मारुति-टाटा के बाद हुंडई और होंडा ने भी बढ़ाए दाम:कंपनियों ने 4% तक कीमत बढ़ाने का ऐलान किया, वजह मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट बढ़ना

मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स और किआ इंडिया के बाद हुंडई इंडिया और डोंडा कार्स ने भी अपनी गाड़ियों की कीमत बढ़ाने का ऐलान किया है। नई कीमतें अप्रैल-2025 से लागू हो जाएंगी। इससे पहले सभी कंपनियों ने तीन महीने पहले ही दिसंबर में अपनी कारों की कीमतों में बढ़ोतरी का ऐलान किया था। पैसेंजर व्हीकल्स की कीमतें बढ़ाने के पीछे सभी ऑटोमोबाइल कंपनियों ने लगभग एक जैसा ही कारण दिया है। कंपनियां इनपुट कॉस्ट और लॉजिस्टिक्स में बढ़ोतरी के चलते ऐसा फैसला ले रही हैं। कंपनियों के इस फैसले का सीधा असर ग्राहकों की जेब पर पड़ेगा, खासकर उन ग्राहकों पर जो नई कार खरीदने का विचार कर रहे हैं। हुंडई की गाड़ियां 3% तक महंगी होंगी साउथ कोरियन ऑटोमैकर हुंडई मोटर ने बुधवार (19 मार्च) को अप्रैल से गाड़ियों की कीमत में 3% तक की बढ़ोतरी की घोषणा की है। यह फैसला बढ़ती इनपुट लागत, कमोडिटी की बढ़ी हुई कीमतों और ऑपरेटिंग कॉस्ट को देखते हुए लिया गया है। कीमत में बढ़ोतरी की सीमा मॉडल्स और वैरिएंट के आधार पर अलग-अलग होगी। इससे पहले जनवरी में कंपनी ने अपनी गाड़ियां 25,000 रुपए तक महंगी कर दी थी। फरवरी में महिंद्रा ने हुंडई से ज्यादा कारें बेचीं हुंडई भारत में ग्रैंड i10 निओस, i20, ऑरा, वरना, एक्सटर, वेन्यू, क्रेटा, अल्काजार, टक्सन, क्रेटा, क्रेटा इलेक्ट्रिक और आयोनिक-5 जैसे मॉडल बेचती है। हुंडई फरवरी में मंथली सेल्स के मामले में मारुति सुजुकी के बाद दूसरे स्थान से फिसलकर तीसरे स्थान पर पहुंच गई। पिछले महीने महिंद्रा एंड महिंद्रा दूसरे नंबर पर रहा। हुंडई ने फरवरी महीने में भारतीय बाजार में 47,727 गाड़ियां बेचीं, जो फरवरी-2024 में बेची गई 50,201 यूनिट की तुलना में 4.93% की गिरावट है। होंडा के सभी मॉडल 3% तक महंगे होंगे जापानी कंपनी होंडा ने बुधवार (19 मार्च) भारतीय बाजार में बिकने वाले सभी मॉडल्स की कीमत बढ़ाने का ऐलान किया है। अभी तक होंडा ने बढ़ोतरी की मात्रा का खुलासा नहीं किया है। संभावना है कि अन्य कंपनियों की तरह होंडा भी 3% तक अपने मॉडल्स की कीमत बढ़ा सकती है। इससे पहले कंपनी ने जनवरी में अपनी कारों की कीमत में 2% की बढ़ोतरी की थी। कंपनी ने बताया कि बढ़ती इनपुट कॉस्ट और ऑपरेटिंग कॉस्ट के कारण अप्रैल से सभी मॉडल्स की कीमतें बढ़ाई जाएंगी। कारों की कीमतों में बढ़ोतरी मॉडल और वैरिएंट के आधार पर अलग-अलग होगी। टाटा मोटर्स 3 महीने में दूसरी बार बढ़ाए दाम टाटा मोटर्स ने अप्रैल-2025 से अपनी पैसेंजर कार की कीमत बढ़ाने की घोषणा की है। कंपनी अपने पोर्टफोलियो में शामिल सभी पैसेंजर व्हीकल (पेट्रोल, डीजल और इलेक्ट्रिक) की प्राइस बढ़ाएगी। हालांकि टाटा ने यह नहीं बताया है कि कितने प्रतिशत दाम बढ़ाए जाएंगे। कंपनी 3 महीने में दूसरी बार कारों के दाम बढ़ाने जा रही है, इससे पहले इसी साल जनवरी में अपने पैसेंजर व्हीकल्स की कीमतों में 3% तक की बढ़ोतरी की गई थी। टाटा मोटर्स ने मंगलवार को एक्सचेंज फाइलिंग में बताया कि, मैन्युफैक्चरिंग और इनपुट कॉस्ट बढ़ने की वजह से कीमतें बढ़ाने का भार डालने का फैसला लिया है। कंपनी ने यह भी बताया कि, मॉडल और वैरिएंट के हिसाब से कीमत में बढ़ोतरी अलग-अलग होगी। इससे पहले टाटा मोटर्स ने सोमवार को अप्रैल 2025 से कॉमर्शियल व्हीकल्स के दाम 2% तक बढ़ाने का ऐलान किया था। टाटा मोटर्स की योजना इस साल कई नई कार लॉन्च करने की है, जिनमें हैरियर का ईवी वर्जन और सिएरा की फिर से वापसी शामिल है। टाटा सिएरा का ICE और EV दोनों अवतार पेश किए जाएंगे। कंपनी अपनी कुछ मौजूदा कार जैसे पंच, टियागो और टिगोर के फेसलिफ्ट वर्जन भी साल के आखिर तक पेश कर सकती है। किआ की कारें 3% तक महंगी होंगी साउथ कोरियन ऑटोमोबाइल कंपनी किआ मोटर्स इंडिया ने भी अपनी कारों के दाम बढ़ाने का ऐलान किया है। कंपनी ने बताया कि सभी कार की कीमतों में 3% का इजाफा किया जाएगा। नई कीमतें अगले महीने यानी की अप्रैल 2025 से लागू होंगी। ऑटोमेकर ने बताया कि सप्लाई से जुड़े खर्च भी बढ़ गए हैं। कमोडिटी कीमतों में बढ़ोतरी और सप्लाई चेन की लागत बढ़ने से किआ ने अपनी सभी कार की कीमतों को बढ़ाने का फैसला लिया है। कंपनी ने बताया कि शिपिंग, ट्रांसपोर्टेशन और लॉजिस्टिक्स जैसे खर्चे बढ़ गए हैं। इन खर्चों में फैक्ट्री में कलपुर्जे और पार्ट्स पहुंचाने और फिर तैयार कार डीलरशिप तक पहुंचाने की कॉस्ट शामिल है। किआ ने स्टील, एल्युमीनियम और प्लास्टिक की लागत में बढ़ोतरी को भी कारों के दाम में बढ़ोतरी की वजह बताया है। मारुति सुजुकी की गाड़ियां 4% महंगी होंगी मारुति सुजुकी ने सोमवार (17 मार्च) को कहा था कि, रॉ मटेरियल की बढ़ती लागत और ऑपरेशनल कॉस्ट बढ़ने के कारण अप्रैल-2025 से कारों की कीमतें बढ़ाई जाएंगी। कीमतों में बढ़ोतरी 4% तक होगी और यह मॉडल के आधार पर अलग-अलग होगी। इससे पहले 1 फरवरी 2025 से मारुति ने कार की कीमतों में 32,500 रुपए तक इजाफा किया था। वहीं जनवरी में भी कंपनी ने अपने सभी मॉडल्स पर 4% तक की बढ़ोतरी की थी। तब भी मारुति ने कीमत बढ़ाने की वजह रॉ मटेरियल महंगा होना बताया था।

Mar 19, 2025 - 23:34
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मारुति-टाटा के बाद हुंडई और होंडा ने भी बढ़ाए दाम:कंपनियों ने 4% तक कीमत बढ़ाने का ऐलान किया, वजह मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट बढ़ना

मारुति-टाटा के बाद हुंडई और होंडा ने भी बढ़ाए दाम: कंपनियों ने 4% तक कीमत बढ़ाने का ऐलान किया, वजह मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट बढ़ना

खर्चा पानी

लेखिका: स्नेहा शर्मा, नेता नागरी टीम

परिचय

वाहन उद्योग में हाल ही में हुए बदलावों ने उपभोक्ताओं और बाजारशास्त्रियों के बीच हलचल मचा दी है। मारुति और टाटा के बाद, अब हुंडई और होंडा जैसी बड़ी कंपनियों ने भी अपने वाहनों की कीमतों में 4% तक की वृद्धि का ऐलान किया है। इसके पीछे प्रमुख कारण है मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट में वृद्धि। इस लेख में हम इस बढ़ोतरी के पीछे की वजहों, संभावित प्रभावों और उपभोक्ताओं की प्रतिक्रिया पर गहराई से नज़र डालेंगे।

क्या है मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट में वृद्धि?

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे माल की कीमतों में उछाल आने के कारण वाहन निर्माता कंपनियों को उत्पादन की लागत बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ा है। एल्युमिनियम, स्टील और प्लास्टिक की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं, जिसका सीधा असर वाहनों की निर्माण प्रक्रिया पर पड़ा है। जैसे-जैसे विश्व अर्थव्यवस्था में बदलाव आ रहा है, इसी तरह वाहन निर्माताओं का भी अपनी कीमतों को समायोजित करना अनिवार्य हो गया है।

हुंडई और होंडा की कीमतों में वृद्धि

हुंडई ने अपने विभिन्न मॉडलों के दाम में 4% की वृद्धि की है, जिसमें प्रमुख मॉडल जैसे कि क्रेटा और वरना शामिल हैं। वहीं, होंडा ने भी अपनी मिड-सेगमेंट कारों की कीमतों में इसी रेंज में बढ़ोतरी की है। इन कंपनियों का कहना है कि यह निर्णय हमेशा की तरह ग्राहकों की संतुष्टि को ध्यान में रखते हुए किया गया है, लेकिन बाजार की मजबूरियों के चलते उन्हें यह कदम उठाना पड़ा।

उपभोक्ताओं पर प्रभाव

वाहनों की कीमतों में बढ़ोतरी का सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। यह कई संभावनाएं प्रस्तुत करता है, जैसे कि कम बिकने वाले वाहनों की बिक्री में गिरावट, और नए खरीदारों के लिए विकल्पों की सीमितता। हालांकि, कंपनियों का यह भी मानना है कि इससे पूर्व में खरीदे गए वाहनों की रीसेल वैल्यू में भी वृद्धि हो सकती है।

निष्कर्ष

इस स्थिति में यह स्पष्ट है कि वाहन निर्माता कंपनियों को अपने पक्ष में घटती मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने होंगे। ऐसे में उपभोक्ताओं को कीमतों में वृद्धि का सामना करना पड़ेगा, जिससे आने वाले समय में प्रतिस्पर्धा भी बढ़ने की संभावना है। यदि आप इस विषय में और जानना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए kharchaapani.com पर भ्रमण करें।

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