अमेरिकी अरबपति के बेंगलुरु स्थित NGO पर ED की रेड:संस्थानों पर FEMA उल्लंघन का आरोप; जॉर्ज सोरोस ने PM मोदी को अलोकतांत्रिक कहा था
प्रधानमंत्री मोदी को अलोकतांत्रिक कहने वाले अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस से जुड़े NGO पर रेड हुई है। बेंगलुरु स्थित जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन, ओपन सोरोस फाउंडेशन (OSF) और एमनेस्टी इंटरनेशनल के दफ्तरों पर ED ने छापा मारा। एजेंसी ने एमनेस्टी और ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) के पूर्व-वर्तमान कर्मचारियों के घरों की भी तालाशी ली। रिपोर्ट्स के मुताबिक ED की कार्रवाई विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (FEMA) के उल्लंघन को लेकर हुई। छापे को लेकर OSF की तरफ से फिलहाल आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने दिसंबर 2020 में ही भारत में अपनी एक्टिविटी बंद कर दी थी। संस्था के बैंक खाते अवैध विदेशी फंडिंग के आरोप के चलते फ्रीज भी किए गए थे। एमनेस्टी और ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) पर ओपन सोरोस फाउंडेशन (OSF) से फंडिंग मिलने का आरोप है। इस मामले में CBI इनके खिलाफ चार्जशीट फाइल कर चुकी है। अब ED इसकी जांच कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी के विरोधी रहे हैं जॉर्ज सोरोस जॉर्ज सोरोस का जन्म 12 अगस्त, 1930 को हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में हुआ था। जॉर्ज पर दुनिया के कई देशों की राजनीति और समाज को प्रभावित करने का एजेंडा चलाने का आरोप है। सोरोस की संस्था ‘ओपन सोसाइटी फाउंडेशन’ ने 1999 में पहली बार भारत में एंट्री की। 2014 में इसने भारत में दवा, न्याय व्यवस्था को बेहतर बनाने और विकलांग लोगों को मदद करने वाली संस्थाओं को फंड देना शुरू किया। 2016 में भारत सरकार ने देश में इस संस्था के जरिए होने वाली फंडिंग पर रोक लगा दी। अगस्त 2023 में जॉर्ज का म्यूनिख सिक्योरिटी काउंसिल में दिया बयान बेहद चर्चा में रहा। जब उन्होंने कहा था कि भारत लोकतांत्रिक देश है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी लोकतांत्रिक नहीं हैं। सोरोस ने CAA, 370 पर भी विवादित बयान दिए सोरोस ने भारत में नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA और कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने पर भी PM मोदी पर निशाना साधा था। सोरोस ने दोनों मौकों पर कहा था कि भारत हिंदू राष्ट्र बनने की तरफ बढ़ रहा है। दोनों ही मौकों पर उनके बयान बेहद तल्ख थे। कौन है PM की आलोचना करने वाले जॉर्ज सोरोस 92 साल के जॉर्ज सोरोस दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक हैं। सोरोस एक यहूदी हैं, जिस वजह से सेकेंड वर्ल्ड वॉर के समय उन्हें अपना देश हंगरी छोड़ना पड़ा था। 1947 में वे लंदन पहुंचे। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में फिलासफी की पढ़ाई की। फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक साल 16 सितंबर 1992 में ब्रिटेन की करेंसी पाउंड में भारी गिरावट दर्ज की गई थी। जिसके पीछे जॉर्ज सोरोस का हाथ माना गया था। इसके चलते उन्हें ब्रिटिश पाउंड को तोड़ने वाला इंसान भी कहा जाता है। जॉर्ज सोरोस से जुड़ी और खबरें भी पढ़ें... BJP बोली- सोनिया अलग कश्मीर समर्थक संगठन से जुड़ीं:भारत विरोधी सोरोस कांग्रेस को फंडिंग कर रहे भाजपा ने 8 दिसंबर को आरोप लगाया था कि कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ऐसे संगठन से जुड़ी हैं, जो कश्मीर को भारत से अलग करने की वकालत करता है। भाजपा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा कि इस संगठन को जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन की तरफ से फंडिंग मिलती है। इस संगठन का नाम फोरम ऑफ डेमोक्रेटिक लीडर्स इन एशिया पेसिफिक (FDL-AP) है। सोनिया इसकी सह-अध्यक्ष (CO) हैं। पूरी खबर पढ़ें... जॉर्ज सोरोस को मिला अमेरिका का सर्वोच्च नागरिक सम्मान:राष्ट्रपति बाइडेन ने सोरोस के बेटे को सौंपा फ्रीडम मेडल विवादित अमेरिकी बिजनैसमेन जॉर्ज सोरोस समेत 18 लोगों को राष्ट्रपति बाइडेन ने शनिवार को सर्वोच्च अमेरिकी नागरिक सम्मान (प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम) दिया। जॉर्ज सोरोस की जगह उनके बेटे एलेक्स सोरोस मेडल लेने पहुंचे। सोरोस को फ्रीडम मेडल मिलने पर टेस्ला के मालिक इलॉन मस्क ने भी प्रतिक्रिया दी है। मस्क ने मेडल देने के फैसले को हास्यास्पद बताया है। पूरी खबर पढ़ें...

अमेरिकी अरबपति के बेंगलुरु स्थित NGO पर ED की रेड: संस्थानों पर FEMA उल्लंघन का आरोप; जॉर्ज सोरोस ने PM मोदी को अलोकतांत्रिक कहा था
Kharchaa Pani
लेखक: प्रिया शर्मा, टीम नेटानागरी
परिचय
बेंगलुरु में एक गैर सरकारी संगठन (NGO) पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हाल ही में छापेमारी की। यह कार्रवाई अमेरिका के अरबपति जॉर्ज सोरोस के जुड़े इस NGO पर धन शोधन के मामले में की गई है। सोरोस, जिन्हें अक्सर भारतीय राजनीति पर अपने बयानों के लिए जाना जाता है, ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अलोकतांत्रिक कहा था। यह विषय अब न केवल राजनीति में चर्चा का केंद्र बन गया है, बल्कि वित्तीय नियमों के उल्लंघन के संभावित मामलों से भी जुड़ रहा है।
FEMA उल्लंघन संबंधी आरोप
ED ने इस NGO पर विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के उल्लंघन के आरोप लगाए हैं। जांच एजेंसी का मानना है कि NGO ने विदेशी धन को सही तरीके से संवाद नहीं किया। इस मामले में यादगार यह है कि यह मामला केवल एक NGO तक सीमित नहीं है, बल्कि बेंगलुरु के अनेक संस्थानों की जांच भी की जा रही है, जो विदेशी फंडिंग प्राप्त कर रहे हैं।
जॉर्ज सोरोस का भारत में प्रभाव
जॉर्ज सोरोस को भारत में उनकी सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की सरकार के खिलाफ कई बार बयान दिए हैं, और उनका यह वर्तमान बयान कि "मोदी अलोकतांत्रिक हैं," अब एक नयी बहस को जन्म दे रहा है। उनकी स्थिति को लेकर राजनीति में गर्मागरमी बढ़ गई है, साथ ही उनके NGO की जांच ने इस बात को और भी प्रासंगिक बना दिया है।
ED की कार्रवाइयों का जनसंवेदन पर प्रभाव
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस तरह की जांचों का उद्देश्य भारत में NGO के काम करने की प्रक्रिया को पारदर्शी और नियमों के अनुसार बनाना है। हालाँकि, कई लोगों का मानना है कि यह एक राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा भी हो सकता है। जबकि कुछ इसे सरकार का सही कदम मानते हैं, άλλοι इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश के रूप में देखते हैं।
निष्कर्ष
बेंगलुरु स्थित NGO पर ED की कार्रवाई और जॉर्ज सोरोस का हिंसक बयान, भारतीय राजनीति में कई सवाल उठाते हैं। क्या यह एक वास्तविकता है कि विदेशी धन और निवेश पर नज़र रखी जानी चाहिए? या क्या यह भारतीय संस्थानों की स्वतंत्रता पर एक हमला है? समय ही बताएगा। इस पर स्थिति स्पष्ट होने के लिए हमें और जानकारियों की प्रतीक्षा करनी होगी।
इसके अलावा, इस मामले पर विस्तार से जानकारी के लिए, खर्चा पानी पर जाएं।
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