रक्षा खरीद नीति बदलेगी, सुधार के लिए कमेटी गठित:कई बार ये प्रोसेस 15 से 20 साल तक खिंच जाती है, इसका असर टेक्नोलॉजी पर
देश के सैन्य बलों का आधुनिकीकरण तेज करने के लिए रक्षा खरीद नीति में बड़े बदलाव की तैयारी है। अब से सैन्य सामान की खरीद फास्ट ट्रैक की जाएगी। रक्षा खरीद नीति (DPP) में सुधार के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कमेटी का गठन किया है। अभी हथियार व सैन्य प्लेटफॉर्म की खरीद में 8 चरण होते हैं। सबसे पहले आकलन करते हैं कि हथियार बाहर से क्यों खरीदना है। फिर खरीद के लिए सूचना आमंत्रित करना, प्रस्ताव मंगाना, टेक्निकल ट्रायल, फील्ड ट्रायल, कॉमर्शियल दावे मंगाना, सबसे कम दाम वाला वेंडर चुनना जैसी प्रक्रियाएं हैं। इस पूरे काम में कम से कम 8 साल लग जाते हैं। कमेटी देखेगी कि यह प्रक्रिया एक-दो साल में कैसे पूरी हो सकती है।डीपीपी में परिवर्तन की मांग इसलिए जोर पकड़ रही है, क्योंकि सेना, नौसेना और वायु सेना को समय पर साजो-सामान नहीं मिल रहे। खरीद प्रक्रिया कई बार 15 से 20 साल तक खिंच जाती है। जो सामान खरीदने की प्रक्रिया आज शुरू हुई है, 10 साल में उसकी टेक्नोलॉजी पुरानी पड़ जाती है। 5 साल में करीब 9 लाख करोड़ रु. का सामान खरीदना इस साल सैन्य खरीद के लिए तीनों सेनाओं का बजट करीब एक लाख 80 हजार करोड़ रु. है। 5 साल में करीब 9 लाख करोड़ रु. का सामान खरीदना है। कमेटी तय करेगी कि कितना बजट स्वदेशी हथियारों के लिए रखें। डीपीपी में आखिरी बदलाव 5 साल पहले हुए थे। उसके बाद भी कई प्रोजेक्ट लटके हैं। मेक इन इंडिया पर नीति भी नए सिरे से तय की जाएगी। बडे़ रक्षा सौदे, जो देरी का शिकार हुए 39 हजार 125 करोड़ के हथियार और उपकरण रक्षा मंत्रालय ने साल 2024 में पांच सैन्य सौदों पर दस्तखत किए थे। नौसेना और वायुसेना के लिए ब्रह्मोस मिसाइल, रडार समेत 39 हजार 125 करोड़ के हथियार और उपकरण खरीदे जाने हैं। पांच में से एक रक्षा सौदा मिग-29 विमानों के एयरो इंजन की खरीद के लिए हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ किया गया था। क्लोज-इन हथियार प्रणाली (CIWS) और अत्याधुनिक रडार की खरीद के लिए लार्सन एंड टूब्रो लिमिटेड से दो करार हुए थे। इसके अलावा, ब्रह्मोस मिसाइलों की खरीद के लिए ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (BAPL) के साथ दो सौदों को फाइनल किया गया था। पांच कॉन्ट्रैक्ट दुश्मनों के लिए आफत क्यों... ............................. यह खबर भी पढ़ें... आर्मी चीफ की राहुल को नसीहत: बोले- सेना को राजनीति में न घसीटें; राहुल गांधी ने उनके हवाले से कहा था- चीन ने घुसपैठ की आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने राहुल गांधी को नसीहत देते हुए उन्होंने कहा कि सेना को राजनीति में नहीं घसीटना चाहिए। राहुल गांधी ने कहा था कि सेना प्रमुख कह चुके हैं कि चीन ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की है। हालांकि राहुल के बयान का रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने खंडन किया था। आर्मी चीफ से न्यूज एजेंसी ANI के पॉडकास्ट में राहुल के इसी बयान पर सवाल किया गया था। पूरी खबर पढ़ें...

रक्षा खरीद नीति बदलेगी, सुधार के लिए कमेटी गठित: कई बार ये प्रोसेस 15 से 20 साल तक खिंच जाती है, इसका असर टेक्नोलॉजी पर
Kharchaa Pani
लेखक: नेहा शर्मा, टीम नेटानागरी
परिचय
भारत की रक्षा खरीद नीति में सुधार के लिए हाल ही में एक कमेटी का गठन किया गया है। यह कदम उन लंबी प्रक्रियाओं को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है, जो कभी-कभी 15 से 20 साल तक खिंच जाती हैं। ऐसी स्थितियों का नकारात्मक प्रभाव न केवल रक्षा क्षमता बल्कि टेक्नोलॉजी पर भी पड़ता है।
कमेटी का गठन और उसके उद्देश्यों
सरकार ने रक्षा खरीद प्रक्रिया में आमूल-चूल बदलाव लाने का निर्णय लिया है। इस कमेटी का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होगा कि खरीद प्रक्रिया को सरल और तेज बनाया जाए। कमेटी के सदस्यों में सेना के विशेषज्ञ, उद्योग के प्रतिनिधि और तकनीकी जानकार शामिल हैं। उनका मुख्य ध्यान यह सुनिश्चित करना होगा कि भारत की सुरक्षा जरूरतों को प्राथमिकता दी जाए और नवीनतम तकनीकियों का समावेश किया जाए।
लंबी प्रक्रियाओं का प्रभाव
बात करें लंबी प्रक्रियाओं की, तो यह न केवल समय बर्बाद करती हैं, बल्कि कई बार बोर्ड में रखे जाने वाले प्रोजेक्ट भी पुरानी तकनीक पर निर्भर हो जाते हैं। जब तक कोई नई तकनीक या उपकरण केंद्र सरकार के माध्यम से स्वीकृत होते हैं, तब तक वैश्विक तकनीक में काफी बदलाव हो चुका होता है। इससे भारत की सुरक्षा रणनीति कमजोर हो सकती है।
तकनीकी अपडेट की अहमियत
टेक्नोलॉजी में तेजी से परिवर्तन हो रहा है। जब रक्षा खरीद प्रक्रिया में देरी होती है, तो यह नई तकनीकियों को अपनाने में रुकावट डालती है। नई रक्षा सामग्रियों की खरीद का समय पर कार्यान्वयन अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि भारतीय सेना अपनी क्षमताओं को बढ़ा सके और सही समय पर नवीनतम उपकरणों का समावेश कर सके।
भविष्य की दिशा
रक्षा खरीद नीति में सुधार के बाद, उम्मीद है कि भारत तकनीकी विकास में तेजी लाने में सक्षम होगा। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि इस प्रक्रिया को सही दिशा में आगे बढ़ाया गया तो भारत एक मजबूत सैन्य शक्ति बन सकता है। इसके अलावा, नई नीति का प्रभाव न केवल सुरक्षा क्षेत्र में, बल्कि घरेलू उद्योग को भी बढ़ावा देने का कार्य करेगा।
निष्कर्ष
वर्तमान में रक्षा खरीद प्रक्रिया में सुधार करने के लिए उठाए गए कदम यह दर्शाते हैं कि सरकार भविष्य को ध्यान में रखते हुए कदम उठा रही है। लंबे समय तक खिंचती प्रक्रियाओं की समस्याओं को समझते हुए, यह नई कमेटी भारत की रक्षा खरीद को प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रही है। हमें उम्मीद है कि यह प्रक्रिया न केवल समयबद्ध होगी, बल्कि तकनीकी दृष्टिकोन से भी देश को मजबूत बनाएगी।
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