शरद पवार ने शिंदे का सम्मान किया, उद्धव गुट नाराज:राउत बोले-शिंदे ने ही शिवसेना को तोड़ा, पवार को कार्यक्रम में नहीं जाना चाहिए था

NCP (शरद गुट) के अध्यक्ष शरद पवार ने दिल्ली में महाराष्ट्र के डिप्टी CM एकनाथ शिंदे को सम्मानित किया। इस पर महाराष्ट्र की राजनीति में हंगामा हो गया है। महाविकास अघाड़ी में सहयोगी पार्टी शिवसेना (UBT) ने नाराजगी जताई है। राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि शिंदे ने ही अमित शाह की मदद से शिवसेना को तोड़ा था। उनका सम्मान करना भाजपा नेता का सम्मान करने के जैसा है। जिसे हम महाराष्ट्र का दुश्मन समझते हैं उसे ऐसा सम्मान देना, महाराष्ट्र के गौरव पर आघात है। राउत ने कहा कि शरद पवार को इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होना चाहिए क्योंकि शिंदे ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए की सरकार गिरा दी थी। उन्होंने सवाल किया- क्या आप जानते हैं कि यह अवार्ड किसने दिया? राजनीतिक नेताओं को दिए जाने वाले ऐसे अवार्ड या तो खरीदे या बेचे जाते हैं। NCP बोली- यह राजनीतिक कार्यक्रम नहीं शरद पवार गुट की पार्टी NCP ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह राजनीति नहीं बल्कि साहित्य का कार्यक्रम था। वहीं इस मुद्दे पर भाजपा ने कहा कि शिंदे को सम्मानित कर शरद पवार ने यह स्वीकार किया है कि वह उद्धव ठाकरे से ज्यादा अच्छे मुख्यमंत्री थे। शरद पवार की पार्टी ने मंगलवार को शिंदे को 'महादजी शिंदे राष्ट्र गौरव पुरस्कार' से सम्मानित किया था। यह सम्मान 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन में दिया गया था। NCP ने कहा- पवार ने स्टेट्समैनशिप दिखाई NCP (SP) सांसद अमोल कोल्हे ने कहा कि राउत अपनी निजी राय जाहिर कर सकते हैं। यह अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का हिस्सा था। उन्होंने स्टेट्समैनशिप को दिखाया है। हर चीज में राजनीति को नहीं लानी चाहिए। मुझे नहीं लगता कि इसमें कुछ गलत है। भाजपा बोली- पवार ने शिंदे के काम को स्वीकारा भाजपा नेता चंद्रशेखर बावनकुले ने राउत के बयान पर कहा कि NCP (शरद गुट) अध्यक्ष एक तरह से यह जाहिर कर रहे थे कि उद्धव ठाकरे की तुलना में एकनाथ शिंदे ने बतौर CM अच्छा काम किया है। पवार ने स्वीकारा है कि शिंदे अच्छे CM थे। भाजपा नेता ने साथ ही दावा किया कि पवार ने अपनी बायोग्राफी में लिखा है कि उद्धव ठाकरे ने 2019 से 2022 के बीच केवल 2 बार मंत्रालय गए थे जबकि शिंदे 22 घंटे काम करते थे। बावनकुले ने कहा कि शरद पवार ने महसूस किया कि उद्धव ने राज्य को नुकसान पहुंचाया है।

Feb 12, 2025 - 17:34
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शरद पवार ने शिंदे का सम्मान किया, उद्धव गुट नाराज:राउत बोले-शिंदे ने ही शिवसेना को तोड़ा, पवार को कार्यक्रम में नहीं जाना चाहिए था

शरद पवार ने शिंदे का सम्मान किया, उद्धव गुट नाराज: राउत बोले- शिंदे ने ही शिवसेना को तोड़ा, पवार को कार्यक्रम में नहीं जाना चाहिए था

Kharchaa Pani

लेखक: सुमन शर्मा, प्रिया सिंह, टीम नेतानागरी

परिचय

हाल ही में, महाराष्ट्र की राजनीतिक दुनिया में एक नया मोड़ आया है जब शरद पवार ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के सम्मान में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लिया। यह घटना उद्धव ठाकरे समर्थक गुट के लिए एक सियासी झटका बनी है, जिसके नेता संजय राउत ने इस पर तीखी टिप्पणी की है। आइए जानते हैं इस घटना के पीछे की राजनीति और इसके संभावित प्रभाव क्या हो सकते हैं।

पवार का सम्मान समारोह

शरद पवार ने शिंदे के सम्मेलन में भाग लिया और उन्हें सम्मानित किया। पवार का यह कदम सवाल खड़ा करता है कि क्या उन्होंने अपने राजनीतिक संबंधों से जुड़े समीकरणों का नया आंकलन किया है। पवार की इस निर्णय ने महाराष्ट्र में राजनीतिक जंग को और भड़काया है। एकनाथ शिंदे एक समय में उद्धव ठाकरे के करीबी माने जाते थे, लेकिन अब उनके बीच की दूरी बढ़ गई है।

उद्धव गुट की प्रतिक्रिया

उद्धव ठाकरे गुट ने पवार के इस निर्णय की आलोचना करते हुए कहा कि शिंदे ने खुद शिवसेना को तोड़ा और उन्हें राजनीति में ध्यान नहीं देना चाहिए था। संजय राउत ने कहा, "शरद पवार ने इस कार्यक्रम में जाकर एक नकारात्मक संदेश दिया है।" उन्होंने पवार से यह भी पूछा कि क्या वह अपनी राजनीतिक ईमानदारी को बनाए रखना चाहते हैं या नहीं।

राउत का बयान

राउत ने कहा, "शिंदे ने ही शिवसेना को कमजोर किया है और पवार को उनके साथ जाकर एक तरह का समर्थन नहीं देना चाहिए था। यह एक गलत संकेत है।" उनका मानना है कि पवार के इस कदम से आखिरकार दलित राजनीति में और दरार आएगी, जो वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित कर सकती है।

राजनीतिक व्याख्या

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शरद पवार का कदम 2024 के आम चुनावों के संदर्भ में एक रणनीतिक निर्णय हो सकता है। पवार का लक्ष्य हो सकता है कि वह शिंदे गुट के साथ एक बेहतर समझौता करें ताकि वे भविष्य में अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत कर सकें। यह देखा जाना बाकी है कि क्या उद्धव ठाकरे और शरद पवार के बीच की यह खाई भरी जा सकती है।

निष्कर्ष

फिलहाल, महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मची हुई है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, यह देखना दिलचस्प होगा कि उद्धव गुट और शिंदे गुट कौन सा कदम उठाते हैं और पवार की भूमिका इस राजनीतिक द्वंद्व में किस तरह की होती है। यह घटनाक्रम निश्चित रूप से महाराष्ट्र की राजनीति को और भी रोचक बना देगा।

अंत में, हम कह सकते हैं कि महाराष्ट्र की राजनीति में जो कुछ भी हो रहा है, वह न केवल महाराष्ट्र बल्कि सम्पूर्ण भारत की राजनीति को प्रभावित कर सकता है।

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