कोलकाता रेप-मर्डर केस, ट्रेनी डॉक्टर का डेथ सर्टिफिकेट जारी:हेल्थ सेक्रेटरी ने पेरेंट्स को घर जाकर सौंपा; माता-पिता ने KMC पर लापरवाही का आरोप लगाया था

आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में रेप और मर्डर की पीड़ित डॉक्टर का डेथ सर्टिफिकेट माता-पिता को मिल गया है। पश्चिम बंगाल के हेल्थ सेक्रेटरी एनएस निगम ने बुधवार शाम उनके घर जाकर डेथ सर्टिफिकेट सौंपा। इससे पहले 23 फरवरी को पीड़ित डॉक्टर के परिवार ने आरोप लगाया था कि कोलकाता नगर निगम (KMC) डेथ सर्टिफिकेट जारी नहीं कर रही है। जबकि पानीहाटी नगर पालिका बेटी के दाह संस्कार का सर्टिफिकेट जारी कर चुकी है। माता-पिता ने बताया था कि KMC अधिकारियों ने कहा है कि डेथ सर्टिफिकेट जारी करने की जिम्मेदारी आरजी कर अस्पताल की है। जबकि, अस्पताल प्रबंधन ने कहा है कि सर्टिफिकेट KMC जारी करेगा। 17 मार्च​​​​​​ को SC ने पेरेंट्स को कलकत्ता HC में याचिका दायर करने की परमिशन दी कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर केस पर 17 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने स्वत: संज्ञान लेते हुए पीड़ित के पेरेंट्स को कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की अनुमति दे दी। परिवार की मांग है कि, इस मामले में CBI ने सही से जांच नहीं की। याचिका में मुख्य आरोपी संजय रॉय के अलावा अन्य आरोपियों के शामिल होने का पता लगाने के लिए आगे की जांच की मांग की गई। पीड़ित के पिता ने कहा, हमने हाईकोर्ट में याचिका दायर करके 54 सवाल पूछे हैं। अदालत को उन सवालों के जवाब देने हैं ताकि मेरी बेटी को न्याय मिले। मेरी बेटी के रेप और मर्डर में कई लोग शामिल हैं। और सबूतों से छेड़छाड़ में कई लोग शामिल हैं। पुलिस ने जांच के लिए डॉग स्क्वॉड को बुलाया था, लेकिन हमें अभी तक इसकी कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट करुणा नंदी ने पीड़ित पक्ष की ओर से बात रखी, जबकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता CBI की ओर से पेश हुए। परिवार ने कहा था- CBI जांच से संतुष्ट नहीं, नए सिरे से जांच चाहते हैं 20 जनवरी को सेशंस कोर्ट ने संजय रॉय को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। साथ ही 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया था। कोर्ट ने कहा कि यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामला नहीं है, इसलिए फांसी की सजा नहीं दे सकते। हालांकि पीड़ित परिवार ने कहा था वे CBI जांच से संतुष्ट नहीं हैं और नए सिरे से जांच चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पेरेंट्स के वकील को चेतावनी थी दी कि वे कोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामे में दिए गए बयानों को लेकर सतर्क रहें, क्योंकि इस मामले में संजय रॉय को दोषी करार दे दिया गया है। अब जानिए संजय रॉय कैसे पकड़ा गया था आरजी कर हॉस्पिटल में 8-9 अगस्त की रात ट्रेनी डॉक्टर का रेप-मर्डर हुआ था। 9 अगस्त की सुबह डॉक्टर की लाश सेमिनार हॉल में मिली थी। CCTV फुटेज के आधार पर पुलिस ने संजय रॉय नाम के सिविक वॉलंटियर को 10 अगस्त को अरेस्ट किया था। पुलिस को सेमिनार हॉल से एक टूटा हुआ ब्लूटूथ इयरफोन मिला था। ये दोषी के फोन से कनेक्ट हो गया था। संजय की जींस और जूतों पर पीड़िता का खून पाया गया था। संजय का DNA मौके पर मिले सबूतों से मैच हुआ था। संजय के शरीर पर चोट के जो 5 निशान मिले थे, वे उसे 24 से 48 घंटे के दौरान लगे थे। यह ब्लंट फोर्स इंजरी हो सकती है, जो पीड़ित से अपने बचाव के दौरान हुई होगी। इसी के जरिए पुलिस संजय को पकड़ने में कामयाब रही। दोषी संजय रॉय अस्पताल की पुलिस चौकी पर तैनात रहता था संजय ने 2019 में कोलकाता पुलिस में डिजास्टर मैनेजमेंट ग्रुप के लिए वॉलंटियर के तौर पर काम करना शुरू किया था। इसके बाद वेलफेयर सेल में चला गया। अच्छे नेटवर्क की बदौलत उसने कोलकाता पुलिस की चौथी बटालियन में घर ले लिया। इस घर की वजह से आरजी कर अस्पताल में नौकरी मिली। वह अक्सर अस्पताल की पुलिस चौकी पर तैनात रहता था। संजय की कई शादियां असफल रहीं। रॉय ने बताया कि वह घटना वाली रात दो बार रेड-लाइट एरिया में गया था। 3 लोगो पर शक, 2 को जमानत मिली थी संजय रॉय के अलावा मामले में मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को भी आरोपी बनाया गया, लेकिन CBI 90 दिन के अंदर घोष के खिलाफ चार्जशीट दायर नहीं कर पाई, जिस कारण सियालदह कोर्ट ने 13 दिसंबर को घोष को इस मामले में जमानत दे दी। CBI ने 25 अगस्त को सेंट्रल फोरेंसिक टीम की मदद से कोलकाता की प्रेसीडेंसी जेल में संजय समेत 9 आरोपियों का पॉलीग्राफ टेस्ट किया था। इनमें आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष, ASI अनूप दत्ता, 4 फेलो डॉक्टर, एक वॉलंटियर और 2 गार्ड्स शामिल थे। ---------------------------- कोलकाता रेप-मर्डर केस से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... कोलकाता रेप-मर्डर, पेरेंट्स ने दोबारा जांच की याचिका वापस ली:सुप्रीम कोर्ट ने कहा- एक कोर्ट सजा सुना चुकी, आप एफिडेविट में बयानों पर सतर्क रहें कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप-मर्डर मामले की आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। पूरी खबर पढ़ें...

Mar 20, 2025 - 10:34
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कोलकाता रेप-मर्डर केस, ट्रेनी डॉक्टर का डेथ सर्टिफिकेट जारी:हेल्थ सेक्रेटरी ने पेरेंट्स को घर जाकर सौंपा; माता-पिता ने KMC पर लापरवाही का आरोप लगाया था

कोलकाता रेप-मर्डर केस, ट्रेनी डॉक्टर का डेथ सर्टिफिकेट जारी

Kharchaa Pani, लेखन समूह: नेटा नगरि

कोलकाता: शहर में हाल ही में हुए एक रेप-मर्डर केस ने सभी को झकझोर दिया है। इसमें एक ट्रेनी डॉक्टर, जिसका नाम हाल में चर्चा में आया, का डेथ सर्टिफिकेट जारी किया गया है। हेल्थ सेक्रेटरी ने खुद जाकर पीड़िता के माता-पिता को यह सर्टिफिकेट सौंपा, जिससे उनकी पीड़ा और बढ़ गई। इस मामले में पीड़िता के माता-पिता ने कोलकाता नगर निगम (KMC) पर लापरवाही का आरोप लगाया है।

घटनाक्रम का संक्षिप्त विवरण

यह घटना कोलकाता के एक प्रसिद्ध मेडिकल कॉलेज के परिसर में हुई, जहां पीड़िता एक ट्रेनी डॉक्टर थी। उसकी हत्या के बाद इस मामले ने ना केवल मीडिया का ध्यान आकर्षित किया बल्कि समाज में भी भय का माहौल बना दिया। पीड़िता के माता-पिता ने स्पष्ट किया है कि उन्हें लगातार आशंका थी कि चिकित्सा व्यवस्था में कोई खामी थी, जिसका नतीजा यह भयंकर घटना बनी।

KMC पर आरोप

पीड़िता के माता-पिता ने KMC पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर अस्पताल प्रशासन समय पर अपनी जिम्मेदारियाँ निभाता, तो उनकी बेटी सुरक्षित होती। उनका कहना है कि सुरक्षात्मक उपाय और व्यक्तिगत सुरक्षा का ध्यान नहीं रखा गया था, जो कि एक मेडिकल कॉलेज के लिए बेहद जरूरी है। इसके चलते न केवल उनके परिवार को बल्कि कई अन्य families को भी इस प्रकार के मामलों का सामना करना पड़ सकता है।

सरकार की प्रतिक्रिया

इस घटना के बाद राज्य सरकार ने एक विशेष समिति का गठन करने का फैसला लिया है, जो इस पूरे मामले की जांच करेगी। हेल्थ सेक्रेटरी ने आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि इस घटना से सबक लेने की आवश्यकता है और भविष्य में ऐसी वारदातों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।

समाज की प्रतिक्रिया

इस केस ने ना केवल कोलकाता बल्कि पूरे देश को एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है। सोशल मीडिया पर लोग इस मामले को लेकर आक्रोशित हैं। कई लोगों ने न्याय की मांग की है और सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की आवश्यकता पर जोर दिया है।

निष्कर्ष

यह मामला एक गंभीर समस्या को उजागर करता है, जो हमारे समाज में मौजूद है। मेडिकल कॉलेजों में सुरक्षा व्यवस्था की कमी न केवल चिकित्सकों के लिए बल्कि छात्रों के लिए भी खतरा उत्पन्न करती है। सरकार, प्रशासन और समाज सभी को मिलकर इस दिशा में काम करने की आवश्यकता है ताकि किसी और परिवार को इस प्रकार की त्रासदी का सामना न करना पड़े।

जैसे ही इस मामले में और जानकारी प्राप्त होगी, हम आपको अपडेट करते रहेंगे। अधिक जानकारी के लिए kharchaapani.com पर जाएं।

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