जरूरत की खबर- गंभीर बीमारियों से बचाती वैक्सीन:भारत में 65% बच्चों को ही मिलता पूर्ण टीकाकरण, जानें कब-कौन सा टीका है जरूरी
आज देशभर में ‘नेशनल वैक्सीनेशन डे’ मनाया जा रहा है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को टीकाकरण के प्रति जागरूक करना है। नवजात शिशुओं से लेकर बुजुर्गों तक हर उम्र के लोगों को उनकी स्वास्थ्य सुरक्षा के मुताबिक टीके लगाए जाते हैं। दशकों से टीकाकरण ने खसरा, पोलियो, इन्फ्लूएंजा, हेपेटाइटिस समेत कई गंभीर बीमारियों को फैलने से रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि बहुत से लोग सोचते हैं कि अब इन बीमारियों के लिए टीकों की जरूरत नहीं है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। ये बीमारियां आज भी उतनी ही खतरनाक हैं। अगर हम टीकाकरण बंद कर देंगे तो ये फिर से फैलने लगेंगी। इसलिए भारत सरकार लोगों को ऐसी संक्रामक और गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए देश में कई फ्री वैक्सीनेशन प्रोग्राम चला रही है। तो चलिए आज जरूरत की खबर में टीकाकरण के बारे में विस्तार से बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- एक्सपर्ट: डॉ. मितुल गुप्ता, सीनियर कंसल्टेंट ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी, कोकून हॉस्पिटल, जयपुर सवाल- टीके हमें किन बीमारियों से बचाते हैं? जवाब- आज डिप्थीरिया, हेपेटाइटिस A, हेपेटाइटिस B, ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV), कोविड-19 और इंफ्लूएंजा जैसी कई गंभीर व संक्रामक बीमारियों के टीके उपलब्ध हैं, जो बेहद प्रभावशाली हैं। नीचे दिए ग्राफिक से इन बीमारियों के बारे में जानिए- सवाल- टीके हमारे शरीर को बीमारियों से कैसे बचाते हैं? जवाब- टीके हमारे इम्यून सिस्टम को बीमारियों के बैक्टीरिया या वायरस को पहचानने और उससे लड़ने के लिए मजबूत बनाते हैं। इसे ऐसे समझिए, टीके में बीमारी के कमजोर कीटाणु (वायरस या बैक्टीरिया) होते हैं, जो हमें बीमार नहीं करते। जब ये कमजोर कीटाणु शरीर में जाते हैं तो हमारा शरीर उन्हें पहचान लेता है और उनसे लड़ने की तैयारी करता है। शरीर इन कीटाणुओं से लड़ने के बाद उन्हें याद रखता है, ताकि भविष्य में अगर असली कीटाणु हमला करें तो तुरंत पहचान कर उन्हें खत्म कर सके। इस तरह टीका हमें भविष्य में होने वाली बीमारियों से बचाता है। सवाल- भारत में टीकाकरण की क्या स्थिति है? जवाब- यूनिसेफ के मुताबिक, भारत का टीकाकरण अभियान यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम (UIP) दुनिया के सबसे बड़े स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है। इसके तहत हर साल लगभग 2 करोड़ 60 लाख नवजात शिशुओं और 3 करोड़ 40 लाख गर्भवती महिलाओं को टीका लगाया जाता है। हालांकि सरकारी पहल और मुफ्त टीकों के बावजूद भारत में टीकाकरण की दर काफी कम है। यूनिसेफ के अनुसार, केवल 65% बच्चों को ही उनके जीवन के पहले वर्ष के दौरान पूर्ण टीकाकरण मिल पाता है। सवाल- बच्चे को किस उम्र में कौन से टीके लगवाने चाहिए? जवाब- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, शिशुओं को जन्म के 24 घंटे के भीतर BCG (बैसिलस कैलमेट-गुएरिन) और हेपेटाइटिस B के टीके जरूर लगवाने चाहिए। हेपेटाइटिस B से सिरोसिस और लिवर कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। वहीं BCG का टीका ट्यूबरक्युलोसिस (टीबी) से बचाने में मदद करता है। इसके अलावा और भी कई टीके हैं, जो बच्चों को कई गंभीर बीमारियों से बचाने में मददगार हैं। नीचे दिए ग्राफिक से बच्चों का टीकाकरण शेड्यूल समझिए- सवाल- टीकाकरण से बच्चों को किन बीमारियों से बचाया जा सकता है? जवाब- बच्चे के जन्म से लेकर 16 साल की उम्र तक कई टीके लगाए जाते हैं। ये टीके उन्हें टीबी, पोलियो, पीलिया, हेपेटाइटिस B, डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटनेस, खसरा, रूबेला, जापानी इंसेफेलाइटिस, वायरल इन्फेक्शन, मेनिन्जाइटिस, सेप्टीसीमिया, निमोनिया, दिमागी बुखार और रतौंधी जैसी गंभीर बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं। सवाल- अगर बच्चे को टीका लगवाने जा रहे हैं तो किन बातों का ध्यान रखें? जवाब- माता-पिता या अभिभावक बच्चों के टीकाकरण की शुरुआत में सबसे पहले एक चार्ट बनवाएं। हर टीकाकरण के बाद डॉक्टर से चार्ट भरवाएं। चार्ट में टीके का नाम, डोज, डेट और डॉक्टर का नाम जरूर दर्ज कराएं। इस चार्ट को सुरक्षित जगह पर रखें, जिससे जरूरत पड़ने पर आसानी से ढूंढ सकें। इसके अलावा कुछ और बातों का भी ध्यान रखें। जैसेकि- सवाल- प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए कौन से टीके जरूरी हैं? जवाब- प्रेग्नेंसी से पहले, उस दौरान और बाद में कुछ टीके लगवाने जरूरी होते हैं, जो प्रेग्नेंट महिला और होने वाले बच्चे को कई गंभीर बीमारियों से बचाते हैं। डॉक्टर्स ये टीके जरूरत के अनुसार महिला को लगाते हैं। नीचे दिए ग्राफिक से प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए जरूरी टीकों के बारे में जानिए- सवाल- एडल्ट्स कौन से टीके लगवा सकते हैं? जवाब- एडल्ट्स के लिए कई टीके हैं। ये सेहत के अनुसार बेहतर स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए लगवाए जाते हैं। जैसेकि- इन्फ्लूएंजा (Flu) यह टीका हर साल लगवाना चाहिए, खासकर सर्दियों में क्योंकि उस समय फ्लू या वायरस का खतरा बढ़ जाता है। यह बुखार, खांसी, गले में खराश और अन्य समस्याओं से बचाता है। टिटनेस, डिप्थीरिया और काली खांसी (Tdap) यह टीका टिटेनस (लोहे की जंग से होने वाली बीमारी), डिप्थीरिया (गले की सूजन) और काली खांसी से बचाता है। इसे हर 10 साल में बूस्टर डोज के रूप में लगवाना चाहिए। इसके अलावा अगर आप किसी ऐसी जगह पर रह रहे हैं, जहां मंकीपॉक्स या कोरोना का खतरा अधिक है तो इसके टीके जरूर लगवाएं। ……………… वैक्सीन से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए सेहतनामा- प्रेग्नेंसी के समय और उसके पहले लगवाएं ये वैक्सीन:मां और बच्चे के लिए जरूरी प्रेग्नेंसी के दौरान मां और बच्चे को इन्फेक्शन से बचाने के लिए और हॉर्मोनल संतुलन बनाए रखने के लिए कुछ वैक्सीन दी जाती हैं। कुछ वैक्सीन प्रेग्नेंसी से पहले और बाद में भी दी जाती हैं। ये वैक्सीन सुरक्षित और हेल्दी प्रेग्नेंसी, लेबर और फिर पोस्टपार्टम रिकवरी में मदद करती हैं। पूरी खबर पढ़िए...

जरूरत की खबर- गंभीर बीमारियों से बचाती वैक्सीन: भारत में 65% बच्चों को ही मिलता पूर्ण टीकाकरण, जानें कब-कौन सा टीका है जरूरी
खर्चा पानी
लेखिका: प्रिया शर्मा, टीम नेतानागरी
परिचय
भारत में बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए टीकाकरण एक अहम कदम है। हाल ही में आए एक अध्ययन के अनुसार, भारत के 65% बच्चों को ही पूर्ण टीकाकरण मिल पा रहा है। यह आंकड़ा चिंताजनक है, क्योंकि कई गंभीर बीमारियां ऐसी हैं, जिन्हें सिर्फ टीकाकरण के माध्यम से ही रोका जा सकता है। इस लेख में हम जानेंगे कि कौन-कौन से टीके आवश्यक हैं और कब उन्हें लगवाना चाहिए।
टीकाकरण का महत्व
हर बच्चे को सुरक्षित रखने के लिए टीकाकरण जरूरी है। यह न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य बल्कि सामुदायिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। उचित समय पर टीके लगवाने से कई गंभीर बीमारियों जैसे पोलियो, डिप्थीरिया और कुकुुती रोग से बचा जा सकता है।
भारत में टीकाकरण की स्थिति
भारत में हाल के वर्षों में टीकाकरण समस्याओं के बीच बढ़ रहा है। हालांकि, अभी भी 35% बच्चों को आवश्यक वैक्सीनेशन की कमी झेलनी पड़ रही है। इस कमी के पीछे कई कारण हैं, जिसमें आर्थिक स्थिति, जागरूकता की कमी और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच का अभाव शामिल हैं।
टीकाकरण के लिए आवश्यक आयु
नीचे दिए गए तालिका में बच्चों को लगने वाले विभिन्न टीकों की समयावधि के बारे में जानकारी दी गई है:
- BCG - जन्म के समय
- हेपेटाइटिस B - जन्म के समय, 6 सप्ताह और 14 सप्ताह
- डिप्थीरिया, कुकुती और टेटनस - 6 सप्ताह, 10 सप्ताह, 14 सप्ताह
- पोलियो - 6 सप्ताह, 10 सप्ताह, 14 सप्ताह और 18 महीने
- MMR (खसरा, मम्प्स, रूबेला) - 9 महीने
जरूरी कदम
समाज के हर व्यक्ति को चाहिए कि वे टीकाकरण के इस प्रक्रिया के प्रति जागरूकता फैलाएं। माता-पिता को अपने बच्चों को समय पर टीके लगवाने चाहिए और स्वास्थ्य केन्द्रों पर जाकर जानकारी लेनी चाहिए।
निष्कर्ष
टीकाकरण एक साधारण लेकिन प्रभावी उपाय है, जो बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचा सकता है। जितनी जल्दी संभव हो, बच्चों का टीकाकरण कराना चाहिए ताकि वे स्वस्थ जीवन जी सकें।
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