तेलंगाना टनल हादसा, आज रेस्क्यू का 7वां दिन:रेलवे का बचाव दल भी जुटा; 8 लोग फंसे हैं, बचने की संभावना काफी कम
तेलंगाना के नागरकुर्नूल में निर्माणाधीन श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) टनल का एक हिस्सा 22 फरवरी को ढह गया था। घटना को 7 दिन बीत चुके हैं, लेकिन टनल में फंसे 8 मजूदरों को अब तक नहीं निकाला जा सका है। रेस्क्यू जारी है। शुक्रवार को साउथ सेंट्रल रेलवे (SCR) की 2 टीमें भी रेस्क्यू के लिए पहुंचीं थी। टीम भारी धातुओं को प्लाज्मा कटर और ब्रॉक कटिंग मशीन जैसे आधुनिक उपकरणों से काटने रास्ते से हटा रही है। नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (NGRI) के वैज्ञानिक भी मौके पर हैं। ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) की मदद से मलबे में दबे मजदूरों को ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं। TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, किसी भी मजदूर के जीवित मिलने की संभावना बहुत कम लग रही है। नागरकुर्नूल के एसपी वैभव गायकवाड़ ने बताया कि मलबा हटाने और लोहे की छड़ों की कटिंग का काम लगातार जारी है। गुरुवार सुबह से मलबा साफ करने और टनल के पानी को बाहर निकालने का काम चल रहा है। शुक्रवार सुबह 7 बजे एक टीम टनल में गई। रेस्क्यू ऑपरेशन में आर्मी, NDRF, SDRF के अलावा राज्य सरकार की अन्य एजेंसियों के 600 के करीब कर्मी जुटे हैं। उत्तराखंड के सिलक्यारा टनल में फंसे लोगों को निकालने वाली टीम को भी इसमें शामिल है। फंसे लोगों के परिजन बोले- अंदर की कोई खबर नहीं टनल के अंदर फंसे पंजाब के गुरप्रीत सिंह के चाचा ने बताया कि आज 7 दिन हो गए हैं। अंदर की कोई खबर नहीं है। सरकार से निवेदन है कि हमें जल्द-जल्द बनाए जाए की सरकार कब तक उन्हें बाहर निकालेगी। उन्होंने कहा कि गांव में हमारे परिवार के लोग परेशान हैं और खाना नहीं खा रहे हैं। हम लोग चाह रहे थे कि टनल के अंदर जाकर देखे कि हालत क्या है। मुझे अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है। बोल रहे हैं कि जो टीमें अंदर जा रही है वहीं बताएंगे कि अंदर क्या हो रहा है। झारखंड के संतोष साहू के साला सरवन ने बताया कि 22 फरवरी को जानकारी मिली थी कि मेरे जीजा टनल में फंस गए हैं। घटना के 7 दिन हो गए हैं लेकिन हमें कोई जानकारी नहीं मिली है कि वो ठीक हैं या नहीं। हमलोग उम्मीद लगा के बैठे हैं कि कब वो बाहर निकले और उन्हें घर लेकर जाएं। तेलंगाना सरकार काम तो कर रही है। तेलंगाना सरकार से गुजारिश है कि वे जल्द से जल्द उन्हें बाहर निकाले और हमें उन्हें घर ले कर जाएं। हमारी झारखंड सरकार ने भी दो ऑफिसर को यहां भेजा है। ये लोग भी हमारी सहायता कर रहे हैं। रेस्क्यू की तस्वीरें... टनल बोरिंग मशीन (TBM) को काटा जा रहा रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे एक अधिकारी ने बताया कि गैस कटिंग मशीनें अंदर ले जाए गए हैं। रात में भी टनल बोरिंग मशीन (TBM) और अन्य रुकावटों को रास्ते से काटकर हटाया गया। तेलंगाना के मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी ने बुधवार को बताया कि टनल में फंसी TBM को गैस कटर से काटकर हटाया जाएगा। इसके बाद आर्मी, नेवी , रैट माइनर्स और NDRF की टीम फिर से आठ लोगों को बचाने का के लिए गंभीर प्रयास करेगी। हालांकि उनकी सुरक्षा को लेकर भी समझौता नहीं किया जाएगा। डरे हुए मजदूरों ने काम छोड़ना शुरू किया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हादसे के बाद टनल में काम कर रहे कुछ मजदूर डर के कारण काम छोड़कर चले गए हैं। सीनियर सरकारी अधिकारी ने बताया कि श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) प्रोजेक्ट में 800 लोग काम कर रहे हैं। इनमें से 300 लोकल और बाकी झारखंड, ओडिशा और उत्तर प्रदेश से हैं।अधिकारी ने यह भी कहा कि शुरुआत में मजदूरों में डर जरूर है। हालांकि कंपनी ने उनके लिए आवासीय कैंप बनाए हैं। कुछ लोग वापस जाना चाह सकते हैं, लेकिन हमारे पास इस बात की कोई रिपोर्ट नहीं है कि सभी मजदूर एक साथ छोड़कर जा रहे हैं। 2 गिरफ्तारियां, 2 पर FIR; कांग्रेस की PM से मांग- SIT बनाएं असम पुलिस ने खदान हादसे के सिलसिले में हनान लस्कर और पुनुश नुनिसा को गिरफ्तार किया। कांग्रेस की दिमा हसाओ यूनिट के कोम केम्पराई और पितुश लंगथासा ने उत्तरी कछार हिल्स स्वायत्त परिषद के मुख्य कार्यकारी सदस्य (सीईएम) देबोलाल गोरलोसा और उनकी पत्नी कनिका होजाई के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई। इसमें गोरलोसा और होजाई की तत्काल गिरफ्तारी की मांगकी गई है। दावा है कि ये दोनों खदान में अवैध खनन करवा रहे थे। लोकसभा सांसद गौरव गोगोई ने खदान हादसे को लेकर PM मोदी के नाम चिट्ठी लिखी और मामले की जांच के लिए SIT बनाने की मांग की थी। गौरव ने लिखा- पीड़ित परिवारों को न्याय मिलना चाहिए और यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों। .................................................... हादसे से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... असम खदान रेस्क्यू- 44 दिन बाद बाकी 5 शव बरामद, पहचान के लिए DNA टेस्ट होगा असम अवैध खदान हादसे में मारे गए 5 और मजदूरों के शव बरामद कर लिए गए हैं। रेस्क्यू टीम को सर्च ऑपरेशन में 44 दिन लग गए। पुलिस ने भास्कर को बताया कि शव बुरी तरह सड़-गल चुके हैं। मजदूरों की पहचान के लिए डीएनए टेस्ट किया जाएगा। पूरी खबर पढ़ें...

तेलंगाना टनल हादसा, आज रेस्क्यू का 7वां दिन: रेलवे का बचाव दल भी जुटा; 8 लोग फंसे हैं, बचने की संभावना काफी कम
Kharchaa Pani - यह रिपोर्ट भारतीय महिला लेखिकाओं की टीम नेटानागरी द्वारा प्रस्तुत की गई है। तेलंगाना के एक टनल हादसे ने पूरे देश को शोक में डाल दिया है। आज रेस्क्यू का 7वां दिन है और बचाव कार्य जारी है। इस दौरान 8 लोग अब भी फंसे हुए हैं, और उनके बचने की संभावना बेहद कम बताई जा रही है।
हादसे की पृष्ठभूमि
तेलंगाना के महबूबनगर जिले में एक निर्माणाधीन टनल ढह जाने से कई मजदूर मलबे में फंस गए। यह घटनाक्रम तब हुआ जब मजदूर अपनी नियमित शिफ्ट काम कर रहे थे। स्थानीय पुलिस और प्रशासन ने तुरंत ही रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया, जिसमें एनडीआरएफ और फायर सर्विसेज की टीमें शामिल हैं।
रेस्क्यू ऑपरेशन की चुनौतियाँ
रेस्क्यू कार्य में जुटी टीमें अत्याधुनिक उपकरणों का उपयोग कर रही हैं। हालाँकि, टनल की संरचना कमजोर होने के कारण स्थिति और भी जटिल होती जा रही है। नागरिकों ने भी बचाव कार्य में मदद की पेशकश की है, लेकिन मौसम की गंभीर स्थितियों ने कार्य को और मुश्किल बना दिया है।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
स्थानीय निवासियों ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है। कई परिवार अपने प्रियजनों के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। "हम चाहते हैं कि सरकार हमारी मदद करे और फंसे हुए लोगों को जल्दी से बरामद करें," एक स्थानीय नेता ने कहा।
सरकार का कदम
राज्य सरकार ने प्रभावित परिवारों को सहायता देने का आश्वासन दिया है। मुख्यमंत्री की मौजूदगी में उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसमें रेस्क्यू ऑपरेशन की प्रगति की समीक्षा की गई। हालांकि, बचाव दल को अब तक कोई सफलता नहीं मिली है, जिससे लोगों में चिंता बढ़ गई है।
निष्कर्ष
तेलंगाना का यह टनल हादसा एक गहन चिंता का विषय है। रेस्क्यू के 7 दिन बाद भी सरकारी टीमें प्रयासरत हैं, लेकिन फंसे हुए लोगों के बचने की संभावना काफी कम है। इस संकट में सभी को एकजुट होकर मदद करनी चाहिए और प्रभावित परिवारों के लिए सहायता का हाथ बढ़ाना चाहिए। आने वाले दिनों में हम उम्मीद करते हैं कि इस घटना पर और भी सकारात्मक समाचार मिलें।
खासकर युवा पीढ़ी को इस घटना से सीख लेकर सुरक्षा मानकों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। सरकार को भी भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
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