मैतेई मणिपुर में राष्ट्रपति शासन के खिलाफ, कुकी का समर्थन:राज्य भाजपा अध्यक्ष बोलीं- विधानसभा भंग नहीं सस्पेंड है, हालात देखकर फैसला होगा
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद मैतेई समुदाय इसका विरोध कर रहा है। समुदाय का कहना है कि बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद किसी सक्षम व्यक्ति को CM बनाया जाना था। जबकि कुकी समुदाय केंद्र सरकार के इस कदम को आशा की किरण बता रहा है। कूकी समुदाय की संस्था इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) ने राष्ट्रपति शासन को मुख्यमंत्री बदलने से बेहतर कहा है। फोरम कुकी समुदाय के लिए अलग प्रशासन और मणिपुर हिंसा से निपटने के लिए पक्षपात करने का आरोप लगाकर बीरेन सिंह को हटाने की मांग करता रहा है। वहीं, राष्ट्रपति शासन की घोषणा के बाद राज्य भाजपा अध्यक्ष ने कहा- विधानसभा अभी भी निलंबित अवस्था में है। कुछ समय बाद हालात को देखते हुए सदन चलाने पर विचार हो सकता है। केंद्र सरकार ने राज्य में गुरुवार को राष्ट्रपति शासन लगाया था। यह फैसला मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के 4 दिन बाद लिया गया। सिंह ने 9 फरवरी को गवर्नर को इस्तीफा सौंपा था। ITLF ने कहा- हमारी मांग अलग प्रशासन की ITLF के प्रवक्ता गिन्जा वूलजोंग ने कहा- बीरेन सिंह ने मणिपुर विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव में हार के डर से इस्तीफा दिया है। हाल ही में उनका एक ऑडियो टेप लीक हुआ था, जिसका संज्ञान सुप्रीम कोर्ट ने लिया है। ऐसे में अब भाजपा के लिए भी उन्हें बचाना मुश्किल लग रहा है। बीरेन चाहे मुख्यमंत्री रहें या नहीं, हमारी मांग अलग प्रशासन की है। मैतेई समुदाय ने हमें अलग किया है। अब हम पीछे नहीं हट सकते। बहुत खून बह चुका है। एक राजनीतिक हल ही हमारी मुसीबत का समाधान कर सकता है। कूकी समुदाय अलग प्रशासन की मांग को लेकर अब भी जस का तस कायम है। राहुल बोले- PM को तुरंत मणिपुर जाना चाहिए एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राहुल गांधी ने कहा कि हिंसा, जान-माल के नुकसान के बावजूद पीएम मोदी ने एन बीरेन सिंह को पद पर बनाए रखा। लेकिन अब लोगों की तरफ से बढ़ते दबाव, सुप्रीम कोर्ट की जांच और कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव की वजह से एन बीरेन सिंह इस्तीफा देने को मजबूर हो गए। X पोस्ट में उन्होंने कहा कि इस वक्त सबसे जरूरी बात यह है कि राज्य में शांति बहाल की जाए और मणिपुर के लोगों के घावों को भरने का काम किया जाए। पीएम मोदी को तुरंत मणिपुर जाना चाहिए, वहां के लोगों की बात सुननी चाहिए और यह बताना चाहिए कि वे हालात सामान्य करने के लिए क्या योजना बना रहे हैं। हिंसा पर बीरेन सिंह ने कहा था- मुझे माफ करें दिसंबर 2024 को मणिपुर के CM बीरेन सिंह ने राज्य में हुई हिंसा और उसमें हुई जनहानि को लेकर माफी मांगी थी। बीरेन सिंह ने कहा था कि पूरा साल बहुत दुर्भाग्यपूर्ण रहा है। इसका मुझे बहुत दुख है। 3 मई 2023 से लेकर आज तक जो कुछ भी हो रहा है, उसके लिए मैं राज्य के लोगों से माफी मांगता हूं। CM बीरेन सिंह ने सेक्रेटेरिएट में मीडिया से चर्चा के दौरान कहा- कई लोगों ने अपने प्रियजन को खो दिया। कई लोगों ने अपना घर छोड़ दिया। मुझे वास्तव में खेद है। मैं माफी मांगना चाहता हूं। मणिपुर में 3 मई 2023 से कुकी-मैतेई समुदाय के बीच हिंसा जारी है। मैतेई-कुकी समुदाय के बीच भड़की हिंसा को 600 से ज्यादा दिन बीत चुके हैं। बीरेन ने बताया, 'मणिपुर में मई 2023 से अक्टूबर 2023 तक गोलीबारी की 408 घटनाएं दर्ज की गईं। नवंबर 2023 से अप्रैल 2024 तक 345 घटनाएं हुईं। मई 2024 से अब तक 112 घटनाएं सामने आई हैं।' हालांकि राज्य में पिछले महीने से शांति है। हिंसा की कोई घटना नहीं हुई। छिटपुट प्रदर्शन के लिए भी लोग सड़कों पर नहीं उतरे। सरकारी दफ्तर रोजाना खुल रहे हैं और स्कूल में बच्चों की तादाद बढ़ रही है। लीक ऑडियो क्लिप में CM पर हिंसा भड़काने का आरोप लगा था 3 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा पर सुनवाई की थी। कुकी ऑर्गेनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट (KOHUR) की तरफ से कोर्ट में याचिका दाखिल करके कुछ ऑडियो क्लिप्स की जांच की मांग की थी। दावा किया गया था कि ऑडियो में CM कथित तौर पर कह रहे हैं कि उन्होंने मैतेईयों को हिंसा भड़काने की अनुमति दी और उन्हें बचाया। याचिकाकर्ताओं के वकील प्रशांत भूषण ने कहा- जो टेप सामने आए हैं, वे बहुत गंभीर हैं। इस पर CJI संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की बेंच ने मणिपुर सरकार से कहा कि सुनिश्चित करिए कि ये एक और मुद्दा न बने। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैब (CFSL) से सीलबंद लिफाफे में 6 हफ्ते में रिपोर्ट मांगी है। पूरी खबर पढ़ें... ........................................ मणिपुर हिंसा से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... मणिपुर में सुरक्षाबलों ने 4 बंकर नष्ट किए, 5 दिनों से सेना-पुलिस का जॉइंट सर्च ऑपरेशन मणिपुर में हिंसा की बढ़ती घटनाओं के बाद सुरक्षाबलों ने इंफाल ईस्ट और कांगपोकपी जिलों में बने बंकरों को नष्ट किया। ये बंकर थम्नापोकपी और सनसाबी गांवों की सीमा से लगे इलाकों में बनाए गए थे। जहां से पहाड़ियों पर रहने वाले बंदूकधारी निचले इलाकों के गांवों पर हमला कर रहे थे। पूरी खबर पढ़ें...

मैतेई मणिपुर में राष्ट्रपति शासन के खिलाफ, कुकी का समर्थन:राज्य भाजपा अध्यक्ष बोलीं- विधानसभा भंग नहीं सस्पेंड है, हालात देखकर फैसला होगा
Kharchaa Pani | लेखिका: सुमन गुप्ता, टीम नेटानागरी
मणिपुर का राजनीतिक माहौल पिछले कुछ समय से गर्माया हुआ है। कुकी जनजाति के समर्थन के साथ मैतेई समुदाय ने राष्ट्रपति शासन के खिलाफ एकजुट होने का मन बना लिया है। इस विषय पर बात करते हुए, मणिपुर की भाजपा अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि विधानसभा भंग नहीं की गई है, बल्कि इसे केवल सस्पेंड किया गया है।
कुकी समुदाय का टकराव
मणिपुर में कुकी जनजाति और मैतेई समुदाय के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। कुकी समुदाय ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज उठाई है और कई आंदोलन भी शुरू किए हैं। इसके चलते, राज्य में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि हालात के बारे में देख कर ही निर्णय लिया जाएगा कि विधानसभा को भंग करना है या नहीं।
राज्य भाजपा अध्यक्ष का बयान
भाजपा की राज्य अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि विधानसभा का सस्पेंड होना और भंग होना दो अलग बातें हैं। उन्होंने कहा, "हम यहां सभी के हितों को देखकर कार्रवाई करेंगे। जनता की सुरक्षा सर्वोपरि है और हम स्थिति का आकलन करने के बाद उचित निर्णय लेंगे।"
राजनीतिक समाधान की आवश्यकता
मणिपुर की स्थिति को लेकर राजनीतिक हलों में चिंता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जल्द ही एक ठोस समाधान नहीं निकाला गया, तो स्थिति और बिगड़ सकती है। इसके लिए सभी राजनीतिक दलों को एक साथ बैठकर विचार-विमर्श करने की आवश्यकता है।
आगे की राह
स्थायी समाधान खोजने के लिए सभी समुदायों के साथ संवाद करना आवश्यक है। कुकी और मैतेई दोनों को एक मंच पर लाकर, एक समझौते पर पहुंचना ही सबसे बेहतर विकल्प होगा। क्षेत्र के विकास और शांति के लिए यह जरूरी है कि सभी अपनी-अपनी भावनाओं को साझा करें और एक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ें।
निष्कर्ष
मणिपुर की स्थिति को देखते हुए, यह उम्मीद की जा सकती है कि राज्य की सरकार एक संतुलित और निष्पक्ष कदम उठाएगी। सभी समुदायों के बीच समन्वय स्थापित करना आवश्यक है, जिससे कि भविष्य में कोई भी संकट न आए। जनता की राय और सुरक्षा को प्राथमिकता दिया जाना चाहिए।
कम शब्दों में कहें तो, मणिपुर में राष्ट्रपति शासन के खिलाफ मेटई समुदाय की एकजुटता से राजनीतिक गर्माहट बढ़ रही है। आगे के फैसले प्रदेश के आंतरिक हालात पर निर्भर करते हैं।
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