PM के प्रिंसिपल सेक्रेटरी बनाए गए शक्तिकांत दास:6 साल रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे, दिसंबर में रिटायर हुए, 75 दिन में PMO पहुंचे
रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास को प्रधानमंत्री मोदी का प्रिंसिपल सेक्रेटरी-2 नियुक्त किया गया है। कैबिनेट की अपॉइंटमेंट कमेटी ने शनिवार को यह नियुक्ति की है। कमेटी के सेक्रेटरी मनीष सक्सेना ने नियुक्ति की जानकारी दी। शक्तिकांत दास RBI गवर्नर के पद से 10 दिसंबर को रिटायर हुए थे। 22 फरवरी को उन्हें PM का प्रिंसिपल सेक्रेटरी नियुक्त किया गया है। यानी रिटायरमेंट से नियुक्ति के 75वें दिन ही वे प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में अहम पद पर पहुंच गए। फिलहाल पीके मिश्रा प्रधानमंत्री मोदी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी के नंबर वन पॉजिशन पर हैं। शक्तिकांत दास नंबर 2 होंगे। दास तमिलनाडु कैडर के 1980 बैच के IAS अधिकारी रह चुके हैं। वहीं मिश्रा गुजरात कैडर के 1972 बैच के रिटायर अधिकारी हैं। दास भारतीय रिजर्व बैंक के 25वें गवर्नर के अलावा भारत के जी20 शेरपा और 15वें वित्त आयोग के सदस्य के रूप में भी काम कर चुके हैं। उन्होंने अपने 42 साल के करियर में वित्त, निवेश और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में काम किया है। दास की तरफ से किए गए अहम काम... 1. लगातार दो बार दुनिया के टॉप-बैंकर चुने गए शक्तिकांत दास 2023 और 2024 में लगातार दो बार दुनिया के टॉप सेंट्रल बैंकर चुने गए। शक्तिकांत दास को सेंट्रल बैंक रिपोर्ट कार्ड 2023 और 2024 में A+ ग्रेड मिला। यह अवॉर्ड अमेरिका के वॉशिंगटन D.C. में ग्लोबल फाइनेंस देती है। शक्तिकांत दास को महंगाई पर कंट्रोल, इकोनॉमिक ग्रोथ, करेंसी में स्टेबिलिटी और ब्याज दरों पर नियंत्रण के लिए यह सम्मान दिया गया। 2. कोरोना महामारी और युद्ध के बीच इकोनॉमी को स्टेबल रखा RBI गवर्नर के तौर पर दास ने भारत और दुनिया के लिए सबसे अस्थिर दौर कोरोना महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध और इजराइल-हमास संघर्ष जैसे संकटों में भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई। कोरोना के दौरान दास के नेतृत्व में RBI ने लिक्विडिटी और एसेट क्वालिटी को बनाए रखने के लिए नए और पुराने आर्थिक नीतियों और उपायों को लागू किया। 3. यस बैंक और लक्ष्मी विलास बैंक को कोलैप्स होने से बचाया दास ने जिन चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया, उनमें ILFS संकट शामिल था। इसके चलते नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFC) को काफी नुकसान हुआ था। उन्होंने यस बैंक और लक्ष्मी विलास बैंक को कोलैप्स होने से बचाया। 4. ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए रेपो रेट में जरूरी बदलाव किया 2018 में जब दास ने कार्यभार संभाला था तब रेपो रेट 6.50% पर थी। उनके नेतृत्व में RBI ने इकोनॉमिक ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए इसे घटाकर 4% पर ला दिया। बाद में महंगाई को कंट्रोल करने के लिए इसे फिर से बढ़ाकर 6.50% कर दिया। 5. बैंकों का NPA घटाने और मुनाफा बढ़ाने में योगदान दास के कार्यकाल के दौरान देश के लिस्टेड बैंको का नॉन-परफॉर्मिंग एसेट यानी NPA सितंबर 2024 तक 2.59% के निचले स्तर पर आ गया, जबकि दिसंबर 2018 में यह 10.38% था। इस दौरान बैंकों की प्रॉफिटेबिलिटी में भी उछाल आया और बैंकों ने वित्त वर्ष 2023 में 2.63 लाख करोड़ रुपए का मुनाफा दर्ज किया, जबकि वित्त वर्ष 2018 में बैंकों को 32,400 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। 1980 बैच के IAS अधिकारी हैं शक्तिकांत दास शक्तिकांत दास 1980 बैच के सिविल सेवा अधिकारी (IAS) अधिकारी हैं। वे तमिलनाडु कैडर के अधिकारी हैं। 2017 मई तक वे इकोनॉमिक अफेयर्स के सेक्रेटरी थे। वे देश के 25वें गवर्नर बने थे। नवंबर 2016 में जब नोटबंदी हुई थी, तब भी दास ही मुख्य मोर्चे पर थे। दास विभिन्न पदों पर रहे हैं। उन्होंने 15वें फाइनेंस कमीशन में भी सदस्य के रूप में काम किया था। भारत की ओर से ब्रिक्स, इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड और सार्क (SAARC) में प्रतिनिधित्व किया है। वे दिल्ली के स्टीफन कॉलेज से पोस्ट ग्रेजुएट हैं। ------------------------------------------ ये खबर भी पढ़ें... संजय मल्होत्रा होंगे RBI के नए गवर्नर: 11 दिसंबर को पदभार संभालेंगे, 6 साल से गवर्नर शक्तिकांत दास की जगह लेंगे सरकार ने रेवेन्यू सेक्रेटरी संजय मल्होत्रा को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) का नया गवर्नर नियुक्त किया है। वे RBI के 26वें गवर्नर होंगे और मौजूदा गवर्नर शक्तिकांत दास की जगह लेंगे। दास का कार्यकाल 10 दिसंबर 2024 को पूरा हो रहा है। 11 दिसंबर से मल्होत्रा गवर्नर का पद संभालेंगे। कैबिनेट ने आज 9 दिसंबर को संजय मल्होत्रा के अपॉइंटमेंट को मंजूरी दी है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...

PM के प्रिंसिपल सेक्रेटरी बनाए गए शक्तिकांत दास: 6 साल रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे, दिसंबर में रिटायर हुए, 75 दिन में PMO पहुंचे
लेखिका: सुषमा शर्मा, टीम नेटानागरी
खर्चा पानी
शक्तिकांत दास की नई जिम्मेदारी
भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है, जब शक्तिकांत दास को प्रधानमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी के रूप में नियुक्त किया गया है। शक्तिकांत दास, जो पहले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर के रूप में छह साल तक सेवा निभा चुके हैं, अब पीएमओ में अपनी नई भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। उनका कार्यकाल दिसंबर में समाप्त हुआ और इसके बाद मात्र 75 दिन में उन्होंने पीएमओ तक पहुँच बना ली।
रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में योगदान
दास ने रिजर्व बैंक में अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। उन्होंने डिमोनेटाइजेशन और जीएसटी के प्रभाव का सामना किया और भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने के लिए कई उपाय किए। उनकी नीतियों ने वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देने में मदद की। उनके योगदान को भारतीय जनता ने हमेशा सराहा है।
प्रिंसिपल सेक्रेटरी के रूप में क्या अपेक्षित है?
अब जब शक्तिकांत दास प्रधानमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी बने हैं, उनसे कई उमीदें जुड़ी हुई हैं। उनकी आर्थिक समझ, नीति निर्माण और समग्र प्रशासन में अनुभव उन्हें इस महत्वपूर्ण भूमिका में सफलता दिलाने में मदद कर सकता है। उम्मीद की जा रही है कि वे सरकार की योजनाओं और विकास परियोजनाओं को सुचारू रूप से लागू करने में मदद करेंगे।
खर्चा पानी: आम लोगों पर प्रभाव
शक्तिकांत दास की नई भूमिका का असर आम जनजीवन पर भी पड़ेगा। उनकी नीति निर्धारण की योग्यता से भारतीय अर्थव्यवस्था में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकते हैं। अगर वे व्यवस्थित तरीके से काम करते हैं, तो यह महंगाई, बेरोजगारी और अन्य आर्थिक समस्याओं पर काबू पाने में सहायक हो सकता है।
निष्कर्ष
शक्तिकांत दास की शैक्षणिक पृष्ठभूमि और कार्य अनुभव उन्हें इस नई भूमिका के लिए उपयुक्त बनाते हैं। उनका पदभार संभालना भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है। आने वाले समय में हमें उनके कार्यों का और भी गहनता से अवलोकन करने की आवश्यकता है। ऐसे समय में, जब भारतीय अर्थव्यवस्था चुनौतियों का सामना कर रही है, शक्तिकांत दास की व्यावहारिक नीतियों से जनता को राहत मिल सकती है।
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