ट्रम्प बोले- मेरे दोस्त मोदी को 182 करोड़ भेजे गए:4 दिन में चौथी बार भारतीय चुनाव में अमेरिकी फंडिंग पर सवाल; बांग्लादेश का भी जिक्र
ट्रम्प ने चार दिन में चौथी बार भारत चुनाव में अमेरिकी फंडिंग पर सवाल उठाया है। इस बार उन्होंने कहा कि मेरे दोस्त मोदी को 182 करोड़ रुपए भेजे गए हैं। ये दूसरी बार है जब ट्रम्प ने इस मामले में मोदी का नाम लिया है। ट्रम्प ने शुक्रवार को कहा कि ये फंड भारत में वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए दिए गए। और हमारा क्या? हमें भी अमेरिका में वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए पैसा चाहिए। इसके अलावा ट्रम्प ने बांग्लादेश में भेजे गए 250 करोड़ रुपए का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में राजनीतिक माहौल को मजबूत करने के लिए ये फंड एक ऐसी संस्था को भेजा गया, जिसका नाम भी किसी ने नहीं सुना। ट्रम्प ने कहा, ऐसी संस्था को इतना पैसा मिला जहां सिर्फ दो लोग काम करते हैं। वो यहां-वहां से 10-20 हजार रुपए जुटा रहे हैं, और अचानक उन्हें अमेरिकी सरकार से 250 करोड़ रुपए मिल गए। मुझे लगता है कि वे दोनों अमीर बनने से बहुत खुश होंगे। जल्दी ही उनकी तस्वीर किसी बिजनेस मैगजीन में छापी जाएगी। ट्रम्प के पिछले तीन बयान... 1. ट्रम्प बोले- ये फंडिंग रिश्वतखोरी करने के लिए थी गुरुवार को ट्रम्प ने कहा कि मैं हैरान हूं, इतना पैसा पाकर भारत क्या सोचता होगा। ये एक किक-बैक यानी रिश्वतखोरी की स्कीम है। जो लोग ये पैसा भारत को भेज रहे हैं, उसका कुछ हिस्सा लौटकर उन्हीं लोगों के पास आ रहा है। ट्रम्प ने कहा कि मैं भारत में वोटर टर्नआउट की परवाह क्यों करूं? हमारी अपनी परेशानियां कम नहीं हैं। हमें अपने टर्नआउट पर ध्यान देना चाहिए। हमने ये सारी स्कीमें बंद कर दी हैं। अब हम सही रास्ते पर हैं। 2. बाइडेन भारत में किसी और को जिताना चाहते थे बुधवार को ट्रम्प ने पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन पर भारत के आम चुनाव में दखल देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा- बाइडेन का प्लान भारत में किसी अन्य नेता (नरेंद्र मोदी के अलावा) को चुनाव जिताने का था। इसके लिए बाइडेन प्रशासन ने भारत में वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए 182 करोड़ रुपए का फंड मुहैया कराया। ये बड़ा खुलासा है, हम इस बारे में भारत सरकार को बताएंगे। मियामी में फ्यूचर इंवेस्टमेंट इनिशिएटिव (FII) समिट में उन्होंने कहा, 'यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) ने वोटर टर्नआउट बढ़ाने के नाम पर भारत को 182 करोड़ रुपए का फंड दिया। अमेरिकी चुनाव में रूस ने सिर्फ 2 हजार डॉलर (1.73 लाख रुपए) का इंटरनेट विज्ञापन दिया तो मुद्दा बना था, जबकि अमेरिका भारत को बड़ी रकम दे रहा था। 3. मोदी के लिए बहुत सम्मान पर 182 करोड़ क्यों दे रहे मंगलवार को मीडिया से ट्रम्प ने कहा कि हम भारत को 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर क्यों दे रहे हैं? उनके पास बहुत ज्यादा पैसा है। भारत दुनिया के सबसे अधिक टैरिफ लगाने वाले देशों में से एक हैं, खासतौर पर हमारे लिए। मैं भारत और उनके PM का सम्मान करता हूं, पर 182 करोड़ क्यों? भारतीय विदेश मंत्रालय बोला- ये जानकारी परेशान करने वाली भारतीय चुनाव में दखल वाले ट्रम्प के बयान पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को कहा कि ये जानकारी काफी परेशान करने वाली है। इससे भारतीय चुनाव में विदेश दखल को लेकर चिंता बढ़ी है। उन्होंने कहा कि हम इस मुद्दे की जांच कर रहे हैं। इस समय इस मामले में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। उम्मीद है जल्द ही हमें इस पर कोई अपडेट मिलेगा। अमेरिका से पैसा भारत आने के 4 स्टेप... 1. पैसा कहां से आया अमेरिकी एजेंसी USAID की तरफ से भारत को दिया गया फंड 4000 करोड़ रुपए के अंतरराष्ट्रीय फंड का हिस्सा था। 2. पैसा भारत तक कैसे पहुंचा यह पैसा कंसोर्टियम फॉर इलेक्शंस एंड पॉलिटिकल प्रोसेस स्ट्रेंथनिंग (CEPPS) नाम की संस्था को दिया गया था। इस संस्था के तीन NGO, IFES (चुनाव जागरूकता के लिए), NDI (लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए) व IRI (नागरिक भागीदारी बढ़ाने के लिए) हैं। CEPPS ने यह पैसा एशिया में काम करने वाले एशियन नेटवर्क फॉर फ्री इलेक्शन (ANFREL) नाम के NGO को दिया। वहां से भारत में IFES को मिला। 3. भारत में पैसा किसे मिला इसके बाद यह पैसा मतदाता जागरूकता से जुड़े NGO, सिविल सोसाइटी समूह, राजनीतिक पार्टियों को दिया गया। इनके नाम सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। 4. पैसा कैसे खर्च हुआ इन पैसों से इस्तेमाल रैलियां, डोर-टु-डोर कैंपेन और वर्कशॉप चलाए गए। कुछ खास इलाकों में मतदान को बढ़ाने के लिए भी खर्च किया गया। मीडिया प्रचार और केंद्र सरकार के खिलाफ नरेटिव बढ़ाने के लिए प्रचार किया गया। वॉलंटियर्स ट्रेनिंग, रहने-खाने के साथ ट्रैवलिंग खर्च भी दिया गया। ----------------------------------------------- ट्रम्प से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... भाजपा बोली- राहुल गांधी एंटी इंडिया फोर्स का हिस्सा:अमेरिकी फंडिंग पर ट्रम्प ने कहा था- भारत में चुनावी प्रक्रिया में दखल दिया जा रहा ट्रम्प के बयान के बाद भाजपा ने राहुल गांधी पर निशाना साधा। भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा, 'लोकसभा चुनाव से पहले कई पत्रकारों और संगठनों ने भी कहा था कि विदेशी शक्तियां भारत की चुनावी प्रक्रिया में दखल देती हैं। इनका लक्ष्य होता है कि PM मोदी को कैसे हटाया जाए।' पूरी खबर यहां पढ़ें... ट्रम्प सरकार का एक महीना, पहले दिन बाइडेन के 78 आदेश पलटे; भारतीयों को जंजीरों में डिपोर्ट किया अमेरिका में ट्रम्प सरकार का 1 महीना पूरा हो चुका है। 20 जनवरी को राष्ट्रपति बनते ही ट्रम्प ने 100 से ज्यादा एग्जीक्यूटिव ऑर्डर्स पर दस्तखत कर इतिहास बना दिया था। उन्होंने बाइडेन के 78 आदेशों को पलटा था। पूरी खबर पढ़ें...

ट्रम्प बोले- मेरे दोस्त मोदी को 182 करोड़ भेजे गए
Kharchaa Pani
लेखकों का समूह: साक्षी, प्रिया, और राधिका, टीम नेटानागरी
परिचय
हालिया अमेरिकी चुनावी माहौल में भारतीय राजनीति का मामला भी गर्मा गया है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल में एक बयान देकर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। ट्रम्प ने कहा है कि मोदी को 182 करोड़ रुपये भेजे गए हैं। यह बयान चुनावी फंडिंग के सन्दर्भ में चौथी बार सामने आया है, जिससे भारतीय चुनावों की प्रक्रिया पर सवाल उठ गए हैं।
ट्रम्प का आरोप
डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने एक भाषण में कहा कि अमेरिका से भारतीय चुनाव में फंडिंग हो रही है, जो लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने यह भी बताया कि यह पैसा मोदी के समर्थन के लिए भेजा गया है। उनके इस बयान ने भारत और अमेरिका के बीच की राजनीतिक स्थिति को एक नया मोड़ दिया है।
अमेरिकी फंडिंग का संदर्भ
यह मामला केवल ट्रम्प तक सीमित नहीं है। पहले भी कई बार भारतीय चुनाव में अमेरिकी फंडिंग के सवाल उठाए जा चुके हैं। इसमें बांग्लादेश का भी जिक्र किया गया है, जिससे यह बात और भी संगीन हो जाती है। जानकारों का कहना है कि इस तरह की अनधिकृत फंडिंग से चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित किया जा सकता है।
भारत और बांग्लादेश का संबंध
बांग्लादेश का उल्लेख करते हुए ट्रम्प ने कहा कि वहां की राजनीतिक स्थिति भी भारतीय चुनावों को प्रभावित कर सकती है। दोनों देशों के बीच में गहरे रिश्ते हैं, जो इन चुनावों के संदर्भ में ध्यान देने योग्य हैं।
निष्कर्ष
इस सभी घटनाक्रम के बीच, भारत में चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गई है। क्या अमेरिकी फंडिंग वाकई में भारतीय चुनावों को प्रभावित कर रही है? यह एक ऐसा प्रश्न है, जिसका उत्तर चुनाव आयोग और सरकार को देना होगा। इस मुद्दे पर व्यापक जन चर्चा की आवश्यकता है, ताकि लोकतंत्र की पवित्रता बनी रहे।
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