सुप्रीम कोर्ट ने 100% VVPAT गिनती की याचिका ठुकराई:कहा- पहले ही फैसला दिया जा चुका है, दोबारा सुनवाई नहीं होगी

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चुनावों में 100% VVPAT(वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) पर्चियों की मैनुअल गिनती की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। याचिकाकर्ता हंसराज जैन की मांग थी कि ईवीएम के साथ-साथ सभी वीवीपैट पर्चियों की भी 100% मैनुअल गिनती होनी चाहिए। साथ ही वोटर को पर्ची की जांच का अधिकार मिलना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि पहले ही इस मुद्दे पर फैसला दिया जा चुका है, ऐसे में दोबारा सुनवाई की जरूरत नहीं है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने 12 अगस्त 2024 को दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुनवाई की। इस फैसले में हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले का हवाला देते हुए याचिका खारिज कर दी थी। उस दौरान चुनाव आयोग ने भी हाईकोर्ट में बताया था कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही ईवीएम को सुरक्षित और पारदर्शी बता चुका है। सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और के वी विश्वनाथन की बेंच ने की। याचिकाकर्ता ने कहा- VVPAT सिस्टम का उचित इस्तेमाल हो हंसराज जैन ने चुनाव आयोग को भविष्य में VVPAT सिस्टम के इस्तेमाल के निर्देश देने की भी मांग की थी। साथ ही कहा कि सिस्टम ऐसे हो जिसमें प्रिंटर खुला हो और प्रिंटेड पर्ची को वोटर खुद वेरीफाई कर सके। इसके अलावा वह पर्ची मतदान केंद्र छोड़ने से पहले प्रिसाइडिंग ऑफिसर को दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने EVM-VVPAT के 100% मिलान की मांग खारिज की थी पिछले साल 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने बैलट पेपर से चुनाव कराने और इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (EVM) और VVPAT स्लिप की 100% क्रॉस-चेकिंग कराने से जुड़ी याचिकाएं खारिज कर दीं। लेकिन इस दौरान एक बड़ा फैसला भी दिया था। कोर्ट ने पहली बार कुछ शर्तों के साथ EVM की जांच का रास्ता खोल दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने EVM जांच के लिए क्या शर्त लगाई थी? ​​​​​पहले भी सुप्रीम कोर्ट में कई बार उठा है मुद्दा 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले, 21 विपक्षी दलों के नेताओं ने भी सभी EVM में से कम से कम 50 प्रतिशत VVPAT मशीनों की पर्चियों से वोटों के मिलान करने की मांग की थी। उस समय, चुनाव आयोग हर निर्वाचन क्षेत्र में सिर्फ एक EVM का VVPAT मशीन से मिलान करता था। 8 अप्रैल, 2019 को मिलान के लिए EVM की संख्या 1 से बढ़ाकर 5 कर दी थी। इसके बाद मई 2019 कुछ टेक्नोक्रेट्स ने सभी EVM के VVPAT से वेरिफाई करने की मांग की याचिका लगाई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके अलावा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने भी जुलाई 2023 में वोटों के मिलान की याचिका लगाई थी। इसे खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- कभी-कभी हम चुनाव निष्पक्षता पर ज्यादा ही संदेह करने लगते हैं। ********************** यह खबर भी पढ़ें... सुप्रीम कोर्ट बोला- यूपी में जो हो रहा, वो गलत; इन्वेस्टिगेटिंग अफसर को कटघरे में खड़ा करो सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को यूपी पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है। सिविल मुकदमों को क्रिमिनल केस में बदले जाने पर चीफ जस्टिस (CJI) संजीव खन्ना ने कहा, यूपी में जो हो रहा है, वह गलत है। चीफ जस्टिस ने कहा, हर रोज सिविल मुकदमों को आपराधिक मामलों में बदला जा रहा है। यह बेतुका है, सिर्फ पैसे नहीं देने को अपराध नहीं बनाया जा सकता, ये कानून के शासन का पूरी तरह ब्रेकडाउन है। पूरी खबर पढ़ें...

Apr 8, 2025 - 03:34
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सुप्रीम कोर्ट ने 100% VVPAT गिनती की याचिका ठुकराई:कहा- पहले ही फैसला दिया जा चुका है, दोबारा सुनवाई नहीं होगी
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चुनावों में 100% VVPAT(वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) पर्चियों की मैनुअल गिन

सुप्रीम कोर्ट ने 100% VVPAT गिनती की याचिका ठुकराई: कहा- पहले ही फैसला दिया जा चुका है, दोबारा सुनवाई नहीं होगी

Kharchaa Pani - टीम नेतानागरी द्वारा

भारत की सर्वोच्च अदालत ने हाल ही में 100% VVPAT (वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) गिनती की याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि इस मुद्दे पर पहले ही निर्णय लिया जा चुका है और अब दोबारा सुनवाई नहीं की जा सकती। इस फैसला ने राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है और चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

VVPAT क्या है?

VVPAT एक इलेक्ट्रॉनिक मतदान प्रणाली है, जिसके तहत मतदाता अपने द्वारा डाले गए वोट की पुष्टि पेपर स्लिप के माध्यम से कर सकते हैं। यह प्रणाली चुनावी पारदर्शिता को सुनिश्चित करती है और मतदाता को अपनी पसंद की पुष्टि करने का एक तरीका प्रदान करती है।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया कि VVPAT की गिनती को लेकर पहले ही कई महत्वपूर्ण निर्णय पहले से हो चुके हैं। कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे का बार-बार परीक्षण करने की आवश्यकता नहीं है। भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "इस मामले में निर्णय पहले ही दिया जा चुका है और हमें उसी के आधार पर आगे बढ़ना होगा।"

राजनीतिक प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह चुनावों में पारदर्शिता को खत्म करने का प्रयास कर रही है। वहीं, सरकार ने अपने रुख को स्पष्ट करते हुए कहा है कि चुनावी प्रक्रिया पहले से ही विश्वसनीय और पारदर्शी है।

क्या है आगे का रास्ता?

अब जब कि सुप्रीम कोर्ट ने 100% VVPAT गिनती के खिलाफ याचिका को खारिज कर दिया है, यह देखना दिलचस्प होगा कि विपक्षी दल आगे किस दिशा में बढ़ते हैं। क्या वे फिर से कोई नई याचिका दर्ज करेंगे? या फिर चुनावों की प्रक्रिया को स्वीकार कर लेंगे? आगामी समय में चुनावी प्रक्रिया पर राजनीतिक विमर्श और भी तेज होगा।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट का फैसला केवल एक कानूनी निर्णय नहीं है, बल्कि यह चुनावी लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने का एक प्रयास भी है। इस निर्णय से यह भी स्पष्ट हो गया है कि चुनावी प्रणाली में हेरफेर की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। हमें इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि चुनाव पारदर्शी और निष्पक्ष कैसे बने रह सकते हैं।

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