हिन्दी पंचांग का दूसरा महीना वैशाख शुरू:पूजा-पाठ के साथ ही जल का दान करने की है परंपरा, वैशाख में नदी स्नान और तीर्थ दर्शन जरूर करें
हिंदू पंचांग का दूसरा महीना वैशाख शुरू हो गया है, ये महीना 12 मई तक रहेगा। इस महीने में धर्म-कर्म, मंत्र-जप, दान-पुण्य करने की परंपराएं हैं। वैशाख में गर्मी काफी अधिक रहती है, लेकिन आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से ये महीना बहुत खास रहता है। जानिए वैशाख से जुड़ी खास बातें... सूर्य पूजा से करें दिन की शुरुआत शास्त्रों में लिखा है कि - मासानां च वैशाखः श्रेष्ठः यानी सभी महीनों में वैशाख सर्वश्रेष्ठ है। वैशाख में सुबह जल्दी जागना चाहिए और कुछ देर उगते सूर्य के दर्शन करना चाहिए। ध्यान रखें सुबह के बाद तेज धूप में ज्यादा देर रहने से बचना चाहिए। उगते सूर्य को अर्घ्य दें। इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें, जल में कुमकुम, चावल और फूल डालें, इसके बाद सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: का जप करते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा वैशाख मास में गर्मी काफी अधिक रहती है, इसलिए इस महीने में नदी और तीर्थ स्थलों की यात्रा करने का काफी अधिक महत्व है। नदियों में स्नान करने और तीर्थ दर्शन करने से मन शांत होता है और काम करने के लिए सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। पवित्र नदियों जैसे गंगा, यमुना, गोदावरी, शिप्रा, नर्मदा में स्नान कर सकते हैं। अगर नदी में स्नान करना संभव न हो तो घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। वैशाख मास में दान करें ये चीजें तपते मौसम में प्यासे को पानी और भूखे को अन्न देना महादान कहा गया है। इस महीने में गर्मी काफी अधिक रहती है, इन दिनों में सार्वजनिक जगहों पर प्याऊ लगवाएं, ये संभव न हो तो किसी प्याऊ में मटके का दान करें। जरूरतमंद लोगों को अनाज, जूते-चप्पल, छाता, कपड़े, भोजन दान करें। वैशाख मास में इन बातों का रखें ध्यान वैशाख मास से जुड़े श्लोक मासानां च वैशाखस्य कृत्स्नं पुण्यफलं भवेत्। यत् कुर्याद् दिवसं यावत् तत् सर्वं निष्ठुरं स्मृतम्।। स्कंद पुराण में लिखा है कि वैशाख मास में किए गए एक दिन के पुण्यकर्म, अन्य मासों में किए गए पूरे महीने के पुण्य से भी ज्यादा श्रेष्ठ होते हैं। वैशाखे मासि स्नानं च दानं जप्यं च कीर्तनम्। यज्ज्ञं तीर्थानि सेवानं तत्सर्वं अक्षयं स्मृतम्।। पद्म पुराण के मुताबिक, वैशाख में स्नान, दान, जप, कीर्तन, तीर्थ दर्शन और सेवा करना अक्षय फल देने वाला होता है। वैशाखे मासि यो भक्त्या कुरुते विधिपूर्वकम्। स्नानं दानं तपः होमं स याति परमां गतिम्।। महाभारत के अनुशासन पर्व में लिखा है कि जो व्यक्ति विधिपूर्वक वैशाख मास में तप, दान, होम और स्नान करता है, वह परम गति को प्राप्त करता है।

हिन्दी पंचांग का दूसरा महीना वैशाख शुरू: पूजा-पाठ के साथ ही जल का दान करने की है परंपरा, वैशाख में नदी स्नान और तीर्थ दर्शन जरूर करें
परिचय
साल के दुसरे महीने वैशाख की शुरुआत हो चुकी है, जो भारतीय पंचांग में अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस महीने में पूजा-पाठ, जल दान और तीर्थ यात्रा करने का विशेष महत्व है। इस खास महिने में हर दिन कुछ न कुछ धार्मिक गतिविधियाँ होती हैं, और लोग अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करते हैं। हमारे अनुभवी लेखकों की टीम "खरचा पानी" द्वारा प्रस्तुत इस लेख में हम वैशाख मास की विशेषताओं और इसकी धार्मिक परंपराओं के बारे में चर्चा करेंगे।
वैशाख मास की विशेषताएँ
वैशाख महिना उन लोगों के लिए खास होता है जो धार्मिक गतिविधियों में रुचि रखते हैं। इस महीने में विशेष रूप से जल दान का महत्व है। मान्यता है कि इस महीने में जल का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, इस महीने में नदी स्नान और तीर्थ दर्शन के लिए भी शुभ माना जाता है।
जल दान: एक महत्वपूर्ण परंपरा
वैशाख मास में जल दान करने की परंपरा बहुत पुरानी है। यह मान्यता है कि इस महीने में जल का दान करने से निकट भविष्य में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। खासकर, इस समय गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है।
नदी स्नान का महत्व
वैशाख मास के दौरान जहां एक ओर पूजा-पाठ की बड़ी संख्या होती है, वहीं दूसरी ओर नदी स्नान भी एक महत्वपूर्ण गतिविधि है। पवित्र नदियों में स्नान कर के लोग अपने पापों से मुक्त होने और मानसिक शांति की प्राप्ति की कामना करते हैं।
तीर्थ दर्शन की विशेषता
इस महीने में तीर्थ स्थलों की यात्रा करने का विशेष महत्व होता है। तीर्थ स्थलों पर जाकर श्रद्धालु वहां के पवित्र जल का सेवन करते हैं और अपने जीवन में सकारात्मकता लाने की कामना करते हैं।
कैसे मनाना चाहिए वैशाख मास?
वैशाख मास को मनाने के लिए कुछ खास बातें ध्यान में रखी जानी चाहिए। इस महीने में प्रतिदिन प्रार्थना करना, जल दान करना और संभवतः तीर्थ स्थलों की यात्रा करना बेहद लाभदायक होता है। साथ ही, समाज में जल संरक्षण का संदेश भी फैलाना चाहिए।
निष्कर्ष
वैशाख का महीना केवल धार्मिक गतिविधियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाने का भी अवसर है। हमें चाहिए कि हम इस महीने में जल का दान करने और तीर्थ यात्रा करने की परंपरा को बनाए रखें। इसके अलावा, हमें जल का संरक्षण करते हुए समाज में इसका महत्व समझाना चाहिए। शुद्ध भक्ति और उचित कार्यों से हम अपने जीवन को अनंत पुण्य से भर सकते हैं।
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