चैत्र अमावस्या शनिवार को:भारत में नहीं दिखेगा 29 मार्च का सूर्य ग्रहण, सूतक नहीं रहेगा, दोपहर में करें पितरों के लिए धूप-ध्यान
कल शनिवार, 29 मार्च को चैत्र मास की अमावस्या है और इसी दिन सूर्य ग्रहण भी हो रहा है। शनिवार को ही शनि का राशि परिवर्तन भी होगा। ये सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा। इस कारण देश में सूर्य ग्रहण का सूतक नहीं रहेगा और पूरे दिन चैत्र अमावस्या से जुड़े सभी धर्म-कर्म किए जा सकेंगे। सूर्य ग्रहण नॉर्थ-वेस्ट अफ्रीका, यूरोप, नॉर्थ रूस में दिखाई देगा। ग्रहण भारतीय समय अनुसार दोपहर 2.21 बजे शुरू होगा और शाम 6.14 बजे खत्म होगा। जानिए चैत्र अमावस्या पर कौन-कौन से शुभ काम किए जाते हैं... 29 को शनि बदलेगा राशि 29 मार्च को शनि का राशि परिवर्तन भी है। शनि कुंभ से मीन राशि में प्रवेश करेगा। शनि के राशि बदलने से सभी 12 राशियों पर शनि का असर बदल जाएगा। शनि के अशुभ असर से बचने के लिए शनिदेव का तेल से अभिषेक करें। शनिदेव को नीले फूल चढ़ाएं। ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जप करें। शनिदेव के लिए काले तिल, तेल और छाते का दान करें। शनि के दोषों को दूर करने के लिए हनुमान जी की पूजा करने की सलाह भी दी जाती है। मान्यता है कि जो लोग हनुमान जी की पूजा करते हैं, उन लोगों पर शनि के दोषों का असर नहीं होता है।

चैत्र अमावस्या शनिवार को: भारत में नहीं दिखेगा 29 मार्च का सूर्य ग्रहण, सूतक नहीं रहेगा, दोपहर में करें पितरों के लिए धूप-ध्यान
लेखिका: सुमिता शर्मा, टीम नेतनागरी
Kharchaa Pani
परिचय
29 मार्च, 2024 को भारत में होने वाला सूर्य ग्रहण अद्वितीय रहेगा, क्योंकि यह देश के कई हिस्सों में नहीं दिखाई देगा। इस दिन की विशेषता यह है कि यह चैत्र अमावस्या के दिन पर आता है, जो हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस दिन पितरों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का अवसर भी मिलता है। इस लेख में हम जानेंगे कि इस दिन कैसे मनाना है और इसके धार्मिक महत्व क्या हैं।
सूर्य ग्रहण के बारे में जानकारी
सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है, जिसमें चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है और सूर्य के कुछ हिस्से या पूरे हिस्से को ढक लेता है। भारत में इस बार का सूर्य ग्रहण नहीं दिखेगा, जिसे ज्योतिषियों के अनुसार, सूतक का समय भी लागू नहीं होगा। सूतक का अर्थ है वह समय जब ग्रहण के प्रभाव के चलते पूजा-पाठ और अन्य धार्मिक कार्यों को रोक दिया जाता है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा, जिससे श्रद्धालु अपने पितरों के लिए धूप-ध्यान कर सकेंगे।
चैत्र अमावस्या का महत्व
चैत्र मास का पहला दिन हिन्दू नववर्ष का प्रारंभ भी माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से पितरों को याद किया जाता है और उनके प्रति श्रद्धा अर्पित की जाती है। पितृ पूजा का महत्व यहाँ विशेष रूप से उजागर होता है। कहा जाता है कि इस दिन पितरों को समर्पित धूप जलाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। कई लोग इस दिन को अपने परिवार के साथ मिलकर बड़े धूमधाम से मनाते हैं।
क्या करें इस दिन?
इस दिन को विशेष तौर पर मनाने के लिए दोपहर में पितरों के लिए धूप-ध्यान करने का सुझाव दिया गया है। आप अपने घर के पूजा स्थल पर जाकर धूप जलाएँ और अपने पितरों का स्मरण करें। इसके अलावा, इस दिन विशेष व्यंजन भी बनाए जाते हैं, जो पितरों को अर्पित किए जाते हैं। आप चाहें तो इस दिन मंदिर जाकर पूजा भी कर सकते हैं।
निष्कर्ष
29 मार्च का सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, लेकिन चैत्र अमावस्या का महत्व इस दिन को खास बनाता है। इसलिए, अपने पितरों को श्रद्धांजलि अर्पित करने का यह सही समय है। इस दिन किए गए धार्मिक कार्यों का फल अच्छा मिलता है, यही मान्यता है। धूप-ध्यान और विशेष अवसरों का लाभ उठाते हुए इस दिन को सार्थक बनाएं।
Keywords
सूर्य ग्रहण, 29 मार्च, चैत्र अमावस्या, धूप-ध्यान, पितृ पूजा, भारत में ग्रहण, सूतक, धार्मिक महत्व, हिंदू नववर्ष, पितरों के लिए ध्यानWhat's Your Reaction?






