बजरंग पूनिया ने साधा सरकार पर निशाना:बोले- तानाशाही-राजनीति और अहंकार ने कुश्ती का दम घोंट दिया, भविष्य खतरे में
सोनीपत में रहने वाले अंतरराष्ट्रीय पहलवान बजरंग पूनिया ने भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) और सरकार पर तीखे सवाल किए हैं। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ट्वीट कर कहा कि जिन पहलवानों ने अपनी मेहनत से तिरंगे को दुनियाभर में लहराया, वे आज बेबस खड़े हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले WFI पर तानाशाही थोपी गई, फिर महिला पहलवानों की आवाज को दबाया गया और अब हालात ऐसे बना दिए गए कि भारतीय पहलवान अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों से बाहर हो रहे हैं। खिलाड़ियों की उम्मीदों को चकनाचूर कर दिया गया। बजरंग पूनिया ने ट्वीट में लिखा बजरंग पूनिया ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, पहले WFI पर तानाशाही थोपी गई, फिर महिला पहलवानों की आवाज को कुचला गया और अब हालात ऐसे बना दिए कि भारतीय पहलवान पहली रैंकिंग सीरीज से बाहर रहने के बाद दूसरी रैंकिंग सीरीज से भी बाहर हो गए। यह सिर्फ एक टूर्नामेंट से बाहर होने की बात नहीं है, बल्कि भारतीय कुश्ती के भविष्य पर सवाल है। उनका कहना है कि सरकार और WFI की मिलीभगत ने कुश्ती को कुछ दबंगों के अहंकार की भेंट चढ़ा दिया है। जिन पहलवानों ने दिन-रात कड़ी मेहनत करके टूर्नामेंट की तैयारी की थी, उनकी उम्मीदों को चकनाचूर कर दिया गया है। सरकार का काम खिलाड़ियों को आगे बढ़ाना या उनकी राह में रोड़े अटकाना बजरंग पूनिया ने सरकार की भूमिका पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि, क्या सरकार का काम खिलाड़ियों को आगे बढ़ाना है या उनकी राह में रोड़े अटकाना? यह सवाल हर उस खेल प्रेमी को करना चाहिए, जो चाहता है कि भारत की कुश्ती दुनिया में सिर ऊंचा करके खड़ी रहे। उन्होंने कहा है कि जब तक WFI (भारतीय कुश्ती महासंघ) और NADA (राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी) जैसी संस्थाओं पर राजनीति और अहंकार का कब्जा रहेगा, तब तक भारतीय खेलों का दम घुटता रहेगा।

बजरंग पूनिया ने साधा सरकार पर निशाना: तानाशाही-राजनीति और अहंकार ने कुश्ती का दम घोंट दिया, भविष्य खतरे में
लेखकों: प्रिया शर्मा और रिया जोशी, टीम नीतानगरी
परिचय
भारतीय कुश्ती के मशहूर पहलवान बजरंग पूनिया ने हाल ही में सरकार पर एक गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने तानाशाही, राजनीति, और अहंकार पर कुश्ती के भविष्य पर खतरा बताते हुए कहा कि इन तत्वों ने इस खेल का दम घोंट दिया है। उनकी यह बात कुश्ती प्रेमियों और खिलाड़ियों के बीच एक नई बहस को जन्म दे रही है।
बजरंग पूनिया का बयान
बजरंग ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में अपने विचार प्रकट करते हुए कहा, "कुश्ती के क्षेत्र में जो कुछ हो रहा है, वह केवल खेल का नहीं, बल्कि खिलाड़ियों का भी भविष्य खतरे में डाल रहा है। सरकार की तानाशाही और राजनीतिक कदमों ने इस खेल को तबाह कर दिया है।" उन्होंने यह भी कहा कि खिलाड़ियों की सुरक्षा और उनके भविष्य के लिए उचित कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
तानाशाही और राजनीति का खुले आम विरोध
कुश्ती की दुनिया में बजरंग पूनिया की बातें केवल व्यक्तिगत दर्द का बयान नहीं हैं, बल्कि एक बड़े मुद्दे की ओर इशारा करती हैं। कई पूर्व और वर्तमान खेल सितारे भी तानाशाही और सत्ता के दुरुपयोग पर अपनी आवाज उठा चुके हैं। बजरंग ने खिलाड़ियों के एकजुट होकर अपने हक के लिए लड़ने की आवश्यकता को बताया।
भविष्य की चिंता
बजरंग ने चेतावनी दी कि यदि यह हालात ऐसे ही बने रहे, तो कुश्ती का भविष्य अंधकारमय हो सकता है। उन्होंने आने वाली पीढ़ियों के लिए खेल को सुरक्षित और समर्पित रखने के लिए संगठित प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया। उनका मानना है कि इस खेल को बचाने के लिए सभी संबंधित लोगों को एकजुट होकर काम करना होगा।
खेल की गरिमा की रक्षा करने की जरूरत
इस परिदृश्य में, एक सशक्त नेतृत्व की कमी भी नजर आती है, जो कुश्ती की गरिमा को बनाए रखा जा सके। बजरंग पूनिया की आवाज इन समस्याओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। अगर हम कुश्ती को उसके वास्तविक स्वरूप में देखना चाहते हैं, तो हमें इन मुद्दों पर बातचीत जारी रखनी होगी।
निष्कर्ष
बजरंग पूनिया का यह बयान भारतीय कुश्ती के लिए एक चेतावनी है। तानाशाही, राजनीति और अहंकार के खिलाफ खड़ा होना न केवल ज़रूरी है, बल्कि असाधारण भी। यह समय है जब हम सभी मिलकर इस खेल की इज्जत की रक्षा करते हुए आगे बढ़ें। क्या हम कुश्ती के भविष्य को सुरक्षित कर सकेंगे? यह सवाल सभी खिलाड़ियों और प्रशंसकों के लिए एक चुनौती है।
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