सेहतनामा- BMI से नहीं पता चलता मोटापा:हर 8वां इंसान ओबीज, WHO ने बताया अगली महामारी, आज से ही वजन घटाना शुरू करें

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, मोटापा एपिडेमिक बन गया है। एपिडेमिक का मतलब है ऐसी बीमारी, जो दुनिया में बहुत तेजी से फैल रही है। मोटापे की वजह से जानलेवा बीमारियों की जद में आकर हर साल 28 लाख वयस्कों की मौत हो रही है। भारत और दुनिया के सभी देश मोटापे को लेकर चिंतित हैं। WHO भी इसे लेकर फिक्रमंद है। पूरी दुनिया के डॉक्टर्स को लगता है कि मोटापे को अब हल्के में नहीं लिया जा सकता। इसे ज्यादा ठीक ढंग से समझने की जरूरत है। इसलिए अब मोटापे को आइडेंटीफाई करने के तरीके को भी पहले से ज्यादा साइंटिफिक बनाने पर जोर दिया जा रहा है। भारत में डॉक्टर पिछले 15 सालों से मोटापे का पता लगाने के लिए बॉडी मास इंडेक्स (BMI) टूल का इस्तेमाल करते रहे हैं। इसमें लोगों की लंबाई और वजन का अनुपात निकालकर तय किया जाता है कि कोई मोटा है या नहीं। लेकिन अब इसे लेकर नई गाइडलाइंस आई हैं। अब मोटापे का पता लगाने के लिए BMI का इस्तेमाल सिर्फ एक सपोर्ट मॉनीटरिंग टूल की तरह होगा। इसलिए ‘सेहतनामा’ में आज जानेंगे कि मोटापे की नई परिभाषा क्या है। साथ ही जानेंगे कि- मोटापे की नई परिभाषा क्या है? लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रोनोलॉजी कमीशन में पूरी दुनिया के 58 एक्सपर्ट डॉक्टर्स ने मोटापे की नई परिभाषा दी है। अभी तक मोटापा पता करने के लिए पूरी दुनिया में इस्तेमाल हो रहा BMI अब काफी नहीं होगा। डॉक्टर्स का मानना है कि इसे और ज्यादा सांइंटिफिक और क्लिनिकल तरीके से समझने की जरूरत है। रिसर्च में बताया गया है कि अगर मोटापे को ज्यादा साइंटिफिक ढंग से समझा जाए तो यह पहचानने में मदद मिलेगी कि किस तरह का मोटापा किन बीमारियों के लिए जोखिम बन सकता है। इससे हम उस दिशा में काम करके उन सभी बीमारियों का जोखिम टाल सकते हैं। BMI में क्या कमियां हैं? BMI की सबसे बड़ी कमी ये है कि इसमें फैट और मसल्स के बीच अंतर नहीं पता चलता है। मान लीजिए किसी व्यक्ति का BMI 30 है, लेकिन उसका यह वजन मसल्स और बोन डेंसिटी के कारण ज्यादा है। ऐसे में वह फिट होने के बावजूद BMI के मुताबिक मोटा है। जबकि, किसी दूसरे व्यक्ति की कमर के आसपास फैट जमा है, पर उसका BMI 24 ही है तो वह BMI मुताबिक फिट है। BMI की इन खामियों को लेकर डॉक्टर्स ने कई बार सवाल उठाए हैं। इसके कारण कई लोगों को समय पर जरूरी ट्रीटमेंट नहीं मिल पाता है। लोअर एब्डॉमिन में जमा फैट हाथ-पैर के फैट से ज्यादा खतरनाक नई रिसर्च में स्पष्ट किया गया है कि कमर के आसपास जमा फैट या फिर लिवर और हार्ट में जमा फैट ज्यादा खतरनाक होता है। यह हाथ-पैर या स्किन के नीचे जमा फैट की तुलना में ज्यादा हेल्थ प्रॉब्लम्स खड़ी कर सकता है। इससे कई क्रॉनिक डिजीज का जोखिम हो सकता है। मोटापे के लिए नई गाइडलाइंस क्या हैं? दुनिया के सभी देश मोटापे की समस्या को गंभीरता से ले रहे हैं। यह आने वाले समय में बड़ा जोखिम बन सकता है। इससे कई गंभीर बीमारियों का जोखिम पैदा हो सकता है। इसलिए नई गाइडलाइंस में इसे दो स्टेज में बांटकर ट्रीटमेंट करने की सलाह दी गई है। क्लिनिकल ओबिसिटी क्या है? क्लिनिकल ओबिसिटी एक क्रॉनिक डिजीज है, जिसके कारण शरीर में जमा एक्स्ट्रा फैट के कारण ऑर्गन्स की फंक्शनिंग प्रभावित होने लगती है। रोजाना के कामकाज में मुश्किल होती है। रिसर्चर्स ने इसे पहचानने के लिए बच्चों और एडल्ट्स के लिए अलग-अलग क्राइटेरिया बनाए हैं। इसमें आमतौर पर जोड़ों का दर्द, सांस लेने में परेशानी, हार्ट फेल्योर, और ऑर्गन डिस्फंक्शन जैसे लक्षण दिखते हैं। प्रीक्लिनिकल ओबिसिटी क्या है? प्रीक्लिनिकल ओबिसिटी का मतलब है कि इस डिजीज के कारण अभी तक कोई हेल्थ प्रॉब्लम नहीं हुई है। हालांकि, इसकी वजह से टाइप-2 डायबिटीज, कार्डियोवस्कुलर डिजीज और कुछ कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का जोखिम बढ़ रहा है। इसके अलावा शरीर में एक्स्ट्रा फैट दिख रहा है। इसमें इस बात की बहुत गुंजाइश होती है कि अगर कुछ सुधार कर लिए जाएं तो गंभीर हेल्थ कंडीशंस का जोखिम टाला जा सकता है। मोटापे से जुड़े कुछ कॉमन सवाल और जवाब सवाल: पूरी दुनिया में मोटापे से जुड़े आंकड़े क्या कहते हैं? जवाब: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक दुनिया में हर 8वां शख्स मोटापे से जूझ रहा है। यह बीमारी इतनी तेजी से बढ़ रही है कि WHO इसे एपिडेमिक मान रहा है। मोटापा कार्डियोवस्कुलर डिजीज और कैंसर जैसी कई गंभीर बीमारियों के लिए रास्ता तैयार करता है। सवाल: WHO मोटापे को लेकर इतना फिक्रमंद क्यों है? जवाब: WHO के मुताबिक, मोटापा नॉन कम्युनिकेबल बीमारियों का कारण बन सकता है। इससे दिल की बीमारी और फेफड़े के इन्फेक्शन का जोखिम भी बढ़ता है। हर साल पूरी दुनिया में करीब 28 लाख लोग अधिक वजन या मोटापे के कारण मौत का शिकार हो रहे हैं। सवाल: मोटापे के कारण किन बीमारियों का जोखिम हो सकता है? जवाब: मोटापे के कारण कई क्रॉनिक डिजीज का जोखिम बढ़ जाता है। सवाल: मोटापा किन कारणों से बढ़ता है? जवाब: मोटापे का सबसे बुनियादी कारण है, शरीर की रोजाना जरूरत से ज्यादा कैलोरी ग्रहण करना। इसके अलावा सिडेंटरी लाइफस्टाइल, लो फिजिकल एक्टिविटी, जंक फूड, अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड, शुगरी ड्रिंक्स और नींद की कमी जैसे कई कारण हैं। सवाल: क्या मोटापा बढ़ने से कैंसर का रिस्क बढ़ जाता है? जवाब: हां, यह सच है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और दुनिया के सभी बड़े डॉक्टर्स इस बारे में दुनिया को आगाह कर रहे हैं। इससे कई क्रॉनिक डिजीज का जोखिम बढ़ जाता है। मोटापे के कारण लगभग 13 तरह के कैंसर का जोखिम फिट लोगों की तुलना में कई गुना ज्यादा होता है। सवाल: क्या मोटापा बढ़ने से स्लीप एप्निया हो सकता है ? जवाब: हां, मोटापा बढ़ने से स्लीप एप्निया भी हो सकता है। असल में स्लीप एप्निया की प्रमुख वजह मोटापा ही है। गले के आसपास फैट जमा होने से श्वसन नली दबने लगती है। इसलिए नींद के दौरान सांस लेना मुश्किल हो जाता है। ......................... सेहत से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए सेहतनामा- दुनिया के 150 करोड़ लोगों के पेट मे

Jan 31, 2025 - 05:34
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सेहतनामा- BMI से नहीं पता चलता मोटापा:हर 8वां इंसान ओबीज, WHO ने बताया अगली महामारी, आज से ही वजन घटाना शुरू करें
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, मोटापा एपिडेमिक बन गया है। एपिडेमिक का मतलब है ऐसी बीमारी, जो

सेहतनामा - BMI से नहीं पता चलता मोटापा: हर 8वां इंसान ओबीज, WHO ने बताया अगली महामारी, आज से ही वजन घटाना शुरू करें

लेखक: सुमिता वर्मा, साक्षी शर्मा, टीम नेटानागरी

स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जो आज के समाज में काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें बताया गया है कि हर 8वां इंसान मोटापे से ग्रस्त है। यह बात BMI (बॉडी मास इंडेक्स) पर आधारित नहीं है, और इसे अगली महामारी के तौर पर देखा जा रहा है। इससे साफ है कि हमें अपनी सेहत के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है।

BMI और मोटापे का जटिल संबंध

BMI को मोटापे का एक सामान्य संकेतक माना जाता है, लेकिन यह सभी लोगों के लिए सही नहीं बैठता है। कई लोग जिन्होंने नियमित व्यायाम किया है और मांसपेशियों का विकास किया है, उनका BMI सामान्य से अधिक हो सकता है, जबकि उनकी सेहत उत्तम हो सकती है। इससे यह साबित होता है कि BMI केवल एक संख्यात्मक माप है, जो असली स्वास्थ्य की तस्वीर नहीं दिखाता।

WHO का अलार्म

WHO के अनुसार, मोटापा एक तेजी से बढ़ती हुई समस्या है जो कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है, जैसे कि मधुमेह, हृदय रोग और अधिक। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मोटापे के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और यदि इसका समाधान नहीं किया गया, तो यह वैश्विक महामारी का रूप ले सकता है। इसलिए, WHO ने सभी को अपने वजन पर ध्यान देने और वजन कम करने के उपाय तुरंत लागू करने की सलाह दी है।

वजन घटाने के उपाय

अगर आप भी इन 8 में से एक हैं जो मोटापे से ग्रस्त हैं, तो आज से ही वजन घटाने की दिशा में कदम उठाएं। यहाँ कुछ आसान उपाय दिए गए हैं:

  • संतुलित आहार: अपनी डाइट में फल, सब्जियाँ, और उच्च फाइबर वाले आहार को शामिल करें।
  • नियमित व्यायाम: दैनिक व्यायाम करना एक आदत बनाएं। यह जिम जाने के अलावा पैदल चलने, दौड़ने या योग करने के रूप में हो सकता है।
  • पर्याप्त नींद: एक अच्छी नींद लेना भी वजन नियंत्रित करने में मदद करता है।

निष्कर्ष

स्वस्थ जीवन जीने के लिए मोटापा एक बड़ी चुनौती है। यदि हम समय रहते इस पर ध्यान नहीं देंगे, तो इससे कई स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए, आज से ही वजन घटाना शुरू करें और एक स्वस्थ जीवनशैली की ओर कदम बढ़ाएं।

संक्षेप में, BMI से मोटापे का सही आंकलन करना मुश्किल है, और WHO का यह संदेश हमें गंभीरता से लेना चाहिए। अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें, और हल्के उपायों से वजन घटाने की शुरूआत आज से करें।

फिर से ध्यान देने योग्य है कि हम अपने स्वास्थ्य को सुधारने के लिए जिम्मेदार हैं। अधिक अपडेट के लिए, kharchaapani.com पर जाएं।

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