बांग्लादेश में यूनिवर्सिटी ने 2 हिंदू छात्रों को सस्पेंड किया:इस्लाम के अपमान का आरोप; 5 और छात्रों को सस्पेंड करने के लिए प्रदर्शन
बांग्लादेश के ढाका में पबना यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने रविवार को इस्लाम के कथित अपमान के आरोप में दो हिंदू छात्र बिकर्ण दास दिव्या और प्रणय कुंडू को सस्पेंड कर दिया। इसके अलावा पांच और हिंदू छात्रों को सस्पेंड करने की मांग की जा रही है। यूनिवर्सिटी के प्रॉक्टर डॉ. कमरुज्जमां खान के मुताबिक दोनों छात्रों के खिलाफ पिछले शुक्रवार को आरोप लगाए गए थे, जिसके बाद तुरंत कारण बताओ नोटिस किए गए, लेकिन उनके जवाब संतोषजनक नहीं थे। मामला सुलझाने के लिए यूनिवर्सिटी के डिसिप्लिन बोर्ड ने एक इमरजेंसी बैठक बुलाई थी। शनिवार को फॉर्मेसी डिपार्टमेंट के 5 अन्य छात्र विद्युत सरकार, सुवर्ण सरकार, दीपू बिस्वास, तनय सरकार और अंकन घोष के कुछ वॉट्सऐप चैट्स सोशल मीडिया पर लीक हो गए थे। आरोप है कि ये पांचों स्टूडेंट्स कथित तौर पर इस्लाम के बारे में अपमानजनक टिप्पणी कर रहे थे। इस मामले के सामने आते ही यूनिवर्सिटी के कुछ स्टूडेंट्स ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया और इन पांचों को तत्काल सस्पेंड करने की मांग करने लगे। 24 घंटे में लिया जाएगा बाकी 5 स्टूडेंट्स पर फैसला स्टूडेंट्स ने यूनिवर्सिटी के मेन गेट और एडमिनिस्ट्रेशन ऑफिस पर ताला लगा दिया। रविवार दोपहर करीब 2.30 बजे यूनिवर्सिटी प्रॉक्टर ने स्टूडेंट्स से बात की और दो हिंदू स्टूडेंट्स को अस्थाई तौर पर सस्पेंड कर दिया। उन्होंने यह भी कहा की फॉर्मेसी डिपार्टमेंट के पांच हिंदू छात्रों के मामले में 24 घंटे के अंदर फैसला लिया जाएगा। इसके बाद स्टूडेंट्स ने अपना विरोध प्रदर्शन खत्म कर दिया और गेट खोल दिए। हिंदू धार्मिक स्थलों को लगातार निशाना बनाया जा रहा बांग्लादेश में 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना सरकार गिरने के बाद से भारत विरोधी भावनाओं को बल मिला है। इसके अलावा अल्पसंख्यकों से जुड़े धार्मिक स्थलों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। हिंदू नेताओं को धमकियां मिल रही हैं। इस्कॉन से जुड़े धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास देशद्रोह के आरोप में 25 नवंबर से पुलिस हिरासत में हैं। आरक्षण के खिलाफ आंदोलन ने किया था तख्तापलट बांग्लादेश में 5 जून को हाईकोर्ट ने जॉब में 30% कोटा सिस्टम लागू किया था, इसके बाद से ही ढाका में यूनिवर्सिटीज के स्टूडेंट्स प्रोटेस्ट कर रहे थे। यह आरक्षण स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को दिया जा रहा था। यह आरक्षण खत्म कर दिया गया तो छात्रों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग शुरू कर दी। देखते ही देखते बड़ी संख्या में छात्र और आम लोग प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर आए। इस प्रोटेस्ट के दो महीने बाद 5 अगस्त को शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और बांग्लादेश छोड़कर भारत आ गईं। इसके बाद सेना ने देश की कमान संभाल ली।

बांग्लादेश में यूनिवर्सिटी ने 2 हिंदू छात्रों को सस्पेंड किया: इस्लाम के अपमान का आरोप; 5 और छात्रों को सस्पेंड करने के लिए प्रदर्शन
लेखक: साक्षी शर्मा, हैंप्सी शर्मा, टीम नेटानागरी
Kharchaa Pani
बांग्लादेश में हाल ही में हुई एक घटना ने धार्मिक और शैक्षणिक समुदायों में हलचल मचा दी है। यहाँ की एक प्रमुख विश्वविद्यालय ने दो हिंदू छात्रों को इस्लाम के प्रति अपमान के आरोप में सस्पेंड कर दिया है। इसके साथ ही, अन्य छात्रों ने विरोध प्रदर्शन कर अधिक छात्रों के सस्पेंशन की मांग की है। यह घटना बांग्लादेश में हिन्दू और मुसलमानों के बीच धार्मिक तनाव को बढ़ाती है।
घटना का विवरण
यह घटना तब उजागर हुई जब दो हिंदू छात्रों पर आरोप लगा कि उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट के माध्यम से इस्लाम का अपमान किया। विश्वविद्यालय ने तुरंत कार्यवाही करते हुए उन्हें सस्पेंड कर दिया। इस फैसले का विरोध करते हुए कई छात्रों ने परिसर में प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने अन्य 5 छात्रों के सस्पेंशन की मांग की।
प्रदर्शन की स्थिति
छात्रों का प्रदर्शन पूरी तरह से शांतिपूर्ण था, लेकिन कई छात्र संगठन इस घटना को लेकर चिंतित हैं। प्रदर्शन के दौरान, छात्रों ने एक सामूहिक ज्ञापन भी तैयार किया, जिसमें विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ आवाज उठाई गई। शिक्षकों और छात्रों के बीच यह विषय चर्चा का केंद्र बन गया है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की कार्रवाई से धार्मिक असहिष्णुता को बढ़ावा मिलता है।
धार्मिक समरसता पर प्रभाव
धार्मिक असहिष्णुता एक गंभीर मुद्दा है, जो न केवल बांग्लादेश में बल्कि दुनिया भर में देखने को मिलता है। इस घटना के बाद, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे धार्मिक समरसता के लिए एक बड़ा खतरा बताया है। वे सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन से अपील कर रहे हैं कि इस मामले का निपटारा न्यायिक तरीके से किया जाए।
समाज पर प्रभाव
इस घटना का बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। कई हिंदू संगठनों ने अपनी चिंता व्यक्त की है और उन्होंने सरकार से सुरक्षा की मांग की है। इस प्रकार की घटनाएँ न केवल समाज में विभाजन का कारण बनती हैं, बल्कि यह युवा छात्रों के भविष्य को भी प्रभावित करती हैं।
निष्कर्ष
बांग्लादेश में हुई यह घटना हमें इस बात का पता देती है कि शिक्षा और धार्मिक आस्था के बीच संतुलन बनाना कितना आवश्यक है। विश्वविद्यालयों को हर तरह के उत्पीड़न और असहिष्णुता के खिलाफ एक सुरक्षित माहौल प्रदान करना चाहिए, ताकि सभी धर्मों के छात्रों का सम्मान किया जा सके। इसके साथ ही, समाज को भी धर्म के आधार पर भेदभाव समाप्त करने की दिशा में आगे बढ़ना होगा।
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