। मलेशिया और चीन के बाद सबसे ज्यादा भारतीय पर्यटक थाईलैंड जाते हैं। ​वहीं, भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के 'इंडिया टूरिज्म स्टैटिस्टिक्स 2023' के मुताबिक, साल 2022 में थाईलैंड से भारत आने वाले पर्यटकों की संख्या 64,196 थी। थाईलैंड की 90% से अधिक आबादी थेरवाद बौद्ध धर्म का पालन करती है, जिसकी जड़ें भारत में हैं। इसलिए थाईलैंड से आने वाले ज्यादातर पर्यटक बौद्ध तीर्थस्थलों की यात्रा करते हैं। इनमें बिहार का बोधगया, उत्तर प्रदेश का सारनाथ और कुशीनगर और मध्य प्रदेश का सांची शामिल है। थाईलैंड-म्यांमार के बीच 'गोल्डन ट्राएंगल' से भारत में ड्रग्स की सप्लाई थाईलैंड, म्यांमार और लाओस की सीमा से लगे क्षेत्र को गोल्डन ट्राएंगल कहा जाता है। ये इलाका ड्रग्स की तस्करी के लिए जाना जाता है और ऐतिहासिक रूप से दुनिया के सबसे बड़े अफीम उत्पादक क्षेत्रों में से एक रहा है। इस क्षेत्र से हेरोइन, अफीम

Apr 3, 2025 - 11:34
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PM मोदी थाईलैंड पहुंचे, भारतीय समुदाय से मिले:पीएम शिनवात्रा से द्विपक्षीय बातचीत करेंगे, बांग्लादेश सरकार के प्रमुख यूनुस से भी मिल सकते हैं

PM मोदी थाईलैंड पहुंचे, भारतीय समुदाय से मिले: पीएम शिनवात्रा से द्विपक्षीय बातचीत करेंगे, बांग्लादेश सरकार के प्रमुख यूनुस से भी मिल सकते हैं

Kharchaa Pani

इस बार की यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने थाईलैंड के लिए उड़ान भरी है। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारतीय समुदाय से संवाद स्थापित करना और थाईलैंड के पीएम शिनवात्रा से द्विपक्षीय बातचीत करना है। इसमें बांग्लादेश के सरकार के प्रमुख यूनुस से भी मुलाकात की संभावना है।

प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत

प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत के लिए थाईलैंड में सामुदायिक सेमिनार का आयोजन किया गया था। इस सेमिनार में भारतीय मूल के लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए, जो अपने देश के नेता से मिलने का मौका नहीं छोड़ना चाहते थे। पीएम मोदी ने वहां उपस्थित समुदाय को संबोधित करते हुए भारत और थाईलैंड के बीच गहरे संबंधों का उल्लेख किया।

द्विपक्षीय बातचीत की तैयारी

पीएम मोदी की इस मायने में यात्रा बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि वह पीएम शिनवात्रा से कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करेंगे, जिसमें व्यापार, संस्कृति और निवेश शामिल हैं। दोनों देशों के बीच पहले से ही कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं, लेकिन इन बातचीत से नई दिशा में आगे बढ़ने की संभावना है।

बांग्लादेश के पीएम यूनुस से संभावित वार्ता

इसके अलावा, चर्चा है कि पीएम मोदी बांग्लादेश सरकार के प्रमुख यूनुस से भी मिल सकते हैं। यह बैठक बांग्लादेश और भारत के बीच संबंधों को और मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर होगा। दोनों देशों के बीच व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंधों को और बेहतर बनाने के लिए यह मीटिंग बेहद अहम मानी जा रही है।

संक्षेप में

पीएम मोदी की इस यात्रा से न केवल भारतीय समुदाय को सुरक्षा का आभास होगा बल्कि दोनों देशों के बीच तालमेल भी बढ़ेगा। पीएम शिनवात्रा और पीएम यूनुस के साथ वार्तालाप से क्षेत्रीय स्थिरता और विकास में भी योगदान मिलने की उम्मीद है।

इस प्रकार, यह यात्रा न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भारतीय समुदाय के लिए भी एक महत्वपूर्ण अवसर है।

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